न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Spread the love
image_pdfimage_print

‘बंबई में का बा’ सदी की त्रासदी को बयाँ करता गीत

     बृजेश प्रसाद ‘बंबई में का बा’ डॉ. सागर द्वारा लिखा यह गीत अत्यंत मार्मिक और सशक्त गीत है; जो आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपनी प्रसिद्धि और

Read More »

जीवन का हर मुकाम – होता अविराम

कभी यूँ खुशनुमा हो जाती,फूलों की सेज बनकर, प्रभा सी चमकती कभी,रवि मडल की तेज बनकर, स्वेद की बूँद बन,ठंड देती है,तपती देह को अपनी, कभी आंसुओं की धारा बन,

Read More »

रामशरण सेठ की कविता – ‘पिता’

पिता,पिता होता है पिता का रिश्ता अजीब होता है। संसार में रिश्ता दूजा नहीं होता फिर बाप का रिश्ता अनमोल होता है । वह उस बरगद के पेड़ जैसा होता

Read More »

जीवन का हर मुकाम – होता अविराम

कभी यूँ खुशनुमा हो जाती,फूलों की सेज बनकर, प्रभा सी चमकती कभी,रवि मडल की तेज बनकर, स्वेद की बूँद बन,ठंड देती है,तपती देह को अपनी, कभी आंसुओं की धारा बन,

Read More »

देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु काव्य:तुम कहाँ समझोगे

1.तुम कहाँ समझोगे        तुम हँस लोगे रो लोगे उसे अपनाकर नवीव जीवन कल्प बो लोगे अर्धांग बन बाटोगे सुॖ:ख-दु:ख नवीन भूमिकाएं नवीन ज़िम्मेदारियां होंगे नित नयी संभावनाओं को

Read More »

अंतरराष्ट्रीय देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु

 कविता क्रमांक 1 शीर्षक- भारत देश निराला है  यूं तो धरती पर देश कई ,पर भारत सबसे न्यारा है| है ,मातृभूमि भारत मेरी मुझको प्राणों से प्यारी है| है ,अलग-अलग

Read More »

Stree

स्त्री जब खुश होती है बर्तन माजते माजते कपड़े धोते-धोतेरोटी बेलते बेलते सब्जी में छोका लगाते लगातेभी गुनगुनाती है कभी अकेले खामोश चारदीवारी में भी गुनगुनाती है सुबह से शाम

Read More »

अंतरराष्ट्रीय सम्मान

अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता पुरस्कार से नवाजे गए साहित्यकार गोविंद अवस्थी Last Updated on January 4, 2021 by gauriawasthi72 रचनाकार का नाम: Sahity पदनाम: Seva संगठन: सच की दस्तक ईमेल पता:

Read More »

Samma

अंतरराष्ट्रीय मानव एकजुटता पुरस्कार से नवाजे गए साहित्यकार गोविंद अवस्थी उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ शहर के युवा साहित्यकार एवं समाजसेवी गोविंद अवस्थी जी वर्तमान में इंजीनियरिंग के छात्र हैं

Read More »

प्रेम

छुई मूई के भाँति अप्रत्याशित और खूबसूरत है प्रेम की प्रकृति जिसमें लज्जा है, सज्जा है और औषधीय प्रवृति भी,मगर इतना सुलभ नहीं है किसी का प्रेम पाना,अगर सच में

Read More »

तव चरणार्पित

अंतरराष्ट्रीय देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता तव चरणार्पित बाईस अनमोल भाषा रत्नों से जड़ी अनोखा हार, अर्पित है हे माँ तव चरणों में उपहार। बीच में चमक रही है राजभाषा हिन्दी। जैसे

Read More »

तेरे मेरुता तो है ही अमित महान

  अंतरराष्ट्रीय देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता   तेरे मेरुता तो है ही अमित महान   अगाध- अनंत भूमंडल की- आभा हो तुम हे भारत माता। तेरी अगम्य अमित चेतना की कैसी

Read More »

बचपन

।। ग़ज़ल ।।बचपन से भरा कौन मेरा ख्वाब ले गया ।अम्मा की गोद जन्नत-ए-नवाब ले गया ।। कागज़ की कई कश्तियां पानी का किनारा ।।ये कौन दुश्मनी में बेहिसाब ले

Read More »

कविताओं के सिरे

मेरी कविताओं के बस सिरे नहीं मिलते.. शुरुआत मिलती है क्यूँ अंत नहीं मिलते.. रंगीन पतंग सी उड़ के पहुँचती है दूर… पीछे लौट नहीं पाती,है कैसी मजबूर.. मुरझाये फूलों

Read More »

कोरोना काल अवसर या अभिशाप

कोरोना काल अवसर या अभिशाप   माना कि करोना काल ने कहर है बरसाया। न जाने कितने लोगों को घर पर बैठाया, कई लोगों को अपनों से बिछड़ाया, उन्हें रुलाया,

Read More »

प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु – नि:स्वार्थ प्रेम

नि:स्वार्थ प्रेम तुम्हारे आने से ज़िन्दगी में मेरी,  खुशियों ने ली अंगड़ाई है| सनम तुम मानो या न मानो,  यही मेरे दिल की सच्चाई है| मैं बस इतना चाहती थी

Read More »

देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु- अतुल्य भारत

अतुल्य भारत भारत माँ की हम सन्तान,  मिला हमें है यह वरदान | देव भी जन्म लेने को आतुर,  ऐसी है भारतभूमि की शान | राष्ट्र प्रहरी हैं इसका मान, 

Read More »

पधारो तुम-2021

नववर्ष में छत्तीसगढ़ बस्तर के चर्चित अन्तर्राष्ट्रीय खोजी लेखक युवा हस्ताक्षर विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की पंक्तियां पढ़िये आज…. *”पधारो तुम-2021″* *”पधारो तुम* उमंग,पुलकित, प्रखर-सौम्य,अल्हड़-पावन,स्वागत,वंदन,अभिनंदन,मुस्कुराइये,,,नव वर्ष है,चहुं ओर हर्ष

Read More »

सब कुछ समझ लिया हमने,,,,,,,,

मानव के भीतर की पशुता,पशुता के अंदर की सभ्यता,पशु के भीतर की मानवता,मानवता भीतर की महानता,देख लिया है अब सब तुमने,सब कुछ समझ लिया हमने।1। सभ्य बनाने में लगी मजहबें,फिर

Read More »

प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता

कविताएँ –———– प्रेम——— नयनों के झरोखों सेउन्हें निर्निमेष निहारना।चिरंतन साहचर्य कीअसीम उत्कंठा लिए,उनके आसपास मंड़राना।और – अंकुराते मन मेंस्वप्नों के –असंख्य दीपों काजल जाना।क्या प्रेम नहीं है?    *              *उनके आते ही

Read More »

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

नारी तूं सच में बलशाली। नारी हर परिवार की धुरी, सुबह से शाम, सबको घुमाती, सारा प्रबंध करती, फिर आखिर में आराम करती, इसलिए ये परिवार की सीईओ कहलाती, नारी

Read More »

देश भक्ति काव्य प्रतियोगिता,,, शीर्षक,,,शहीद सैनिकों का कथन,,,,3/1/2021

ग़ज़ल,,, उस घड़ी हमने नहीं की फिक्र,अपनी जान की।। बात आगे आ गई जब देश के सम्मान की।। आईनों में बिम्ब उनके उम्र भर जिंदा रहे। देश की खातिर जिन्होंने

Read More »

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता –मैं नारी……

1. मैं नारी……… मैं नारी सदियों से स्व अस्तित्व की खोज में फिरती हूँ मारी-मारी कोई न मुझको माने जन सब ने समझा व्यक्तिगत धन जनक के घर में कन्या

Read More »

नरसिंह यादव की कविता – ‘रेप की सजा फांसी’

बोल रहे बढ़ चढ़ के उन्हीं के हत्यारे,
फिर आ जाओ हमें ये सिखाते हुए,

जिंदा हैं बहू बेटियों को यूं डराते हुए,
घूम रहे इज्जत को तार तार करते हुए,
भूल गए वहीं आज नारा लगाया जो,
जी रहे सरकार का मौज उड़ाते हुए।

Read More »

आत्मविश्वास

घनघोर बरसातों के बाद तृप्त धरा ही, मनोहर हरियाली की चादर चढती है, चिलचिलाती धूप से खलिहान में रखी, फसल ही लोगों  की थाल परोसती है, युगों से लिखा इतिहास

Read More »

नववर्ष २०२१ अभिनंदन

🌺नव वर्ष २०२१अभिनंदन🌺 नव वर्ष हम करते अभिनंदन तुम्हारा हैं,नव चेतना व आशा में झूमे जग सारा है,प्रगति पथ पर सतत् आगे बढ़ते रहे हम,चेहरों पे मुस्कान हो ये उद्येशय

Read More »

देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता कविता: आजादी की सुबह

आजादी की पहली सुबहनवोन्मेष से पुर्ण थीमुक्त हुई थी भारत भुमिजंजीरें तोड़ गुलामी कीनव सपनें लेकर के आयीआजादी की सुबह सुहानीपर उससे पहले लिखीविभाजन की कहानीनवभारत के निर्माण को लेकरआशाओं

Read More »

भारत को नए साल में नए सिद्धांत और क्षमता की आवश्यकता है।

(चीन एक बढ़ती और आक्रामक महाशक्ति भारत के लिए बड़ा रणनीतिक खतरा है और पाकिस्तान के साथ चीन के कंटेनर भारत की रणनीति के लिए खतरा है। इसे देखते हुए,

Read More »

कम से कम प्रकृति से सीखें और शपथ लें

      जिस विश्व व ब्रम्हाण्ड के अन्तर्गत हमारा अस्तित्व विद्यमान है ,उसके संरचना, उसमें सतत् परिवर्तनव गति पर यदि अपना ध्यान केन्द्रित करें तो उसमें एक नियम या

Read More »

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- शक्ति स्वरूपा नारी

पुरुषों से समानता की चाह में,  नारी महानता क्यों भूल रही?  आधुनिकता की होड़ में,  अपनी मर्यादाएँ क्यों तोड़ रही?  प्रभु ने जन्मजात पृथक् गुण दिए,  फिर कैसे मानूं कि

Read More »

चंद्र मोहन किस्कू  की कविता – ‘शायद तुम्हारे लिए आनंद हैं’

पेट की गड्ढे को भरने
जलती आग को
बुझाने के लिए
तुमसे कितना प्रार्थना किया
एक मुट्ठी भोजन के लिए
बार -बार गया तुम्हारे पास
पर तुम
बचा हुआ भोजन को
अधखाया और जूठन को
मुझे देने में
तुम्हे नागवार लगा

Read More »

गजेंद्र कुमावत ‘मारोठिया’ की लघु कथा – जिम्मेदार कौन?

एक 5-6 वर्ष की लड़की जो सड़क किनारे दो बाँसों पर बँधी एक रस्सी पर हाथ में लकड़ी का डंडा लिए हुए करतब दिखा रही है | कभी साईकिल की रिंग को रस्सी पर चलाती है तो कभी सिर पर मटकी रखकर रस्सी पर चलती है | और भी खतरनाक करतब दिखाती है |

Read More »

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतू कविता : “नारी शक्ति”

नारी शक्ति के क्या कहने, सारे जग में सब जानेसेना हो या हो पुलिस, दौड़ हो या हो अंतरिक्ष! हर जगह लहरा रही, नारी अपना परचमशिक्षा हो या हो मेडिकल, स्थल

Read More »

औरत की इच्छा

                         औरत की इच्छा                      ————–   चट्टानों के बीच

Read More »

औरत की इच्छा

                         औरत की इच्छा                      ————–   चट्टानों के बीच

Read More »

बस , ऐसी लहर देना है

शब्द तो भाव के भूखे है,  अभाव है,तो पूरी तरह से रखे हैं,  भावना है,तो निश्चित उसमें शक्ति है, शक्ति का मनुहार ही उसकी भक्ति है,  सशक्त संबोधन से संज्ञायूं

Read More »

बस इतना ही बहुत है

भले ही मजधार में,  जीवन की नौका हो, मैं हूँ और तुम भी हो  बस इतना ही बहुत है ।1। नीरव में ठहरी कश्ती,  साहिल का पता नहीँ,  तुम हो

Read More »

जिन्दगी की शाम पर : मुसकराना है ,हाथ में हाथ डालकर

<span;>जिन्दगी की शाम पर: मुस्कुराना है हाथ में हाथ डालकर<span;>,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,<span;>जब से जीवन की डोरी से,मैंने <span;>तेरे साथ का गठबंधन जोडा है।<span;>चलते इन राहों पे न जाने,कितने<span;>इन सुनामियों ने हमें झिझोडा

Read More »

हास्य और गाम्भीर्यता की अनूठी रार, गजब… ‘पोली’ और ‘पोली का यार’

सुशील कुमार ‘नवीन ‘ किसी रिपोर्टर ने हरियाणा के रामल से पूछा कि आप लोग बार-बार कहते सुनाई देते हो कि भई, स्वाद आग्या। ये स्वाद क्या बला है और

Read More »

मेरी जीवन यात्रा

http://antrashabdshakti.com/2020/12/19/साहित्य-साधक-सम्मान-2020-ओमप्/ Last Updated on December 25, 2020 by opgupta.kdl रचनाकार का नाम: ओमप्रकाश गुप्ता बैलाडिला (अवकाश प्राप्त प्रवक्ता गणित पदनाम: बैलाडिला संगठन: किरंदुल ईमेल पता: [email protected] पूरा डाक पता: डी0एस0/II/596,बारसा

Read More »

मेरे अपनों को शिकायत रहती है

जब देर रात तक,भीगी पलकों से,जागती रहती हूं,तो मेरे अपनों को शिकायत रहती है। कभी मेरी तन्हाई,मुझसे रूठ कर,कोने में रोती रहती है,तो मेरे अपनों को शिकायत रहती है। जब

Read More »

मुद्दा तो ये राष्ट्रीय पहले से ही है, डर है कहीं जन आंदोलन न बन जाए..

सुशील कुमार ‘नवीन’ दिल्ली बॉर्डर पर हिमपात सी शीतलहर में लगातार डेरा जमाए बैठे किसानों से बड़ा वर्तमान में कोई राष्ट्रीय मुद्दा नहीं है। आंदोलन की शुरुआत से अब तक

Read More »

जब दहलीज पर आऊँ

जब दहलीज पर आऊँ  <span;>,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, <span;>जब हम रवि सा दिन भर संतप्त हो,<span;>त्रसित संध्या की दहलीज पर आऊँ,<span;>तो श्रम बिन्दु पर ठंडी बयार सा बन,<span;>प्रिये! तुम मेरे रोम रोम में 

Read More »

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : मख़दूम मुही-उद-दीन

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : मख़दूम मुही-उद-दीन डॉ. वसीम अनवर असिस्टेण्ट प्रोफेसर उर्दू और फ़ारसी विभाग डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश [email protected], 09301316075 ग़ज़ल इशारे किनाए, तशबीह वा

Read More »

अर्धांग भस्म भभूत है…अर्ध मोहिनी रूप है

ईमेल पता  [email protected] सार  शादी के बाद लड़कियाँ, लड़के को पति और उससे ज़्यादा परमेश्वर मानने लगती हैं। हमारे समाज की बनावट-बुनावट ही कुछ ऐसी है कि लड़कों को बचपन

Read More »

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : जाँ‌‌ निसार अख़्तर

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : जाँ‌‌ निसार अख़्तर डॉ. वसीम अनवर असिस्टेण्ट प्रोफेसर उर्दू और फ़ारसी विभाग डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश [email protected], 09301316075 ग़ज़ल उर्दू शायरी की

Read More »

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ डॉ. वसीम अनवर असिस्टेण्ट प्रोफेसर उर्दू और फ़ारसी विभाग डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश [email protected], 09301316075 फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की

Read More »

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : मजरुह सुल्तानपुरी

तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो : मजरुह सुल्तानपुरी   डॉ. वसीम अनवर असिस्टेण्ट प्रोफेसर उर्दू और फ़ारसी विभाग डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश [email protected], 09301316075   तरक़्क़ी पसंद ग़ज़लगो

Read More »

छात्रा मुमताज़ जहाँ की लघुकथा “सुंदर नगरी में पानी कम”

सुंदरवन नाम के गाँव में एक लड़का रहता था जिसका नाम रघु था। रघु अक्सर नहाने ने वक़्त नल को खुला छोड़कर भाग जाता था। इसी तरह हाथ धुलने के

Read More »

छात्रा माधवी की कविता “आपका आभार है”

सृष्टि में जीवन का संचार किया।मानव मन में दया धर्म का भाव दिया।चारों और मानवता का प्रसार किया।हे ईश्वर, आपका आभार है। जन्म दिया और पाल- पोस कर बड़ा किया।हर

Read More »

ओमप्रकाश गुप्ता की कविता – ‘शाश्वत रिश्ते : नियति के’

माँ, या पा, दोनों में दर्द छिपा उठे हूक में, दिल के टूक में, अन्जाने तार जुडे, कुछ आँसू में चू पडे, ये कह पाना है मुश्किल , होता किस

Read More »

काव्य-मंच 

काव्य-मंच (मापनी:- 2122  2122  212) काव्य मंचों की अवस्था देख के,लग रहा कविता ही अब तो खो गयी;आज फूहड़ता का ऐसा जोर है,कल्पना कवियों की जैसे सो गयी। काव्य-रचना की जो प्रचलित मान्यता,तोड़ उनको जो रचें वे श्रेष्ठ हैं;नव-विचारों के वे संवाहक बनें,कवि गणों में आज वे ही ज्येष्ठ हैं। वासनाएँ मन की जो अतृप्त हैं,वे बहें तो काव्य में रस-धार है;हो अनावृत काव्य में सौंदर्य तो,आज की भाषा में वो शृंगार है। रूप की प्रतिमा अगर है मंच पर,गौण फिर तो काव्य का सौंदर्य है;फब्तियों की बाढ़ में खो कर रहे,काव्य का ही पाठ ये आश्चर्य है! चुटकलों में आज के श्रोता सभी,काव्य का पावन रसामृत ढूंढते;बिन समझ की वाहवाही करके वे,प्राण फूहड़ काव्य में भी फूंकते। मूक कवि, वाचाल सब लफ्फाज हैं,काव्य के सच्चे उपासक खो रहे;दुर्दशा मंचों की ऐसी देख कर,काव्य-प्रेमी आज सारे रो रहे। बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’तिनसुकिया Last Updated on December 13, 2020 by basudeo रचनाकार का नाम: नमन पदनाम: बासुदेव संगठन: अग्रवाल ईमेल पता: [email protected] पूरा डाक पता:

Read More »

गीतिका (अभी तो सूरज उगा है)

गीतिका (अभी तो सूरज उगा है) प्रधान मंत्री मोदी जी की कविता की पंक्ति से प्रेरणा पा लिखी गीतिका।(मापनी:- 12222  122) अभी तो सूरज उगा है,सवेरा यह कुछ नया है। प्रखरतर यह

Read More »

अहसास- पिता होने का

हम तो चाॅद सितारे, उस परिवार के, जिसमें पिता एक आकाश होता है। जिसके रोशनी से दमकते पूरा घर, वह तो पिता का ही प्रकाश होता है।1। आसमां से ऊंची

Read More »

जो बूंद से गयी वो

“जो बुंद से गयी वो”                  [ लघु कथा ]                  निले आकाश मे लाल, सुनहरे रंग बिखरे तब ही पायल घर से

Read More »

बाल साहित्य तथा बालक का चतुर्मुखी विकास

अंचल सक्सेना, उप प्राचार्य, केन्द्रीय विद्यालय कानपुर केण्ट कानपुर मो.: 8004912415, ईमेल पता : [email protected]   शोध सारांश- बाल साहित्य वह साहित्य है जो बच्चों के मनोरंजन, ज्ञानवर्द्धन, जिज्ञासावृत्ति, मानसिक

Read More »

तेरी गली से

तेरी गली से शब ओ रोज़ मुस्कुराते हुएमै जा रहा था फ़क़त तित्लीयाँ उड़ाते हुए !! तेरे हुज़ूर जो आया तो ये ज़रूर हुआतु रो पड़ा था मेरा क़द ज़रा

Read More »

मै क्या कहूं

मै क्या कहूं की साथ मेरे क्या नहीं हुआअच्छा भला किया था पर अच्छा नहीं हुआ !! कैसे करेगा मुझसे नदामत का तज़किराजिसको कभी यक़ीन भी पक्का नहीं हुआ !!

Read More »

आंदोलन में ‘उत्सव’ जैसा रसास्वादन, पिज्जा-बर्गर, चाय-कॉफी सब हाजिर

सुशील कुमार’नवीन’ खाने को पिज्जा, लच्छा परांठा, तंदूरी नान,तवा नान, चिल्ला, डोसा वो सब हैं। जो मसालेदार खाने वालों को चाहिए। देसी चटखारे के लिए मक्के की रोटी, सरसों का

Read More »

नज़ीर अकबराबादी की ग़ज़लगोई

नज़ीर अकबराबादी की ग़ज़लगोई डॉ वसीम अनवर सहायक प्रोफेसर उर्दू और फ़ारसी विभाग डॉ हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश [email protected], 09301316075 नज़ीर अकबराबादी उर्दू के पहले अवामी शायर

Read More »

मनोरंजन कुमार तिवारी की कविता “बनेगा कुछ ना कुछ…….तुम देख लेना”

बनेगा कुछ ना कुछ…….तुम देख लेना —————————————– जीवन के परिधि के, अंदर-बाहर, यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ, बिखरे हुए दर्द के टुकड़ों को, शिद्धत से जीने दो मन को, इसे बहलाओ मत, झुठलाओ

Read More »

मनोरंजन कुमार तिवारी की कविता “मैं और तुम”

मैं और तुम हर बार हम बनने को मिलते है,हमारे अहम से टकरा कर,हम चकनाचूर हो जाता है,और इसके अणु पुरे ब्रह्मांड में बिखर जाते है, एक लम्बे समयांतराल के बाद,

Read More »

मीनाक्षी डबास की नई कविता: रिमझिम-रिमिझम

रिमझिम रिमझिम  बरसे फुहार  मन नाचे मेरा  करे पुकार l रिमझिम रिमझिम  बरसो पानी  भू पर लिख दो  फिर नई कहानी  रिमझिम रिमझिम  कदम बढ़ाए डालों को तुम  चलो भिगोएं

Read More »

हाइकु (ये बालक कैसा)

हाइकु (ये बालक कैसा) अस्थिपिंजरकफ़न में लिपटाएक ठूँठ सा। पूर्ण उपेक्ष्यमानवी जीवन काकटु घूँट सा। स्लेटी बदनउसपे भाग्य लिखेमैलों की धार। कटोरा लिएएक मूर्त ढो रहीतन का भार। लाल लोचनअपलक

Read More »

सार छंद “भारत गौरव”

  सार छंद “भारत गौरव” जय भारत जय पावनि गंगे, जय गिरिराज हिमालय;सकल विश्व के नभ में गूँजे, तेरी पावन जय जय।तूने अपनी ज्ञान रश्मि से, जग का तिमिर हटाया;अपनी

Read More »

पंगा मत लो नॉटी गर्ल,इन्हें अच्छे की भी समझ है और बुरे की भी, सरकार नहीं ‘सर्वकार’ हैं यें….

सुशील कुमार ‘नवीन’ तेज प्रवाह से बहते नदी के पानी से टकराव मूर्खता ही तो होगी। कड़ाहे में खौलते तेल में हाथ डाल ऊष्मता को जांचना समझदारी थोड़े ही न

Read More »

विश्व भाषा के रूप में हिंदी

पोपट भावराव बिरारीसहायक प्राध्यापककर्मवीर शांतारामबापू कोंडाजी वावरे कला,विज्ञान व वाणिज्य महाविद्यालय सिडको, नासिकईमेल – [email protected], मो. – 9850391121 प्रस्तावना विश्व में अनेक भाषाएं बोली जाती हैं। व्यक्ती अपनी बात दूसरों

Read More »

अनुवाद कला : विविध आयाम

पोपट भावराव बिरारीसहायक प्राध्यापककर्मवीर शांतारामबापू कोंडाजी वावरे कला,विज्ञान व वाणिज्य महाविद्यालय सिडको, नासिकईमेल – [email protected], मो. – 9850391121 सार अनुवाद का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बहुत महत्त्व बढ़ा है। विश्व में

Read More »

बाल साहित्य और मनोविज्ञान

पोपट भावराव बिरारी सहायक प्राध्यापक कर्मवीर शांतारामबापू कोंडाजी वावरे कला, विज्ञान व वाणिज्य महाविद्यालय सिडको, नासिक ईमेल – [email protected], मो. – 9850391121 सार बाल साहित्य का आधार बाल मनोविज्ञान है।

Read More »

लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) के साहित्यकार राष्ट्रकवि -पंडित वंशीधर शुक्ल व्यक्तित्व एवं कृतित्व

लखीमपुर-खीरी (उत्तर प्रदेश) के साहित्यकार राष्ट्रकवि  पंडित वंशीधर शुक्ल व्यक्तित्व एवं कृतित्व यह कैसी विडंबना है, कि स्वतंत्रता संग्राम के उठ जाग मुसाफिर  भोर भई ,तथा -उठो सोने वालों सबेरा

Read More »

पूनम शर्मा की कविता – ‘चमकेगी हिंदी की बिंदी’

पूरब से पश्चिम तक उत्तर से दक्षिण तक सबको पिरोती एक डोर में इसलिए सूत्रधार बनके चमकेगी हिंदी की बिंदी। अलग-अलग जाति, धर्मों के लोग यहाँ भिन्न-भिन्न प्रांतों के भिन्न

Read More »

डा अशोक पण्ड्या के गीत

जिन्दगी एक गीत है गीत जिस पर लिखे गए अनेकों गीत हैंजी रहे हैं हम जिसेवह जिन्दगी एक गीत है ।गुनगुनाते अनेकों अधरअपने प्रणय की गीति कोआलाप करते प्रफुल्ल मनआप उपजी

Read More »

द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी सीखने वाले सिंहली मातृभाषी विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत समस्याएँ

वरिष्ठ प्राध्यापिका डा. वजिरा गुणसेन और सहाय प्राध्यापिका सरसि रणसिंह श्री जयवर्धनपुर विश्वविद्यालय, श्री लंका [email protected]   आजकल संसार भर में मुख्य रूप से 6500 भाषाएँ बोली जाती हैं। उनमें

Read More »

नारी की महिमा और वेदों में नारी का स्थान

जब से सृष्टि की रचना हुई है, तब से ही शायद हम नारी को सशक्त करने की बात सोच रहे हैं।वह शायद इसलिए क्योंकि प्रकृति ने नारी को कोमल, ममतामयी,करुणामयी,सहनशील,आदि

Read More »

गांधी और हिंदी

अब एकबार फिर वक्त आ गया है कि हम गांधी की भाषा दृष्टि, उनके विचार तथा उनके साहस का सहारा ले स्वतंत्र भारत की भाषाई अस्मिता को सकारात्मक ढंग से प्रस्तुत कर अतीत की ऐतिहासिक भूलों का परिमार्जन करें।

Read More »

कृति के सभी जीवों और तत्वों के साथ सह अस्तित्व ही आदिवासियत – हरिराम मीणा

नई दिल्ली। आदिवासियत या आदिवासी विमर्श को अन्य विमर्शों की तरह नहीं समझना चाहिए। आदिवासियत जीवन जीने का एक बेहतरीन तरीका है, एक दर्शन और वैचारिकी है अपितु यह एक जीवन शैली है।

Read More »

ग़ज़ल (छेड़ाछाड़ी कर)

ग़ज़ल (छेड़ाछाड़ी कर जब कोई) बह्र:- 2222 2222 2222 222 छेड़ाछाड़ी कर जब कोई सोया शेर जगाए तो,वह कैसे खामोश रहे जब दुश्मन आँख दिखाए तो। चोट सदा उल्फ़त में

Read More »

देश भक्ति मुक्तक

मुक्तक (देश भक्ति) सभी देशों में अच्छा देश भारतवर्ष प्यारा है,खिले हम पुष्प इसके हैं बगीचा ये हमारा है,हजारों आँधियाँ झकझोरती इसको सदा आईं,मगर ये बाँटता सौरभ रहा उनसे न

Read More »

पथिक

पथिक (नवगीत) जो सदा अस्तित्व से अबतक लड़ा है।वृक्ष से मुरझा के पत्ता ये झड़ा है। चीर कर फेनिल धवल कुहरे की चद्दर,अव्यवस्थित से लपेटे तन पे खद्दर,चूमने कुहरे में

Read More »

चरर्तृहरि की ज्ञान मारक कथाएं

<span;>सब जीव-जंतु अपनी खोपड़ी पर आगे लगे ललाट नामक नोटिस बोर्ड पर लिखवा कर आते हैं। ईश्वर इसके ऊपर स्केच पेन से लिख देता है; जिसे भाग्य कहा जाता है।

Read More »

अमूल्य त्रिपाठी की नई कविता – “तेरी मुहब्बत”

वो रातें मुझे पसंद है, वो बातें मुझे पसंद है, तेरी मुहब्बत की हर, यादें मुझे पसंद है। चाँदनी रातों में तेरा, खूबसूरत दमकता चेहरा, इन आँखों को बड़ा पसंद

Read More »

प्रभांशु कुमार की नई कविता-मेरे अंदर का दूसरा आदमी

मेरे अंदर का दूसरा आदमी मेरा दूसरा रुप है, वर्तमान परिदृश्य  का सच्चा स्वरूप है। रात में सो रहा होता हूं उसी समय मेरे अंदर का दूसरा आदमी अस्पताल के

Read More »

पढ़िए डॉ० भावना कुंअर का यात्रा वृतांत- अफ्रीकन सफारी

हमारी रोमांचक यात्रा– अफ्रीकन सफ़ारी दुनिया भर में प्रसिद्ध है । काफी समय से हम लोगपरिवार सहित पूर्वी अफ्रीका के प्राकृतिक खूबसूरती से समृद्ध ‘युगांडा की राजधानी ‘कम्पाला ’ में रह

Read More »

प्रभांशु की नई कविता कूड़े वाला आदमी

वह आदमी निराश नही है अपनी जिन्दगी से जो सड़क किनारे कूड़े को उठाता हुआ अपनी प्यासी आंखो से कुछ दूढ़ता हुआ फिर सड़क पर चलते हंसते खिलखिलाते धूलउड़ाते लोगों

Read More »

‘ओजोन-लेयर’ कविता में अभिव्यक्त पर्यावरण पूरक व्यंग्य

प्रो. (डॉ.) सदानंद भोसलेअध्यक्ष, हिंदी विभागसावित्रीबाई फुले पुणे विश्‍वविद्यालय, पुणे- 07मोबाईल नं. 9822980668ईमेल: [email protected] व्यंग्य ‘सटायरिक स्पिरिट’ है, अर्थात् एक ‘व्यंग्य-भावना’। ‘व्यंग्य-भावना’ साहित्य के माध्यम से बुराइयों की गहरी खोजबीन करती

Read More »

रमेश कुमार सिंह रुद्र की नई कविता ‘मां सरस्वती’

वीणावादिनी ज्ञानदायिनी ज्ञानवान कर दे…. माँ रूपसौभाग्यदायिनी नव रुप भर दे…. हंसवाहिनी श्वेतांबरी जग उज्ज्वल कर दे….. वीणापाणिनि शब्ददायिनी शब्दों से भर दे…. ज्योतिर्मय जीवन तरंगमय जीवन सभी जन प्रकाशयुक्त

Read More »
error: Content is protected !!