
rathore777kk

Facebook
Twitter
LinkedIn

अनूदित कविता

Stree
स्त्री जब खुश होती है बर्तन माजते माजते कपड़े धोते-धोतेरोटी बेलते बेलते सब्जी में छोका लगाते लगातेभी गुनगुनाती
January 4, 2021
No Comments