न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

“धीर वीर हिन्द के “

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मित्रो!
जब जब राष्ट्र को विपत्ति का सामना करना पड़ता है एवं राष्ट्र शत्रु चतुर्दिशीय वार करने में कदाचित नहीं चूकते अपितु धोखाधड़ी का निरन्तर प्रयास करने में अपने को सक्षम महसूस करने लगते हैं और हमारी तत्कालीन सरकारी व्यवस्थाऐं सुषुप्तावस्था में वातानुकूल कक्षों में मात्र करवटें बदलती रहती हैं, ऐसी विषम परिस्थिति एवं दयनीय दशा में, इन्हें जगाने एवं हमारे वीरसैनिकों के विशुद्ध रक्त में पुनः जीवनवायु प्रविष्ट कर, रक्तसंचालन करने हेतु कविसंग्रह अनेकानेक “वीर-रस” के मन्त्रों का उच्चारण करके इन उच्च कोटि के सैनिकों का हौसला बढ़ाने में, स्वयं एवं देश प्रेमियों को गौरवान्वित होने का श्रेय लेते हैं—-गजराज सिंह I
——–“धीर वीर हिन्द के “———-
शक्ति के प्रचण्ड रूप, भक्ति के अटल छत्र
कीर्तिमान नवजवान, तुम आर्य हो डरो नहीं I
तोड़ तोड़ चीर चीर, विपुल विपुल शत्रु वृन्द
आघात दे मात करो, अरि वार से डरो नहीं II
       विशाल भव्य राष्ट्र के, तुम अरि मात कर रहो I
       धीर वीर हिन्द के, तुम लक्ष्य प्राप्त कर रहो II
ध्वजा एक हाथ में, फिर शस्त्र हो साथ में
रुको न तुम एक पल, चाहे सामने पहाड़ हो I
जोश भरे नारों से, गूँज जाय संसार पुनः
सर्दी गर्मी बारिश में भी, सिंह की दहाड़ हो II
       पराक्रमी आर्यावर्तियो, तुम सीमा पार कर रहो I
       धीर वीर हिन्द के, तुम लक्ष्य प्राप्त कर रहो II
वर्तमान नवजवान तुम, मार्ग अपना प्रशस्त्र कर
विघ्नों को लाँघ कर, शत्रु को पहचान लो I
विचलित हो न राह से, ना दाहिने ना बाहिने
लक्ष्य सबका एक होकर, अड़े रहो बढ़े चलो II
       पुनीत मातृभूमि का, तुम सम्मान कर रहो I
       धीर वीर हिन्द के, तुम लक्ष्य प्राप्त कर रहो II
याद करो गोरों के, निर्मम अत्याचार को
सबक जिसका एक है, शहीद कुर्बानियाँ I
मृत्यु की शैया पर, चढ़ जाओ बार बार तुम
बन जाओ भारतभूमि की, अमिट ये निशानियाँ II
       सर्वसम्पन्न राष्ट्रपुत्रो! “गज” उत्साहित कर रहो I
       धीर वीर हिन्द के, तुम लक्ष्य प्राप्त कर रहो II
 ——————–गजराज सिंह—————–
 

Last Updated on January 8, 2021 by gajrajsingh2000

  • Gajraj Singh
  • Area Authority ( Gas Production-Retired )
  • Qatar Petroleum, Govt. of Qatar
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