न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

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तुम राम नहीं बन सकते तो…!!

निंदित कर्मों के बीच फंसे,सत्कर्मों के अभिराम बनो,तुम राम नहीं बन सकते तो,कण के इक भाग सा राम बनो। पर निंदा की तुम धारा में,बहते ही बहते जाओगे,कलुषित मन के

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जीवनसंगिनी…!!!

प्रीत की रीत कहूं तुमसे,दिल उनसे आज ये जुड़ बैठा,प्रीत की परछाई लेकर,मन उनको आज ले उड़ बैठा। फिर साथ मिला तेरा मुझको,जीवन में तुम मेरे आए,फेरों से वचन पिरोया

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मत हो कृतघ्न…!!!

वो तुच्छ समझता था जिसको…उसने ही उसका साथ दिया…वक़्त ज़रा बदला उसका…देखो कैसे अभिशाप दिया… जो ना दे कुछ वो दाता तो…अपमान भला यूं क्यूं करना…दुष्ट निकम्मों मक्कारों का…सम्मान भला

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी—————————-जानती हूँ मैं,और भीतर ही भीतर मानते हो तुम भी,कि सच्ची हितैषी हूँ तुम्हारी।पर व्यक्त करने का तरीका तुम्हारा, शायद अलग है । मैं पुरुष नहीं, बदल

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नशा

#नशा ये -धुआँ भी चीज अजीब है नशा इसका बेमिसाल है, जकड़ता है लोगों को गिरफ्त में धीरे -धीरे, ये -धुआँ भी चीज अजीब है | भूल जाते हैं लोग

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“महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता” हेतु कविता।

बेटियाँ घर मेरे मौसम की, बहार आयी, घर मेरे  शबनम की, फुहार आयी, दे दिया तोहफ़ा, मुझे कुदरत ने, बागीचे में मेरे, एक कचनार आयी।   ओस सी नाज़ुक, मासूम

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“प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता” हेतु कविता।

एहसास मन भावों को कैसे उकेरूं, शब्द नहीं हैं पास मेरे, कैसे गढ़ू मैं चित्र घनेरे, रंग नहीं हैं पास मेरे।   एहसासों के बादल बरसें, चढ़े रंग तेरे प्यार

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तुम लौट आओ

  शीर्षक -” तुम लौट आओ”                                            वो सुर्ख़ ग़ुलाब

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फूल-फूल पर !

     फूल-फूल पर ! फूल-फूल पर लिखी है बात,मनभावन सूरत उसके पास ।आया सावन बरसे बदरा,ओड़ कर आई काली चदरा ।।उड़ी फुहार भीगी कलियां,उड़ी सुगन्ध महके अंगना ।भौंरों का

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अपना कौन?

अपना कौन ?——————-आज ही 10 बजे से बी.एड का पेपर है और साथ में नन्हे-नन्हे दो बच्चे और बुआ जी ने घर छोड़ने का अल्टीमेटम दे दिया कि “अभी घर

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103 साल के युवा : हमारे गोखले बुवा

103 साल के युवा : हमारे गोखले बुवा                महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी एवं ऐतिहासिक शहर पुणे के भी हर पुराने शहर की तरह दो चेहरे हैं, एक पुराना और

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गीत

भीगी पलकें , स्वप्न अधूरे ,किंतु निराशा में हो आशा,यही जगत की है परिभाषा ! कभी मार खाकर मौसम की ,दीपक एक हुआ बुझने को ,पर उसके मन के साहस

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स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद   दीन- हीन के उत्थान पथ पर, जग जीवन को किए उजागर। भारतीय संस्कृति के निकुंज, सकारात्मकता का साकार पुंज।   राष्ट्र प्रेम का स्रोत और गुणी, विवेक

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गीत

ज़िंदगी में जो पढ़ा है,सब निरर्थक जान पड़ता,आचरण के पाठ सारे,पाठ्यक्रम से हट गये हैं ! रीढ़ पर अपनी खड़े होकर चले ,रात को हम दिन भला कैसे लिखें,मापदण्डों पर

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नए अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए भारत है सफलता की कहानी

[ जो बेडेन के सामने  बराक ओबामा की बजाय चुनौतियां बहुत कम है. पिछले चार साल की कमियों को पूरा करना ही उनका लक्ष्य होगा. इंडो-पेसिफिक संबंधों पर जोर, इंटरनेशनल संस्थाओं में सक्रियता, जलवायु एवं पर्यावरण के मुद्दों पर बातचीत एवं सभी अमेरिकियों को साथ लेकर चलना उनके सामने बड़ी चुनातियाँ होगी. संयुक्त राज्य अमेरिका के 46 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने वाले जॉ बिडेन के साथ डेमोक्रेटिक सूरज ने आखिरकार ट्रम्प प्रशासन पर कब्जा कर लिया है. नई दिल्ली अगले कुछ हफ्तों तक वाशिंगटन पर कड़ी नजर रखने जा रही है ताकि यह समझ सके कि भारत-अमेरिका के संबंध कैसे आकार लेंगे.]

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परिधि

परिधि चक्कर लगाती रही वह बचपन से ही गोल गोल परिधि के भीतरपृथ्वी की तरह लगातार कभी कभी अनजाने मेंकभी कभी जानबूझकर कभी कभी जबरदस्ती परिधि बदलती रहीपरिधि के निर्माता

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परिधि

परिधि चक्कर लगाती रही वह बचपन से ही गोल गोल परिधि के भीतरपृथ्वी की तरह लगातार कभी कभी अनजाने मेंकभी कभी जानबूझकर कभी कभी जबरदस्ती परिधि बदलती रहीपरिधि के निर्माता

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फूल जैसी बेटी

फूल जैसी बेटियों का ध्यान रखता हूंँ यहांँ सुखद पल अनमोल क्षण मेंबेटियांँ रहती हैं मन में …..जगमगाते हुए सदन में – २गुणगान करता हूंँ यहांँ फूल जैसी बेटियों का

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता – अब जागो माँ !

अब जागो माँ ! अब औरतों को गड़े मुर्दे उखाड़ने की आदत बदलनी होगी इतिहास के पन्नों में छिपे उन उदाहरणों को भी चुनना होगा जहाँ स्त्री शक्ति है दुष्टों

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता – स्त्री

स्त्री सम्मान है पृथ्वी का, प्रकृति का समाज की रगों में बहता गर्म लहू है धड़कन है परिवार की संबधो का ऊँचा मस्तक है सपनों भरी आँख है बच्चों की

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता – “औ” से औरत

“औ” से औरत और भी बहुत कुछ है “औरत” जीवन की वर्णमाला में माँ, बहन, बेटी बहु,पत्नी, सखी के रिश्तों से परे भी है औरत वो जो सुबह उठते ही

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महिला काव्य प्रतियोगिता

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता 1.फिर देखो फिर देखो… हम नदी के दो किनारे हैं , जब चलना साथ है तो इतना आघात क्यूँ तुम तुम हो तो मैं मैं क्यूँ

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता शीर्षक : ” प्यार का पौधा “

  ” प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता”  शीर्षक  : ” प्यार का पौधा ” ———————————–प्यार को यूँहीं नफरत में ,बदला न करो ।तड़पते दिलों जैसी बातें ,किया न करो।। बीत जाएँगे

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता

काश!मैं सही से समझ पाऊँ.. बंधन में ना बांधू और तुम्हें कभी बाध्य भी ना करुँ,बिना कहे तुम्हारे शब्दों को मैं सही से समझ पाऊँ…व्याकुलता महसूस कर तुम्हारी कभी तुम्हें

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शीर्षक : ” काश एक बार कहा होता “

मुझे क्या ! मालूम था कि तुझे,मुझसे मोहब्बत थी इतनी। अगर साहस और प्रेम भाव थे पास तेरे ।कह देने में गुनाह क्या थी।।नदी की धारा बहती है,वो भी कुछ

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शीर्षक — ” मातायेँ लें संकल्प “

अन्तर्राष्ट्रीय महिला काव्य प्रतियोगिता शीर्षक  — ” मातायेँ लें संकल्प “ ********************** माताएँ लें संकल्प!!तभी बदलेंगी काया-कल्प!!जब तक रहेगी मन में,उमंगे भरी खुशहाली।तब तक छाई रहेगी हमारे ,जीवन की हरियाली।।जल

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

युवा किशोर कोमल कलीकिसलय आवारा अहंकार केपुरुष समाज में रौदी जाती नारी।।लज्या भय की मारी कभीखड़ी न्यायालय में कभी किसीकार्यालय में खुद के सम्मान कीगुहार लगाती नारी।।आँखे सुनी ,आँखे सुखी

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

संवेदनाओं के सभ्य समाज काआधार अभिमान मै हूँ नारी।।बहन बेटी माँ हूँ नरोत्तम पुरुषोत्तम की हूँ निमात्री।।ऐसा भी हो जाता है अक्सरनारी ही नारी की दुश्मन नारी पर भारी।।सदमार्ग पर

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

बेटी बेटों में ना हो फर्कशिक्षा दीक्षा प्यार परिवरिशमें ना हो अंतर।।बेटी ही कल की माँ बहनरिश्तों की अवतारी नव दुर्गाकी नौ रूपों की बेटी ही लक्ष्मी शिवा सरस्वती देवोकी

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु ‘प्रेम आहुति”

प्रेम आहुति एक दिवस मानस पटल पर, हर निश्चित रंग अटल पर । एक नवीन चित्र उभर कर आया, जो विस्मित उर को कर लाया ॥                 नदिया के उस

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता। ‘हे नारी’

हे नारीहे नारी आपकी जिम्मेदारी, कब तक कौन निभाएगा|ले लो हाथ में खंजर अपने, अब कोई बचाने नहीं आएगा|लूटने से पहले तो कम से कम, दे दो जख्म इतने सारे|

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता। ‘हे नारी’

हे नारीहे नारी आपकी जिम्मेदारी, कब तक कौन निभाएगा|ले लो हाथ में खंजर अपने, अब कोई बचाने नहीं आएगा|लूटने से पहले तो कम से कम, दे दो जख्म इतने सारे|

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता

प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता- तुम्ही से है    शिकायत भी तुम्हीं से है,शरारत भी तुम्हीं से है। मेरी आँखों में दिखती जो,नज़ाकत भी तुम्हीं से है। दीवानगी का

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कवितायें

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- बलात्कार एक कुकृत्य  मन कुंठित हो जाता है,जब छपती है तस्वीर कोई।सिसकियों में भी चीखती है,दर्द की खिंची लकीर कोई। दरिंदगी की हदें पार

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता/बेटियां नहीं होती पराया धन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता  कविता-बेटियां कभी नहीं होती पराया धन बेटियां कभी नहीं होती पराया धन ये सोचकर न कर दो कोख से ही अंत, बेटी बनकर लक्ष्मी आई

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता/बेटियां नहीं होती पराया धन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता  कविता-बेटियां कभी नहीं होती पराया धन बेटियां कभी नहीं होती पराया धन ये सोचकर न कर दो कोख से ही अंत, बेटी बनकर लक्ष्मी आई

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता

कविता    जाने क्यों? जाने क्यों लगता है, भूलाने लगे हो तुम मुझको, वक्त की गीली मिट्टी के आगोश में, बेवजह दफन कर्नर लगे हो मुझको , संग तुम्हाते मैं

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- “डर “

—————————————————डरऔरत लेकर पैदा नहीं होतीमाँ के पेट से..उसे चटाया जाता है घुट्टी में मिलाकरपिलाया जाता है माँ के दूध में घोलकरखिलाया जाता है रोटी के कोर में दबाकर सिखाया जाता

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महिला दिवस कविता प्रतियोगिता

1)घुंगरुओं की वेदना नहीं मन।रुक जाओ।यह नृत्य नहीं,विवशता हैजो–धक्का लगाकरगिराती है नर्क मेंऔर फिर–पटक वाती है उसके पांवज़मीन पर और-मोद में डूबे तुमइसे नृत्य कहते हो मन,मत खो जानाइन घुंघरुओं

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प्रेम काव्य प्रतियोगिता/नैन

प्रेम काव्य प्रतियोगिता कविता-नैन नैन मेरे मिले पिय के नैंन से पिय हो गए मेरे मैं तो हो गई पिय की, आई ऐसी विपदा पिय गए परदेस नैंसी मेरे आंसू

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महिला दिवस पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता हेतु

(1)औरतें प्रेम में तैरने से प्यार करती हैं***** ऐसा नहीं था कि वह रोमांटिक नही थी.. पर दमन भी तो था उतना ही तुम्हें देख बह निकली…अदम्य वेग से समन्दर

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रुहें आजाद घूमा करती

उस वक्त रुहें आजाद घूमा करती कभी दरख्तों के कंधों पर बैठती कभी तृणों के दलों पर कभी चींटी के मुंह में कभी सांप की कैंचुल में   लेकिन ना

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रचना

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नारी ईश्वर की अनमोल कृति

नारी, ईश्वर की अनमोल कृतिदेवी, सती ना जाने किस किस रूप में है बसी,संगीत के सात स्वरों सी मधुरिम है इसकी हंसीइसकी बुलंदियों का प्रकाश सम है रवि – शशि

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महिला दिवस पर आयोजित काव्य प्रतियोगिता हेतु

सबसे बड़ी भूल ****** जिस कलम से मुझे इंकलाब लिखना था उसी कलम से मैंने इश्क़ लिखाजिस रात मुझे हक़ की ज़रूरी लड़ाई लड़नीं थी उसी रात मैंने प्रेम में

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता – दबे रंग की स्त्री

  प्रेम रखती हैंसुझाव देने वालीस्त्रियाँ सभीएक अरसे सेअनुभव पिया है सबने। गर्भवतियों कोदी जाने वाली सलाह मेंसबसे पहले आता हैसमाधान रंगभेद का। सुनो बहनज़रूरी है गौरवर्णकैसे देगी जन्मएक गोरी

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता

इक अरसा हो गया तुम मुझसे मिले भी नहीं इक अरसा हो गया तुम मुझसे मिले भी नहीं,इस बार मिले भी तो तुम कुछ घुले-मिले नहीं,न जाने ऐसा क्यों लगा

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नेता जी सुभाष चंद्र बोष

नेताजी पर लेख   लेखक का परिचयनाम= नन्दलाल मणि त्रिपाठी (पीताम्बर )पता =C-159 दिव्य नगर मदन मोहन तकनिकी विश्व विद्यालय के पास श्री हॉस्पिटल लेन नहर पार करते हुए दिव्य

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अद्वैत

  अद्वैत एक स्त्री चाहिए मन  को समझने के लिए जिसके समा जाऊ जार जार रो सकूँ पोर पोर हँस सकुँ बता सकूँ हर वो बात जज्बात जो मन  में

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“महिला दिवस काव्य लेखन प्रतियोगिता- रेड लाइट एरिया”

#रेड लाईट एरिया#   हम अपनी जमात में अगर बात कर दें रेड लाईट एरिया की तोकई जोड़ी आँखों के साथ घर की दीवारें भी ऐसी घूरती हैं जैसे,जवान होती बहन से

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“अंतराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता” शीर्षक”मां”

माँ:::::::::माँ ही शिक्षक महान जगत में अच्छा पाठ पढाती है।हिम्मत और होंसला दे कर,आगे सदा बढाती है।।1।।माँ दुनिया की महान विभूति,त्याग तपस्या की मूरत है।मनुज सृष्टि की रचयिता,माँ ईश्वर की

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महिला दिवस काव्य लेखन प्रतियोगिता

सृजन आस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई पत्रिका(महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता लेखन)(प्रतिभा नारी को भी अपनी दिखलाने दो) प्रतिभा नारी को भी अपनी दिखलाने दोबाधाओं को लांघ उसे बाहर आने दो (1)हर युग

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चलो मिलते हैं

चलो कहीं मिलते हैं, पल दो पल की ज़िन्दगी जीते हैं ।  कुछ तुम कहो , कुछ हम कहें ,  ज़माने की अनसुनी करते हैं ।  हाथों में हाथ लिए

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ग़ज़ल,,,,, जीवन के संदर्भ,,,,,

ग़ज़ल,,,,, जीवन के संदर्भ बड़े गंभीर हुए।। हम कमान पर चढ़े हुए बिष तीर हुए।।   मृगतृष्णा केभ्रम में उलझे मृग मानव। विधवा की सूनी आंखों का नीर हुए।।  

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प्रेम-काव्य प्रतियोगिता

तुमने ही हृदय बिछाया…. तुम धूप हो, तुम छाँव होपसरी हुई निस्तब्धता मेंजीवंत हुआ-सा ठाँव हो ।घिर-घिरकर जब आया तमतुमने ही दीया जलायाजब-जब हाथों से छूटे हाथ तुमने ही हृदय

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पर्व

पर्व… अखंड भारत वर्ष को हमारा कोटि- कोटि नमन, जहाँ कई प्रकार के रंग- बिरंगे मौसम आते- जाते हैं| गरमी, सरदी या बरसात, पतझड़ हो या बसंत- बहार, हर मौसम

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तुमने ही हृदय बिछाया…

प्रेम-काव्य प्रतियोगिता हेतु रचना   तुमने ही हृदय बिछाया…. तुम धूप हो, तुम छाँव होपसरी हुई निस्तब्धता मेंजीवंत हुआ-सा ठाँव हो ।घिर-घिरकर जब आया तमतुमने ही दीया जलायाजब-जब हाथों से

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उड़ान…

उड़ान… सुनो! भारी हो गए हैं तुम्हारे पंख झटक दो इन्हें एक बार उड़ान से पहले इनका हल्का होना बहुत आवश्यक है इन पर अटके हैं कुछ पूर्वाग्रह कुछ कुंठाएँ

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महामारी का समय…

महामारी का समय …. यह महामारी का अपना समय हैसमय सबका होता हैसबका ‘नितांत ‘अपनाकभी पूर्ण पाश्विकता काकभी अदेखी मानवता काऔर कभी..दोनों ही में एक ही अनुपात में उलझायहाँ ‘नितांत

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होली उसे कहो….

होली उसे कहो….! जब रंग रमे रस अंग-अंग भींगेतब होली उसे कहोजब हृदय हरित-हरित हो फिर तब होली उसे कहोजब फागुन वही बयार बहेतब होली उसे कहोजब प्रिय का फिर

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रफ़ीक ऐसा नहीं था…

लगभग तीन वर्षों के बाद मैं रीवगंज गई थी। रीवगंज से मेरा परिचय हमारे विवाहोपरांत पतिदेव ने ही करवाया था। प्रकृति का समूचा आशीर्वाद मानो इस नन्हे से आँगन में

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डिवाइडर

कहानी- डिवाइडररात के अंधकार में रिमझिम बारिश की फुहार पड़ रही थी। एक वृद्धा अपने आप को समेटे डिवाइडर पर विराजमान थी। कहा गया है ,कि, जीवन का आवागमन मोक्ष

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तुम्हारे गीत मेरी आवाज़

*तुम्हारे गीत मेरी आवाज़*विधा : कविता कभी गमो का साया भीनहीं पड़े तुम पर। खुशी की गीत गाओउदासियों की महफ़िल में। बहुत सुकून मिलेगामायूसो के चेहरे पर। महफ़िल में रोनक

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अंतरराष्ट्रीय “प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता” “प्रेम का आधार”

प्रेम का आधार मेरे प्यार के सपनों की दुनिया में, तुम आकर तो देखो ।ना जाने क्यों इतने दूर हो, मेरी बाहों में समाकर तो देखो ।बहुत सहली दूरियाँ, मुलाकातों

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” अंतराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता”

सबसे सुन्दर सर्वोपरि हो,सकल गुणों की खान हो।सबसे ऊंचा कद तुम्हारा,तीन लोक में महान हो।।धैर्य तो है धरती के जैसा, क्षमाशील हो नामी।सर्व गुण सम्पन्न हो नारी, कछु नहीं है

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प्रेम काव्य प्रतियोगिता हेतु रचना “दिल पर रंग”

  दिल पर रंग चढ़ा कर देखो,गीत लबों पर ला कर देखो।दुनियां दारी यूँ ही चलेगी,दिल अपना बहला कर देखो। पशोपेस में उम्र गुज़री,दिल तो ज़रा लगा कर देखो।मीत मिला

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अन्तर्राष्ट्रीय प्रेम-काव्य-लेखन प्रतियोगिता

*अंतरराष्ट्रीय “प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता”*    शीर्षक :     ” बसन्त “ होने लगा है जिस पल से मुझकोखुद में तेरे होने का एहसास।मैं खो सी गई । मैं,मैं न रही ,बस

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विषय:- प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता:- बात उन दिनों की थी

विषय:- प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतुकविता:- बात उन दिनों की थी ——————————————————बात उन दिनों की थीजब मैं पहेली बार तुझसे मिलने को आयाथोड़ा सरमाया थोड़ा घबरायातू थोड़ा सा बेताब सी थीमुझसे

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बसंत (प्रेम गीत प्रतियोगिता)

प्रीत की प्यारी बनके,सबकी दुलारी बन के,मंह-मंह करती,बसंत त्रृतु आ गई। धानी चुनर पहने,उससे मिलन करने,सपने सुहाने ले के,मधुमास को रिझा गई। मंह-मंह करती,बसंत त्रृतु आ गई। कलियों ने राग

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प्रो नीलू गुप्ता की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन सम्पन्न

कैलिफोर्निया, अमेरिका से प्रो नीलू गुप्ता जी के अध्यक्षता में आयोजित हुए इस कवि सम्मेलन में दुनियाभर से हिन्दी रचनाकार सम्मिलित हुए। मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. हितेंद्र मिश्रा, पू. प. विश्वविद्यालय, शिलांग, मेघालय, भारत उपस्थित रहे। यह कवि सम्मेलन विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्र जी के सान्निध्य संपन्न हुआ जिसमें सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई- पत्रिका के प्रधान संपादक श्री शैलेश शुक्ला ने आयोजक और संचालक की भूमिका निभाई।

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प्रेम अध्याय

अकेला विसरा अपनी राहों में चला था, किसी की जरूरत सता रही थी, जिनसे दिल की बातें करूँ, दिल के दर्द बयां करूँ, फिर वो दिन आया जब सब बदल

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता/ माटी-तन चंदन कर दूँगा

  माटी-तन चंदन कर दूँगा   माटी-तन चंदन कर दूँगा लग जाने दो बस सीने से हृदय वृन्दावन कर दूँगा, छूकर पतित तुम्हारी काया माटी-तन चंदन कर दूँगा।   दिल

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महिला-दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कवितायें

(महिला-दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कवितायें)   1 अब तुम्हारे झूठे आश्वासन मेरे घर के आँगन में फूल नहीं खिला सकते चाँद नहीं उगा सकते मेरे घर की दीवार की ईंट

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मेरी मंज़िल

तुम ईंट फेंकना मैं पुल बनाऊँगी। तुम इस पार रहना मैं उस पार जाऊँगी। तुम बम लगाना मैं पौधे उगाऊँगी।तुम विनाश के गीत गाना मैं पक्षियों का कलरव सुनाऊँगी। तुम्हारी

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” महिला दिवस काव्य प्रतोयोगिता हेतु कविता ” कविताओं का शीर्षक, ” अस्तित्व ”, ” नदी ”.

अस्तित्व   सागर से फिर मुलाकात हुई पहले की तरह करता रहा आकर्षित बाहें पसार कर बुलाता रहा अपने पास मन हो चला नदी-नदी सा बह जाने से पहले ही

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“प्रेम-काव्य प्रतियोगिता”

प्रेम— — — —प्रीत पुरातन रीत रही मन मीत नही जग है दुखदाई।खोल कहे मन की जिस बात को प्रेम बिना नजदीक न आई।।प्रेमविहीन जिको उर जानहुँ बंजर खेत समान

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“प्रेम-काव्य प्रतियोगिता”

प्रेम— — — —प्रीत पुरातन रीत रही मन मीत नही जग है दुखदाई।खोल कहे मन की जिस बात को प्रेम बिना नजदीक न आई।।प्रेमविहीन जिको उर जानहुँ बंजर खेत समान

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प्रेम काव्य अंर्तराष्ट्रीय प्रतियोगिता

तुम—मुझे अच्छा लगता है जब कोई मुझे तुम कहता है।सुन रहे हो न तुम,मुझे अच्छा लगता है जब कोई मुझे तुम कहता है।क्योंकि मैंतुम में ही तो हूँ,तुम से ही

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कृषि कानून और नेताजी की चिंता

कृषि कानून और नेताजी की चिंता ……. सर आपके चुनाव क्षेत्र से कुछ लोग आपसे मिलने आए है, आप से बात करने आए हैं ।तुमने उनसे पूछा कि उनकी समस्या

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फिर आई सर्दी

लघुकथा…. फिर आई सर्दीOसर्द ऋतु आते ही रजाई की याद आती है एक वो ही है जो ठंड में भी गर्मी का अहसास दिलाती है ।कभी कभी लगता है कि

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तुम ये मत समझों

कविता तुम ये मत समझो चीन कि राफेल के आने सेहम एकाएक ताकतवर हो गए है हमने सिर्फ तकनीक और आयुध में इजाफा किया है तुम्हे ज्ञात ही होगा हमारा

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वैक्सीन प्रोसेस पर एक संवाद- कॉफी विथ बॉस

वैक्सीन प्रोसेस पर एक संवाद…………….मे आई कमीन सर । यस आओ शर्मा कुछ खास सर , गाँव मे वेक्सीनेशन का क्या प्रोसेस रहेगा इस पर डिस्कस करना था यदि सेक्रेट्रिएट

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हमारा भारत देश ,जीवन की यात्रा, विश्वास,आत्म-निर्भरता ,काश! तुम, अधूरी चाहत ।

हमारा भारत देश ………………….. मानचित्र में देखो अंकित भारत देश ही न्यारा है,अभिमान से सब मिल बोलें हिन्दुस्तान हमारा है । एक धर्म व संप्रदाय है,कोई जातिवाद नहीं,भाईचारे की मिसाल

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- सिर्फ औरत ही नहीं मरती/ औरतें ही नहीं निकलती

(1)   सिर्फ औरत ही नहीं मरती मरती हैं औरतें ही न कई बार! होता है कइयों और का बलात्कार। सिल- पथरकट्टों के छेनियों के कुंद धार का ठक-ठक तीव्र

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता

      एहसास ..  थी उम्मीद कि तुमसे मिलके, जिंदगी-जिंदगी होगी  | फक्त ना उम्मीदी  ने ना  छोड़ा पीछा   मेरा बरसों   तक || मेरे शायराना अंदाज टूट कर बिखर-बिखर

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता – मैं नारी हूँ

मैं नारी हूँ मैं नारी ,मैं नारी हूँ अबला नहीं बिचारी हूँस्वयंसिद्धा मैं अन्नपूर्णा मैं लक्ष्मी दुर्गा अवतारी हूँ ।स्वयं तपी फिर नारी बनी मैं सबमें बल मैं भरती हूँस्तनपान

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नारी शक्ति

 नारी से मिलता है जीवन यह भूल भला क्यों जाते हैं। उसके हक का उसको हम सब क्यों सम्मान नहीं दे पाते है।संपूर्ण निर्भर है उस पर फिर भी हम

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता ( 1 ) नवगीत…… आओ हम विश्वास जगाएंनारी का सम्मान बढ़ाएंनारी गुण की खान बनी हैनारी जग की शान बनी हैसीमा पर प्रहरी बन उसने दुश्मन

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता

अंतराष्ट्रीय प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता ।( 1 ) ” देखो मेरे नाम सखी “ प्रियतम की चिट्ठी आई है देखो मेरे नाम सखीविरह वेदना अगन प्रेम की लिक्खी मेरे नाम

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