न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Category: ग़ज़ल

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अफलातून लगा है

22 22 22 22ग़ज़ल वह तो अफलातून लगा है।पशुता गर नाखून लगा है।। भ्रष्टाचार बढ़ाने वाले,उनके मुँह में

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अफलातून लगा है

22 22 22 22ग़ज़ल वह तो अफलातून लगा है।पशुता गर नाखून लगा है।। भ्रष्टाचार बढ़ाने वाले,उनके मुँह में

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ग़ज़ल
ddeep935

हालात

राहें सूनी, गलियाँ सब वीरान हो गए हैं जिंदा लाशों से देखो अब इंसान हो गए हैं।।  

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ग़ज़ल
nandlalmanitripathi

चाहत का इश्क

लव है पैमाना ,नज़रे है मैख़ाना तेरी चाहत दुनियां कि तकदीर दीदार बीन पिए वहक जाना।। सावन की

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ग़ज़ल
nandlalmanitripathi

शराब कहते है

हलक को जलाती ,उतरती हलक में शराब कहते है।।लाख काँटों की खुशबू गुलाब कहते है।।छुपा हो चाँद जिसके

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ग़ज़ल
nandlalmanitripathi

अल्फ़ाज़

  जुबां तोल, मोल , बेमोल,अनमोल, बहारों के फूलों कि बारिश अल्फ़ाज़। तनहा इंसान का अफसोस हुजूम के

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इश्क का चांद

[2/2, 8:49 PM] Pitamber: खुद खड़े कतार अपने वक्त काकरते इंतज़ार फिर भी वक्त नही है।। भीड़ का

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ग़ज़ल
nandlalmanitripathi

ख्वाबों का इश्क

लव है पैमाना ,नज़रे है मैख़ाना तेरी चाहत दुनियां कि तकदीर दीदार बीन पिए वहक जाना।। सावन की

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