सौ सौ अफसाने हैं
नवगीत सबका अपना तौर-तरीकासबके अपने पैमाने हैं। हैं कई सभ्यताएँऔर उनमें संघर्ष है।कैसे होगा फिरइंसानियत का उत्कर्ष है।।
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
नवगीत सबका अपना तौर-तरीकासबके अपने पैमाने हैं। हैं कई सभ्यताएँऔर उनमें संघर्ष है।कैसे होगा फिरइंसानियत का उत्कर्ष है।।
सुन ओ भारतवासी अबोध,कहाँ गया सच्चा प्रतिरोध? आये दिन करता हड़ताल,ट्रेनें फूँके हो विकराल,धरने दे कर रोके चाल,सड़कों
मकर संक्रांति आई हैं मकर संक्रांति आई हैंएक नई क्रांति लाई हैंनिकलेंगे घरों से हमतोड़ बंधनों को सबजकड़ें
1****** “मातृ वन्दना” ***** हे जन्मभूमि, हे कर्मभूमि, हे धर्मभूमि है तुझे प्रणाम! ऐ रंगभूमि, ऐ युद्वभूमि, ऐ