छुई मूई के भाँति
अप्रत्याशित और खूबसूरत है
प्रेम की प्रकृति
जिसमें लज्जा है, सज्जा है
और औषधीय प्रवृति भी,
मगर इतना सुलभ नहीं है
किसी का प्रेम पाना,
अगर सच में असान होता
किसी का प्रेम पाना
तो शायद प्रेम की बुनियाद पर
इतने कविताएं और किताब
नहीं लिखे जाते,
इन्हें सहेजने के लिए
वक्त के घाव नहीं कुरेदे जाते
इसे पाने के लिए
मन्नत के
इतने धागे नहीं बाँधे जाते,
बस बना दिए जाते ये
एक दूसरे के पूरक
जैसे किसी रोगी के लिए
अनिवार्य हो करना
औषधि का पान।
Last Updated on January 4, 2021 by alokkr581996
- आलोक पराशर
- Student
- नालंदा उद्यान महाविद्यालय
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- Village Rampur, Post: Korlahiya, PIN 843117, Dist: MUZAFFARPUR