न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता – एक युद्ध स्‍त्री को लेकर

द्रुत गति से बहती सरिता की  कलकल है या विस्मय के होठों पर ठहरा पल है काश.. कभी  आगे भी इसके जान सकूँ अभी तो.. नारी मेरे लिए कुतूहल है

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देश्भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु रणयोद्धा मेरे भारत के”

रणयौद्धा मेरे भारत के   ये रणयौद्धा मेरे भारत के मेरे देश के सच्चे रखवाले सीना तान खड़े सीमा पर मेरे भारत के वीर मतवाले अटल शिखर हिमालय की आन

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कृष्ण की लगन

                               कृष्ण की लगन मैं जबसे हुई तेरी भक्ति में मगन,संसार के सुखों में रमे ना मेरा मन,जैसे राधा को लगी हो कृष्ण की लगन,वैसे ही तेरे नाम पर थिरकता

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देश निराला सब से अपना

http://कविता(देशभक्ति प्रतियोगिता हेतु ) है देश निराला सबसे अपना है देश निराला सबसेअपना सबके दिल में ये बस्ता है, जो देश को ना समझे अपना, वो मृत जीव से भी

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देशभक्ति काव्य पाठ प्रतियोगिता हेतु

जनम जनम का रिश्ता  ……………………… यह रिश्ता प्यारा जनम जनम का, मैं किस तरह, इसे इजहार  करूँ , संकट से भरा यह भाजन हमारा,  सुख से कैसे तुम्हारा आभार करूँ

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हिंदुस्तान हमारा है

“वन्देमातरम” से लेकर “जन – गन – मन” तक जो दिल में बसता है यह हिंदुस्तान हमारा है, “खेतों की हरियाली” से “तकनीकी उद्योगों” तक जो निरंतर चलता है यह

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देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता , “3 देश भक्ति कविता”

*1-कारगिल युद्ध गाथा* कारगिल में गूँज उठी थी,शूरवीरों की ललकारपाकर सह शैतानों का जब घुस आए थे आतंकी हज़ारदेश की तब सरकार जगी,सुनकर शैतानों की फुँफकारलेकर राय देश से सारा

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देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता” हेतु कविता – राष्ट्र वंदना

मुक्त चित् प्राण मन से, अहोराष्ट्र की वन्दना हम करेंशुद्ध चित् प्राण मन से, अहोअभ्यर्थना हम करेंराष्ट्र ही शक्ति हैराष्ट्र ही भक्ति हैराष्ट्र में ही हमारी भीअभिव्यक्ति हैमुक्त चित् प्राण

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मैं

*।।मैं।।*मैं चिर नवीन मैं अति प्राचीनमैं खुशमिज़ाज मैं ग़मशीन मुझमें यह संसार समाया हैंमुझसें मोह मोक्ष माया हैं मैं अस्तित्व हुँ , मैं व्यक्तित्व हुँमैं लघुत्व और मैं प्रभुत्व हुँ

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Uchit pratiyogita ( Basant Utsav )

——-“अलौकिक भूलोक”——- पर्वतों की श्रृंखलायें, गान गायें शान का प्रतीक वनस्पति बृक्षादि हैं, तेरे आत्मसम्मान का I तूफान शीत बरसात में भी, अडिग रहना धर्म है प्रदत्त जिनसे जल व

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Uchit Pratiyogita ( 26 th Jan 2021 )

मित्रो! जब जब राष्ट्र को विपत्ति का सामना करना पड़ता है एवं राष्ट्र शत्रु चतुर्दिशीय वार करने में कदाचित नहीं चूकते अपितु धोखाधड़ी का निरन्तर प्रयास करने में अपने को

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“धीर वीर हिन्द के “

मित्रो! जब जब राष्ट्र को विपत्ति का सामना करना पड़ता है एवं राष्ट्र शत्रु चतुर्दिशीय वार करने में कदाचित नहीं चूकते अपितु धोखाधड़ी का निरन्तर प्रयास करने में अपने को

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तुमसे मैं

कह दूँ क्या तुमसे मैं,कह ही दूँ क्या तुमसे मैं,  कहना चाहूँ तुमसे मैं कह देती हूँ तुमसे मैं|| इस जीवन में चाहा जिसको बतलाती हूँ तुमसे मैं|  पंख पसारे

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नए साल में

नए साल में बदलेंगे हालात भीक्या नए साल में?बनेंगी बिगड़ी बात भीक्या नए साल में?तारीखें बदलने से क्यादुख ;सुख में बदल जाते हैं?साल बदलने से क्याहाल भी बदल जाते हैं?बहलेंगे

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हालात ए वतन

देश भक्ति काव्य प्रतियोगिता हालात ए वतन हालात ए वतन जब हम देखते हैदो बूंद पानी को पोछ लेते है लोग । हर कोई मशरूफ ज़िन्दगी की भागमभाग में होश

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पंडित वेंकटरामय्या

  हिंदीतर राज्य- कर्नाटक में हिंदी प्रचार– प्रसार के अग्रणी दिवंगत पंडित के.एस. वेंकटरामय्या(वेकटेश)- (13.03.1918 – 22.06.2008)   विभिन्न क्षेत्रों में अपार साधना करनेवाले कई लोग हम लोगों के बीच

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“देशभक्ति काव्य प्रतियोगिता” हेतु

“देशभक्ति काव्य प्रतियोगिता” हेतु देश का बेटा गैरों ने तो लूटा था, अपनों ने भी लूटा।मॉं से बिछड़े थे जो बच्चे, उन्होंने ही लूटा।ऐसे भी बच्चे थे मॉं के, अपने

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“प्रेम काव्य – लेखन प्रतियोगिता” हेतु

“प्रेम काव्य – लेखन प्रतियोगिता” हेतु हमको भूला न पाओगे क्या भूल गए हमें?दिवाली के दीयों की रोशनी में हम है,उड़ती पतंग के साथ उड़नेवाली हवा में हम है,होली के

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अंतरराष्ट्रीय प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता

 कविता क्रमांक 1  शीर्षक- चाहत न वादे न कशमें न रस्मे बड़ी है| ना चाहत है ,छोटी ना मोहब्बत बड़ी है| हो तुम हमारे ,है हम भी तुम्हारे, बस दिल

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता–शीर्षक=”वज़ूद “

कविता “वज़ूद “ न होते हुए भी तुम्हारा वज़ूद  घेरे रहता है जैसे चंद्रमा को वलय घंटों चलता है मौन सन्लाप तुमसे निकल जाती हूं बहुत दूर तुम्हारे साथ किसी

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देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता

कविता (1)”प्रेम की गहराई” यदि दिल की गहराइयों से प्यार करते हो मुझसे तो सोते फूटेंगे ज़रूर उन्हीं गहराइयों से बहेगा झरना झर-झर,कल-कल हर एक जलकण से जन्मेगा प्रेम मोती

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नीलम जैन की कविता “गुरू”

करुणा का भंडार गुरुसुखों का आधार गुरुज्ञान का विस्तार गुरुतेरी महिमा अपार गुरु जीवन के उद्धारक गुरुज्ञान के प्रसारक गुरुअंधकार के विनाशक गुरुआदर्शों के विचारक गुरु देते मृदुवाणी मुस्कान गुरुबनाते

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प्रेम काव्य प्रतियोगिता में शामिल करने हेतु ।।

        “अधखुली आंखों वाली” सुनिए..जीवन दर्शन मेंरिश्तों के अहमियत परक्या ख्याल है आपका..क्या सच में.. एक स्नेह पूर्ण जीवन जीने के लिएरिश्तों के विभिन्न आयामों केउपर गहन

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गणतन्त्र दिवस है आज भारत में

                                       शीर्षक – ‘गणतन्त्र दिवस है आज भारत में’           गणतन्त्र दिवस है आज भारत में, राष्ट्र ध्वज का  सब करें सम्मान।        

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु…रचना शीर्षक ” बेटी “

बेटी…!!! बेटे की चाह में देखो तो,कैसे बेटी वो छोड़ गए,मुख मयंक आभा से कैसे,वो क्रूर हृदय मुख मोड़ गए…! हरि इच्छा के जो है अधीन,वो भी तुमको स्वीकार नहीं,क्यूं

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प्रेमकाव्य लेखन प्रतियोगिता , “तलाश”

“तलाश” वे वक्त के साथ अपने आपको बदल लेते हैं | हम उनके भीतर झाँकते है | निहारते हैं उनकी परछाईयों को | उनके प्रेम कभी दिखते नहीं | हमें खोजते-खोजते

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क्यों पढ़े संस्कृत हम

देशभक्ति काव्य – लेखन प्रतियोगिता क्यों पढ़े संस्कृत हम ज्ञान की यह खानसंस्कृति की पहचानभाषाओं की जननीदेवभाषा है महान।गागर में सागर समाहितसदियों से यह आदृत।वेद ऋचाएँ गंगा – सीश्लोकों में

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हिन्दी : भारत का अभिमान

हिन्दी : भारत का अभिमान ध्वज हिंदी का चूमता आसमान है अजय हिंदी यह भाषा महान है, पाणिनी की  संस्कृत जन्मदात्री, पाली प्राकृत अपभ्रंश सखी समान है, देवनागरी लिपि ,शब्दों

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

नारी जग की तारिणी नारी जग की तारिणी, नारी जग आधार।नारी जग की शक्ति है, नारी से संसार।।1।। नारी से ही है सुता, नारी से ही मात।नारी बहना रूप है,

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

नारी नारी का सम्मान करो रे, करो नहीं उसका अपमान।ईश्वर की ये अनुपम रचना, मानव जीवन का वरदान।। अस्तित्व नहीं था लहरों का, जलधि यदि नहीं होता आज।शक्ति भक्ति जगत

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महिला दिवस-2021,काव्य प्रतियोगिता हेतु प्रेषित मेरी प्रविष्टि(कविता)

स्वरचित कविता (महिला काव्य प्रतियोगिता हेतु प्रेषित  प्रविष्टि) शीर्षक-“जाग रहीआधीआबादी” जाग रहीआधीआबादी,दु:ख छिपकर अब सोता है। देश मेरा गर्वित है इनपर,सुख-स्वप्नों में खोता है ।। दिन चमकीले,रात सुहानी,घर-घर गूंजे यही

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु , “स्त्री जीवन का सफर”

“स्त्री जीवन का सफर” पलकों के झपकने में जितना वक्त लगता है उतना ही वक्त लगता है एक स्त्री की जिंदगी को मौत तक पहुँचने में देखिए जरा उसकी हत्या 

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चलती नहीं हैं

*******************************हो जहाँ मरुथल वहाँ कश्तियाँ चलती नहीं हैं ।हों अपाहिज अश्व तो बग्गियाँ बढ़ती नहीं हैं ।।देख ले करके जतन स्वार्थ की इस जिन्दगी में ,हो भरी यदि रेत कर

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देशभक्त मां

अंतर्राष्ट्रीय देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु प्रस्तुत रचना देशभक्त मां**** छाती से आंचल लिपटाकर घूमूं सारे गांव रे।एक दिन आयेगा लाल मेरा मैं बैठी अपनी ठांव रे।रोज सबेरे सूरज

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प्रेम काव्य प्रतियोगिता हेतु , साँचा बंधन

साँचा बंधन  सतवर्णी रंगों से सज कर जब कान्हा तेरी प्रीत खिले  राग , अनुराग, भाव, अनुभाव .  सब जीवन राधा को मिले   अधखुले नयन मद से भरे लरजते

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क्या नाम दूँ तुम्हे?

  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कवि सम्मेलन काव्य प्रतियोगिता केलिए क्या नाम दूँ तुम्हें ?   जीना है कब तक देवता का रूप धरकर ? कितनों ने की है दुनिया में

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मैं

‘मैं’, मैं को ढूंढ रही थी, नगर-नगर गली, गली, घूम रही थी, ‘मैं’ की तलाश जारी थी, अब खुद के अंदर देखने की बारी थी, कस्तूरी मृग की नाभि में

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मैं

‘मैं’, मैं को ढूंढ रही थी, नगर-नगर गली, गली, घूम रही थी, ‘मैं’ की तलाश जारी थी, अब खुद के अंदर देखने की बारी थी, कस्तूरी मृग की नाभि में

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पतंग का चस्का और थानेदार का डंडा

 व्यंग्य “पतंग का चस्का और थानेदार साहब का डण्डा “ मकर संक्रांति पर सुबह से ही पतंगबाजी का माहौल था। आसमान में रंग-बिरंगी पतंग, ऊंगलियों के इशारों पर नाच रहीं

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‘देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता ‘ हेतु प्रेम कविता-शीर्षक: प्रेम कुटीर

प्रेम कुटीर————- हम कम बोलते हैं आपसे नज़र मिलाते हैं ज्यादाज्यादा कोशिश तो करते हैं पर टिकनहीं पा रहे हैं दिल कमज़ोर है ज्यादा सोचा रोमियो जैसे पीछे पड़ूं !मजुनू

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अंतरराष्ट्रीय “प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता” हेतु

रचना शीर्षक : “प्रणय निवेदन” विचलित से हैं भाव मेरे,तेरे सम्मुख आ जाने आने पर,फेर सको गर नज़रें तुम,कुछ शब्द लिखूं पैमाने पर…! शब्द, शून्य की सीमा पर,कैसे तारीफ के

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छेडना था : बस यूँ ही

तुमने  ये गजरे कयूॅ नहीं लगाये, चंदन सा बदन क्यो नहीं महका, ये जुलफें वैसे कयूॅ नहीँ बलखाई, तेरा चितचोर इसलिए नहीं बहका, ऐ!इत्ती सी बात पर तुम रूठी मुझसे,

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पुस्तक

  कोने में ,जर्जर सी अकेली खड़ी है,साथियों के साथ एक रैक में पड़ी है।अपने सारे पन्नों को समेटे,ऊपर गंदा सा आवरण लपेटे। थोड़ी बदहवास सी पुरानी लगती है,किसी की

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वसंतोत्सव काव्य प्रतियोगिता हेतु – ‘देखा वसंत में !’

देखा वसंत में फूले सरसों से खेत चमकते फले हरे गेहूं लहराते कू-कू कोयल कूजते पछुवा को डालियों से करते दोल विलास देखा वसंत में ! जहाँ तहाँ  कटते उलझे

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नारी : तेरे बिन जग कुछ सूना है

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के कवि सम्मेलन हेतु   नारी तुम कितनी हो महान,  तुम जग को दे सर्वस्व दान, है कर्म किया कितना महान, बस ये जग करे तुम्हारा मान।

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अंतरराष्ट्रीय प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु प्रेषित कविता कविता का शीर्षक-1 प्रेम..! 2 प्रेम का संसार ऐसे ही..

अंतरराष्ट्रीय प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता- सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 1. कविता का शीर्षक :- प्रेम…! अनुभूति का अद्भुत संगम है       प्रेम…!संवेदनाओं और स्वानुभूति का       मनोरम

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1. “हिन्दुस्तान” 2. “मैं वापस आऊँगा”

_हिन्दुस्तान_ सत्ता के सिंहासन पर विराजे हैतिरंगा हमाराशान है इसकी ऊँची औरहौंसले बांधे हर वक्त हमारा, देशभक्ति नहीं केवलतिरंगा लहरानादेशभक्ति की परिभाषा तो हैहिन्दुस्तानी कहलाना, धर्म,जाति,रंग-रूप का ना कोई वास्ताभारतीय

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता

कविता क्रमांक 1 शीर्षक-  कमजोर नहीं है नारी जरूरी नहीं कि नारी है ,तो बेचारी ही होगी| हां होती है परवरिश थोड़ी अलग,  इसलिए कमजोर दिख सकती है| पर नारी

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मॉरीशस यात्रा संस्मरण

 मारीशस के यात्रा में एक संस्मरण आप सब की सेवा में प्रस्तुत है पिछले साल 2019 जनवरी की बात है हमारा एक साहित्य ग्रुप है उस के माध्यम से हम

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दोनों ही बेज़ुबां निकले

!! दोनों ही बेज़ुबां निकले !! लोगों को जीतने की ज़िद है हम अपनों से खेलने में नादाँ निकले। सब कुछ कह दिया उनसे बातों ही बातों में, पर अभी

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अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन

विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस एवं न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन,

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विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन

विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस एवं न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन,

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता

अंतरराष्ट्रीय “प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता”विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में वसंत उत्सव के अवसर पर आयोजित किए

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अंतरराष्ट्रीय देशभक्ति-काव्य प्रतियोगिता

अंतरराष्ट्रीय “देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता”विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी 2021’

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

अंतरराष्ट्रीय काव्य लेखन प्रतियोगिताविश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस – 8 मार्च 2021”

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साझा संग्रह प्रकाशन योजना

साझा काव्य/ कहानी/व्यंग्य/लघु कथा/ललित निबंध संग्रह प्रकाशन योजनासृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका के सहयोग से न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन प्रकाशन योजना के अंतर्गत विभिन्न विधाओं के साझा संग्रह के

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संवाद

[“संवाद” मनुष्य की मूलभूत जरूरत है, इसके बिना मनुष्य रह पाना ही मुश्किल हो जाता है। विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए जिंदा रहने की चाह की तरह होता है

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साझा कहानी/लघु कथा प्रकाशन योजना

साझा कहानी/लघुकथा संग्रह हेतु:[email protected] विषय : “साझा कहानी/लघुकथा संग्रह प्रकाशन हेतु”न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन विश्व भर में हिन्दी भाषा और साहित्य के प्रचार- प्रसार के लिए कृत संकल्पित

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साझा शोध आलेख प्रकाशन योजना

शोध आलेख प्रतियोगित और साझा शोध आलेख प्रकाशन योजना इस योजना के तहत निर्धारित विषयों पर आधारित श्रेष्ठ 10 शोध आलेख को निशुल्क प्रकाशित किया जाएगा। सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका

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साझा काव्य संग्रह प्रकाशन योजना

रचनाएँ निम्नलिखित ईमेल पर भेजें। साझा काव्य संग्रह हेतु :[email protected] विषय : “साझा काव्य संग्रह प्रकाशन हेतु” न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन विश्व भर में हिन्दी भाषा और साहित्य

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देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु रचना, शीर्षक- तुम फिर याद आओगे

शीर्षक – तुम फिर याद आओगे जब जब वर्षा होगी,जब जब कोयल बोलेंगी,तुम मेरे दिल को बहकाओगे,तुम फिर याद आओगे। रेत के नक्श है मेरी कहानी,जुदाई ने भर दी आँखों

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- प्यार की राह में चलते चलते

संयोग श्रृंगार रस से पूर्ण कविता शीर्षक- प्यार की राह में चलते चलते सुनो प्रिय प्यार की राह में चलते चलते,सहेंगे सुख-दुख हम दोनों हँसते हँसते। तुम ही हो मेरी

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इतिहास और वर्तमान का संधि स्थल हैदराबाद

  रिपोर्ट शीर्षक- इतिहास और वर्तमान का संधि स्थल हैदराबाद तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद,श्रमजीवी लोगों का शहर हैदराबाद,जिसका इतिहास और वर्तमान दोनों ही सुंदर है।यह वह स्थान रहा है जहाँ

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महिला दिवस काव्य काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- “श्रृंगार स्वाभिमान का”

           ”श्रृंगार स्वाभिमान का” बनावटी सुंदरता से परे रहकर  आत्मिक गर्व से जो कर्म करे, आत्म सम्मान निज ह्रदय में रखकर सीना चौड़ा कर जो कदम

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देश भक्ति काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक – “अद्भुत हिंदुस्तान”

“अद्भुत हिंदुस्तान”26 जनवरी 1950 कोहमारे भारत का संविधान बन जाए,राष्ट्रीय पर्व का मिला दर्जा गणतंत्र दिवस का त्यौहार बनाएं, लोकतांत्रिक हिंदुस्तानी बने अब हमतिरंगा खुले चमन में लहराए,सरहद पर तने

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देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता शीर्षक- “अद्भुत हिंदुस्तान”

                   “अद्भुत हिंदुस्तान” 26 जनवरी 1950 को हम हमारे भारत का संविधान बनाए, राष्ट्रीय पर्व का मिला दर्जा  गणतंत्र दिवस का त्यौहार

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अंतरराष्ट्रीय “देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता”

ऐसे हैं हम भारतवासी हिमशिखर उत्तुंग उठा कपाल, चरण पखारता सागर विकराल, गंगा यमुना संचारित रक्तनाल, असम चायबागान लहराते केशबाल,  अद्भुत सोनचिरैया ऐसी, पूरी दुनिया थी अभिलाषी. ज्ञान ध्यान की

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मैं समाज हूँ

मैं समाज हूँ बेटी मैं समाज हूँ।अपराध नहीं है तुम्हारा बेटी होना।मैंने ही तो तुम्हेंसदियों से बेटी बनाया जब जन्मी थी तुमतो सिर्फ इंसान ही तो थीमैंने तुम्हें बेटी बनाया

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“आज की नारी”

8 मार्च 2021 महिला दिवस को आयोजित होने वाली काव्य प्रतियोगिता हेतु स्वरचित रचना। “आज की नारी”ना खेल हैं ना खिलौना हैंना तेरे बिस्तर का बिछौना हैं,खुल के कहेंगें तुुुझसे

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” आज की नारी “

“आज की नारी”ना खेल हैं ना खिलौना हैंना तेरे बिस्तर का बिछौना हैं,खुल के कहेंगें सबसे लड़ेंगेंअब जो होना है सो होना है।। मजबूर किया लाचार कियाएक बार नहीं कई

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आज की नारी

8 मार्च, 2021 महिला दिवस आयोजित काव्य प्रतियोगिता “आज की नारी”ना खेल हैं ना खिलौना हैंना तेरे बिस्तर का बिछौना हैं,खुल के कहेंगें सबसे लड़ेंगेंअब जो होना है सो होना

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“देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता” हेतु कविता – “नमन तुमको देश मेरा”

नमन तुमको           देश मेरा सूर्य चंदा और तारे के सुखद मनहर नजारे हैं सजाते देश को नित स्वर्ण किरणों के सहारे, गोधुली जिसकी सुहानी सुखद है

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नववर्ष

  विधा- मुक्तकशीर्षक- नववर्ष मधुमास की मीठी सुरभित पवन,रसपान कराये घूम कर वन वन।नव वर्ष में शरद का चंदा चमके-सुन्दरी रजनी दमकी भवन भवन।। प्रभा है प्रफुल्लित,तिमिर दूर भागे,वैभव संग

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सजा

संस्मरण शीर्षक- सजा घटना आज से चार-पाँच साल पहले की है। मेरे पति सुबह सुबह ऑफिस के लिए निकलकर हैदराबाद के कारखाना नामक जगह पर पहुँचे थे,सुबह के कारण सड़क थोड़ी

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सजा

संस्मरण शीर्षक- सजा घटना आज से चार-पाँच साल पहले की है। मेरे पति सुबह सुबह ऑफिस के लिए निकलकर हैदराबाद के कारखाना नामक जगह पर पहुँचे थे,सुबह के कारण सड़क थोड़ी

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दलित चेतना और अम्बेडकर

आचार्य गुरुदास प्रजापति महक जौनपुरी 23, मेहरावां, सोनिकपुर, जौनपुर उ0प्र0 [email protected] डॉ0 अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रदेश इंदौर जनपद के महू नामक उपनगर में 14 अप्रैल, 1891 ई0 को हुआ था।

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रोती होगी माँ धरती आँचल अपनी फटती देख

रोती होगी माँ धरती, आँचल अपनी फटती देख आदित्य, इन्दु हैं एक जहाँ, प्राकृतिक दिव्य ज्योति लिए हुए, फिर भी है परस्पर अद्भुत् मेल, लोक प्रकाशित करना है लक्ष्य एक,

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अमूल्य त्रिपाठी की कविता – ‘हिंदी’

भारत की आन है हिंदी,
देश का अभिमान है,हिंदी,
फ़िर क्यूँ एक दिन की मेहमान है हिन्दी.
अंग्रेज़ों की वाकपटुता में,
खो गयी अपनी शान है हिंदी,
आज अनपढ़ो की पहचान है हिन्दी।

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प्रिय प्रेम

प्रेम काव्य प्रतियोगिता   प्रिय प्रेम ! तुम महान हो तुम अमर हो , तुम ओजस्वी होतुम सदियों पुराना विश्वास हो तुम दीपक हो , जो कालो सेजलता आ रहा

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उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों में भविष्य को लेकर बढ़ते हुए तनाव का अध्ययन।

वर्तमान युग औद्योगिकरण, शहरीकरण, प्रौद्योगिक का युग है। इस युग में बदले सामाजिक मूल्यों के कारण पश्चिमी होड़ में शामिल होने के कारण, समाज में ज्ञान के स्थान पर ‘भौतिकवाद’ का प्रभाव ज्यादा हो गया है इन सब के कारण सामाजिक जटिलताएँ अधिक हो गई है इन सब से मानव जीवन में तेज रफ्तार से थकान और तनाव बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में मनुष्य को प्राय: तनावजन्य स्थितियों का सामना करना पड़ता है। अपने भविष्य को लेकर हर मनुष्य के मन में कई प्रकार के प्रश्न होते हैं जिनमें आकांक्षा, उत्साह, प्रसन्नता, भय, तनाव हर स्थिति होती है।

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नीरू सिंह की कविता – ‘श्राप’

जिस आँगन उठनी थी डोली
उस आँगन उठ न पाई अर्थी भी।
क्या अपराध था मेरा?
बस लड़की होना !
अर्थी भी न सजी इस आँगन !
कैसे सजाते? कैसे सजाते?
बटोरा होगा मेरा अंग अंग धरती से !
कफ़न में समेटा होगा मेरी आबरू को !

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“कला बहुत कुछ देती है” – ये ब्रह्मवाक्य ही जीवन का वास्तविक सूत्र है : डॉक्टर संगम वर्मा

“कला बहुत कुछ देती है पर टीडीएस भी काट लेती है।” ये ब्रह्मवाक्य ही जीवन का वास्तविक सूत्र है। और इसी तर्ज पर अंधाधुन फ़िल्म की पूरी कहानी टिकी है

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सपना के ब्याह ने तोड़े बड़े-बड़ों के ‘सपने’

सुबह-सुबह आज पार्क में एक रिटायर्ड मास्टर जी से मुलाकात हो गई। मास्टर जी सपना चौधरी के जबरिया फैन है। रिटायरमेंट के बाद टाइमपास करने में सपना के डांस वीडियो महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। फोन मेमोरी में भले ही उन्हें किसी का कॉन्टेक्ट नंबर फीड करना न आता हो, पर यू ट्यूब पर सपना का कोई भी डांस का गाना चाहे आधी रात को सर्च करवा लो। राम-राम के बाद हुई बातचीत में मास्टरजी थोड़ा असहज से लगे। मैंने पूछा-क्या हुआ मास्टर जी। मास्टरनी से सबेरे सबेरे लठ बाजग्या कै। बोले-नहीं जी, वो अपने सत्संग, भजन कीर्तन में व्यस्त रहती है। सो बहस का अवसर ही नहीं मिलता। मैने पूछा-तो बात क्या हुई।

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फरहत परविन की कविता – ‘सोंधी सी मुस्‍कान’

गहन तिमिर के शांत कक्ष में सुलगाते ही एक चिंगारी हर लेती सारे अवसादों को रश्मिरथी ये तीव्र उजियारी सहेज सब कुछ अंतर्मन में रही बाँधती जिसे निष्काम बिना बोले

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शंकरदेव के रहस्यानुभूति और दर्शन में मानवता

प्रांजल कुमार नाथ शोध छात्र, गौहाटी विश्वविद्यालय, असम भूमिका : भारतीय संस्कृति में असम प्रांत के संत महापुरुष शंकरदेव असमीया सभ्यता और संस्कृति के बाहक है। उनका जन्म ऐसे संकटकालीन

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