प्रेम काव्य प्रतियोगिता
प्रिय प्रेम ! तुम महान हो
तुम अमर हो , तुम ओजस्वी हो
तुम सदियों पुराना विश्वास हो
तुम दीपक हो , जो कालो से
जलता आ रहा है
तुम पूजा हो , तुम तपस्या हो
तुम मधुर एहसास हो
तुम जानवर को इंसान ,
इंसान को देवता ,
देवता को ब्रह्मा विष्णु महेश
बना सकते हो
तुम खुद तो महान हो
औरों को भी महान
बना सकते हो
अगर जरूरत है तो सिर्फ डूबने की जितना डूब सकते हो ।
उतना डुबो ,अपने अंदर खोजो ।
अपने आपको टटोलो ,
जो खजाना तुम्हारे अंदर
समाया हुआ है।
मेरे अंदर समाया हुआ है
हम सब के अंदर समाया हुआ है ,
उसे बाहर निकालो ।
इस हाड – मास के शरीर में से
कुछ खोजो , अपने आप को पहचानो तुम कमजोर नहीं हो
तुम छोटे भी नहीं हो
अपने को तुच्छ मत समझो।
तुम तीनो लोको के स्वामी हो
तुम इंसान हो ,
इंसान जो प्यार के लिए
मिट गया ,मिट रहा है
जिसने प्यार को जाना है
उसने अपने अस्तित्व को पहचाना है। प्यार सौदा नहीं
प्यार समझौता भी नहीं
प्यार तो सिर्फ समर्पण है
त्याग है , बलिदान है
एक दूसरे के प्रति
पूर्ण रूप से निस्वार्थ मन से
समर्पित
हो जाना ही प्यार है ।
प्यार है तो संघर्ष है
क्योंकि प्यार सुकून नहीं
प्यार बेकरारी है
प्यार वासना नहीं
प्यार तो दो आत्माओं का मिलन है
जो सदियों से ,
कालो से विश्वास पर टिका हुआ है
क्योंकि , प्यार का एहसास
तब होता है
जब जुदाई का गम तड़पाता है
प्यार झुकता नहीं
प्यार तो उठना है
प्यार इंसान को
हर पल , हर लम्हा
एक शक्ति देता है
ऊर्जा देता है
जिसका एहसास वह सदा
अपने अंदर करता है
- कमल राठौर साहिल
शिवपुर मध्य प्रदेश - मोबाइल- 9685907895
Last Updated on January 4, 2021 by rathore777kk
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