न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

अंतरराष्ट्रीय देशभक्ति-काव्य प्रतियोगिता

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अंतरराष्ट्रीय “देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता”
विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी 2021’ को शाम4 बजे (भारतीय समयानुसार) के अवसर पर आयोजित किए जाने वाले ‘अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन’ हेतु उत्कृष्ट रचनाओं के चयन हेतु “देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता” आयोजित की जा रही है।
उत्कृष्ट कविताओं के रचनाकारों को भारतीय गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी 2021’ को शाम4 बजे (भारतीय समयअनुसार) आयोजित किए जाने वाले ‘अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन’ में काव्य पाठ का अवसर दिया जाएगा और सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका (https://srijanaustralia.srijansansar.com) में प्रकाशित किया जाएगा।
पर्याप्त संख्या में उत्कृष्ट रचनाएं प्राप्त होने पर उन्हें , न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन द्वारा आईएसबीएन युक्त पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा जिसकी पीडीएफ़ प्रति सभी सम्मिलित रचनाकारों को निशुल्क उपलब्ध कारवाई जाएगी। इसके साथ ही पुस्तक का समुचित प्रचार-प्रसार किया जाएग।
प्रतियोगिता हेतु (केवल https://srijanaustralia.srijansansar.com/साहित्यिक-रचनाएं-शोध-आले/ पर) कविताएं भेजने की अंतिम तिथि : 12 जनवरी 2021 है।

प्रतियोगिता के नियम और शर्तें :-

  1. विश्व के सभी देशों के रचनाकार इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं
  2. प्रतियोगिता हेतु भेजी जाने वाली कविताएं देशभक्ति केंद्रित विषयों पर होनी चाहिए।
  3. कविताएं यूनिकोड फॉन्ट में टाइप की हुई वर्ड फॉर्मैट में ही भेजें।
  4. कविता के अंत में रचनाकार का नाम, पदनाम, संगठन, पूरा डाक पता, ईमेल पता, मोबाईल नंबर और वट्स्ऐप नंबर अवश्य लिखें।
  5. प्रतियोगिता हेतु भेजी जाने वाली कविता मौलिक एवं स्वरचित हो एवं किसी भी तरह के कॉपीराइट मामले से स्वतंत्र हो।
  6. कविता में किसी भी धर्म / जाति / समूह / स्थान / प्रदेश / देश के लिए अपमानजनक या आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग निषेध है।
  7. एक से अधिक कविताएँ भी भेजी जा सकती हैं। यदि एक प्रतिभागी द्वारा एक से अधिक कविताएं भेजी जा रही हैं तो सभी कविताएं एक ही फाइल में भेजें। निर्णायकों द्वारा आपकी सिर्फ श्रेष्ठ कविता चुन कर प्रतियोगिता में शामिल की जाएगी।
  8. प्रतियोगिता के निर्णायक मण्डल का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
  9. पर्याप्त संख्या में गुणवत्ता पूर्ण रचनाएं प्राप्त न होने की स्थिति में प्रतियोगिता को रद्द किया जा सकता है। इस संबंध में प्रतियोगिता आयोजकों का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा।
  10. प्रतियोगिता के विजेताओं को उनकी कविता के साथ दिये गए मोबाईल नंबर / वट्स्ऐप नंबर पर सूचित किया जाएगा और साथ ही सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका के फ़ेसबुक पेज, टेलिग्राम चैनल एवं सभी वट्स्ऐप में साझा किया जाएगा।
  11. प्रतियोगिता हेतु काव्य रचनाएं केवल https://srijanaustralia.srijansansar.com/साहित्यिक-रचनाएं-शोध-आले/ पर ही स्वीकृत की जाएंगी। इस लिंक पर प्रतियोगिता हेतु कविता पोस्ट करने से पहले आपको अपना अकाउंट बनाना होगा जो कि 1-2 मिनट की आसान सी प्रक्रिया से बन जाएगा। प्रतियोगिता हेतु कविता पोस्ट करने के लिए विषय / टाइटल में “देशभक्ति-काव्य लेखन प्रतियोगिता” हेतु कविता – कविता का शीर्षक” अवश्य लिखें।
  12. प्रतियोगिता के निर्णय में 75% अंश निर्णायकों द्वारा दिये गए अंकों का एवं शेष 25% अंश https://srijanaustralia.srijansansar.com पर प्रकाशित की गई प्रतियोगी कविताओं पर प्राप्त टिप्पणियों का होगा।
    संपर्क : श्री मनोरंजन तिवारी, उप संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका +91 98990 18149
    (कृपया संपर्क करने हेतु अपना नाम, पदनाम, संगठन, शहर/जिला/कस्बा/ राज्य, देश और ई-मेल पता व्हाट्सऐप संदेश में भेजें)

Last Updated on January 9, 2021 by Manoranjan Kumar Tiwari

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10 thoughts on “अंतरराष्ट्रीय देशभक्ति-काव्य प्रतियोगिता”

  1. अंतरराष्ट्रीय देशभक्ति कविता लेखन प्रतियोगिता-2021
    में प्रेषित प्रविष्टि-
    “देशभक्ति कविता”
    स्वरचित, मौलिक,सर्वथा अप्रकाशित एवं अप्रसारित
    देशभक्ति कविता —-

    शीर्हषक- “हमरा तिरंगा”

    हमरा तिरंगा गगन में लहराए रे
    हमरा तिरंगा..हमरा तिरंगा
    इस झंडे में तीन रंग साजें
    जी तीन रंग साजैं..
    सब रंग महिमा से भरके बिराजैं..
    जी भरके बिराजैं..
    इसपे मनवा भी वारि-वारि जाए रे..
    हमरा तिरंगा ………लहराए रे
    हमरा तिरंगा

    भगवा रंग कहे वीरों की गाथा
    जी वीरों की गाथा
    सब ही नवाएं उनको जी माथा
    हां उनको जी माथा ..
    देस की खातिर प्रानों को लुटवाए रे..
    हमरा तिरंगा……….लहराए रे
    हमरा तिरंगा..

    रंग सफेद का सबसे ही नाता
    जी सबसे ही नाता..
    मिलके रहो ये संदेसा सुनाता
    संदेसा सुनाता..
    मन का कबूतर चिहुंके उड़ा जाए रे..
    हमरा तिरंगा……….लहराए रे
    हमरा तिरंगा …

    खेतों में सबके ही झूमे हरियाली
    जी झूमे हरियाली..
    झोली रहे ना किसी की भी खाली..
    किसी की ना खाली..
    ये हरा रंग हमें तो जतलाए रे
    हमरा तिरंगा ……..लहराए रे
    हमरा तिरंगा

    चक्र बना बीच हौले से बोले
    जी हौले से बोले..
    चौबीसों घंटे चलो मेरे भोले
    चलो मेरे भोले..
    चलना होगा समय न निकल जाए रे..
    हमरा तिरंगा ……..लहराए रे
    हमरा तिरंगा

    ——

    स्वरचित -(देशभक्ति कविता)
    रचयिता-डा.अंजु लता सिंह ‘प्रियम,नई दिल्ली ‘

  2. भोलानाथ कुशवाहा

    देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता के लिए शुभकामनाएँ

    1. Nand lal mani tripathi pitambar

      ———तन वतन के लिये
      मन वतन के लिए
      भाव भावनाए वतन का प्रवाह
      वतन ही जिंदगी वतन ही पहचान ।।
      वतन पर जीना मरना ही
      ख्वाब हकीकत अरमान
      वतन सलामत रहे
      वतन से ही रिश्ता खास अभिमान ।।
      वतन की संस्कृति संस्कार तिरंगा
      शान स्वभिमान तिरंगा
      वंदे मातरम माँ भारती के
      आराधन का मूल मंत्र सम्मान तिरंगा।।
      सीने में वतन की जज्बे की ज्वाला।
      सांसो धड़कन की गर्मी
      वतन की अस्मत प्राण।।
      चाहे जितने भी आये माँ
      भारती को बनाने गुलाम
      त्याग बलिदानी धरती के माँ
      भारती के बीर सपूतों ने माँ भारती की आजादी की रक्षा में दे दी जान।।
      वतन की राह चाह में हो
      गए कुर्बान ना कोई अफसोस
      ना कोई ग्लानि हँसते हँसते
      लड़ते तिरंगे को दिया ऊंचाई
      आसमान।।
      दुश्मन जो आंख दिखाए
      उसका कर दे वो हाल
      जल बिन जैसे मछली तड़पे
      पानी बिन तरसे जीवन को
      मौत की मांगें भीख मर्दन कर दे
      कर दे मान।।
      वतन धर्म ,वतन कर्म दायित्व
      सपनो में भी वतन भौतिकता
      नैतिकता में वतन की गरिमा
      गौरव का पल पल मर्यादा की
      गौरव गाथा गान का भान।।
      आजादी के दीवानों परवानों के
      बलिदानों के उद्देश्य पथ का पथिक
      स्वतंत्रता गणतंत्र के मौलिक
      मूल्यों का अवनि आकाश आन
      वान का जीवन जान।।

      नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर प्रेम—-–—–

  3. *सेवानिवृत्त हिंदी व्याख्याता एवं विभागाध्यक्ष
    *संचालिका- प्रतिभा विकास मिशन,समाजसेवी संस्था
    *वरिष्ठ उपाध्यक्ष – राष्ट्रीय महिला काव्य मंच, द.दिल्ली इकाई.

  4. सभी हिंदी प्रेमी साहित्यकारों को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएँ 🙏
    भाषा नदी की निर्मल धारा,
    रोके न रुक पाएगी|
    परंपराओं- सीमाओं के बंधनों से टकराकर,
    आगे…,आगे बढ़ती जाएगी||
    यह सत्य है कि हमारी हिंदी भाषा शैशवावस्था से निकल कर परिपक्वता हासिल कर चुकी है| हिंदी साहित्य की जननी, जन-जन की भाषा अर्थात राष्ट्र भाषा है| यह हमारे भविष्य की भाषा है| यह हमारी अपनी भाषा है अत: इसका सम्मान हमारा अपना सम्मान है|
    हाँ यहाँ यह बात तो है कि हमारे बोल- चाल में प्रयुक्त हिंदी महत्वाकांक्षा और रोजगार के पटल पर थोड़ी पीछे रह गयी है परंतु निरंतर और तीव्र विकास करती हमारी हिंदी आज के दौर में डिजिटल मीडिया पर मज़बूत पकड़ बनाने को तैयार है|
    हिंदी प्रचार -प्रसार में हिंदी फ़िल्मों ने अहम भूमिका अदा की है|
    क्या आप जानते हैं कि भारत की 60% फ़िल्में हिंदी में बनती हैं और देश ही नहीं,विदेश में भी हिंदी फ़िल्मों के चहेते बहुत हैं| यही वजह है कि विश्व स्तर पर अगर बात करें तो हर चौथी फ़िल्म हिंदी होती है| अगर हम दूरदर्शन की बात करें तो आज भले ही क्षेत्रीय आधार पर बहुत से चैनल चल रहे हैं परंतु जहाँ बात हिंदी चैनलों, धारावाहिकों या हिंदी कार्यक्रमों की आती है वहाँ हिंदी को ही अधिकांश जनता पसंद करती है| इसलिए सिनेमा, मीडिया और हिंदी का नाता हिंदी के विकास का आधार है|
    जब हमारे देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अपने संदेश हिंदी में प्रसारित करते हैं तो हिंदी अपनेपन का बोध कराती है| हम कहते हैं कि हिंदी रोजगार के पटल पर थोड़ी फिसड्डी है परन्तु आजकल खुशी की बात है कि रोजगार के लिए जब लोग प्रदेशों की सीमाएँ पार करते हैं तो अंग्रेज़ी के साथ -साथ हिंदी का भी आदान- प्रदान होता है| देश के विभिन्न क्षेत्रों यहाँ तक कि दक्षिण भारत में भी हिंदी भाषियों का बहुत बड़ा वर्ग है जिस कारण भारत के दक्षिणी क्षेत्र में भी हिंदी विकास कार्य प्रगति पर है|
    हिंदी भाषा के विकास की महत्ता को इस बात से भी आंका जा सकता है कि विश्व की शीर्षतम साफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अपने उत्पादों को हिंदी में बनाना शुरू कर दिया है जो इस बात का प्रमाण है कि हिंदी की डिजिटल मार्केट में भी लोकप्रियता बढ़ रही है| मोबाइल कंपनियों को अपने हैंडसेट भारतीय भाषाओं में बदलने पड़े| भारत के जनमानस पर हिंदी का वर्चस्व है| बैंक एटीएम, सरकारी – गैर सरकारी फार्म या अन्य कार्यविधियाँ सभी में हिंदी विकल्प की आवश्यकता पड़ती है अतः यह कहना गलत नहीं है कि हिंदी आज इंटरनेट की सीढ़ियों पर सवार हो सभी कार्यालयों और सोशलमीडिया की वेबसाइट, फेसबुक, वाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि में पहुँच बना चुकी है| अंग्रेज़ी- हिंदी समाचार चैनलों में हिंदी चैनलों की डिमांड और टी.आर. पी. अधिक है| विकीपीडिया भी इस बात को स्वीकार चुकी है और उसने अपनी सारी ज्ञान सामग्री को हिंदी में अनुवादित करवाना शुरू कर दिया है|
    आज के परिपेक्ष्य में हिंदी एक अहम लोकप्रिय भाषा बन कर उभर रही है| हिंदी भाषा की यह प्रकृति और प्रवृत्ति है कि सबमें समाहित हो जाना या सबको अपने स्वरूप में समाहित कर लेना| इसलिए हमें हिंदी भाषा पर गर्व है|
    हिंदी मेरी आत्मा, हिंदी मेरा आकार,
    हिंदी मेरी कल्पना, हिंदी- लेखन का आधार,
    हिंदी है पहचान मेरी, हिंदी है मेरा स्वाभिमान,
    हिंदी भाषा का सम्मान, जय -जय हो हिंदुस्तान|
    ……. प्रेम लता कोहली

  5. शिवमंगल सिंह

    पापा ! कब आयोगों ?
    —-++++++++++++
    जब वह सैनिक
    देश के सरहद पर जाने के लिए
    वर्दी पहन रहा था
    उसकी माँ
    अपने सैनिक बेटे को
    सुरक्षित लौट आने के लिए
    ईश्वर से प्रार्थना कर रही थी
    बीमार पिता
    उसकी चिंता करके
    बहुत बैचेन हो रहे थे
    पत्नी के आंसू थम नहीं रहे थे
    छोटी बहन का चेहरा
    बेहद उदास हो गया था
    बच्चे बार बार प्रश्न कर रहे थे
    पापा अब कहाँ जा रहे हो
    वह सैनिक अपने प्रिय जनो
    जल्दी ही लौट आने आने के लिए
    आश्वस्त अपने हुए
    अपने परिवार जनो के
    अंनत कामनाओं बोध लिए
    वह सैनिक निकल पड़ा
    अपने बचपन में दिनों की
    स्मृतियों को ताजा करते हुए
    वह सैनिक अपने देश के सरहद पर पहुँच कर
    देश की सुरक्षा के लिए
    तैनात हो गया
    इसी बीच वह वीर जवान
    दुश्मनों के षड्यंत्रकारी योजना को
    ध्वस्त करते हुए
    दस – बारह को मार गिराया
    किंतु, , इसी बीच
    इस वतन के लिए
    जननी जन्म भूमि के लिए
    अर्पित किया
    अपने प्राण सुमन
    जब तिरंगे में लिपटा
    उसका पार्थिव शरीर घर आया
    चारों ओर कोहराम मच गया
    जन सैलाब नत मस्तक हो गया
    कहाँ है
    बच्चों के खिलौने
    पत्नी के सुहाग
    बीमार माता-पिता की दवाइयाँ
    बहन के लिए किताबें
    उसके अंतिम संस्कार के समय
    तीन वर्षिय बालक
    उसकी चिंता को अग्नि दे रहा था
    आसमान बादलों से ढक गया
    बिजली जोर -जोर से कड़कने लगीं
    प्रकृति के आंसू
    वर्षा के बुन्द बनकर
    धरती पर टपकने लगी
    उस अमर जवान के चीता के साथ ही
    उसके माता पिता
    पत्नी , बच्चों और बहन के
    भविष्य की समस्त कामनाएं
    तेजी से जल रही थी
    इधर राजनीति के खिलाड़ी
    टी वी चैनल में बैठ कर
    तरह -तरह के बयानबाजी कर रहे थे
    किंतु , उस वीर सपूत के
    बच्चों के सवाल
    सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में गूंज रहे थे
    मम्मी – मम्मी पापा कब तक आयोगे?
    शिवमंगल सिंह

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