औरत की इच्छा
————–
चट्टानों के बीच कैद एक शीतल सी धारा जल की |
बाहर आने को व्याकुल है,व्यथा कहे किससे मंन की|
ऊँचा मस्तक किये खड़े हैं , अहंकार के मद में चूर |
ज्वालामुखी धधकता मन में, व्यथा सुनेंगे क्या ये क्रूर |
ये पाषाण मुझे समझे हैं , मैं शीतल सी सलिला हूँ |
क़ैद किये हैं मुझे युगों से, जाना केवल अबला हूँ |
अबला जिसको समझ रहे हैं,परम शक्ति है उसका नाम |
नादानी में भूल रहे हैं, होगा इसका क्या परिणाम |
जितने महारथी जन्में हैं , शूरवीर ,योद्धा ,अभिराम|
सबने पहले चलना सीखा ,अबला के आँचल को थाम|
अति बलवान समझते खुद को ,अहंकार दिन -दूना है
तूने दबा रखा धरती को , तुझे चरण अब छूना है|
डॉ. ज्योति मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
Last Updated on December 31, 2020 by 1974.mysoul
- Jyoti
- Mishra
- मिश्र
- [email protected]
- #402, 4th floor, Saotshringi apartment, behind surya hotel, karbala road, Bilaspur () Chhattisgarh)
3 thoughts on “औरत की इच्छा”
वाहहहहह बहुत सुंदर कविता। नारी अबला नहीं , बल्कि शक्तिपुंज है। हार्दिक बधाई।🌹
Dr Jyoti Mishra ji ki Maine kai sari kavitayan padhi hain.Bahut karuna bhari hoti hain.Ek nari ki vyatha ko inse jyada koi nahin samajta,mere hisab se.Inko bahut bahut badhai aur meri shubh kamnayan.
अनुपम औ अद्वितीय भावाभिव्यक्ति- सशक्त औ’ सटीक चिंतन-चित्रण अविस्मरणीय औ अभिनंदनीय है।
जी सादर धन्यवाद। आभार स्वीकारतें औ अभिनंदन करते हैं।
शुभसंध्या जय श्री कृष्ण।
🙏 🙏 🙏