महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता
( 1 )
नवगीत……
आओ हम विश्वास जगाएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं
नारी गुण की खान बनी है
नारी जग की शान बनी है
सीमा पर प्रहरी बन उसने
दुश्मन का संहार किया है
आओ उसके मन आँगन में
खुशियों का विस्तार कराएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं ।
गुड़ियों की शादी से लेकर
सखियों के संग शाला जाकर
मात पिता के साए में ही
बिटिया का बचपन बीता है
अल्हड़ वय में उड़नपरी ने
अपने सपनो को सींचा है
खेल खिलोने घर मे रखकर
मुश्किल को आसान किया है
कोमल मन की उस देवी में
साहस का नव भाव जगाएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं ।
हिम चोटी पर वह पहुंची है
अंतरिक्ष में जा लोटी है
इंदिरा बनकर बंग्लादेश का
उसने नव निर्माण किया है
कान्हा भजन सुना मीरा ने
जन जन का उद्धार किया है
उस दुर्गा और सावित्री में
साहस का उन्वान जगाएं
नारी का सम्मान बढ़ाएं ।
घर की चौखट से जब निकली
जीवन भर संग्राम किया है
खड़ग उठाकर उस देवी ने
मातृभूमि संग न्याय किया है
पूर्वाचल से अस्ताचल तक
शोषित को अधिकार दिलाएं
महिला दिवस पर उसके शौर्य की
रक्तिम श्वेत ध्वजा लहराएं
नारी का सामान बढ़ाएं ।
…………..
अनिल गुप्ता
8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
…..
रचना पूर्णतः मौलिक अप्रकाशित एवं अप्रसारित
नाम- अनिल गुप्ता
पदनाम – प्रधान संपादक
संगठन – महाकाल भ्रमण
पता – 8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
मोबाइल – 9039917912………………..
( 2 )
कविता ….
” हाँ में नारी हूँ “
हाँ में नारी हूँ
मगर मैने
यह कभीं नही कहा
कि मैं सब पर भारी हूँ
हां मुझे गर्व है में नारी हूँ
मेरा बचपन
माता पिता के साए में बिता है
सभी मुझसे जब तब
कहते थे यह मत करो
वह मत करो
मगर मेरे मन ने कहा
बेकार मत डरो सब करो
मुझे जो संस्कार घर से मिले
उसी अमूल्य निधि को
आँचल में संजोए
ससुराल की देहरी पर कदम रखा
सास ससुर और पति ने
कभी कुछ नही कहा
किन्तु
इशारों में सब कुछ समझा दिया
मेरे पैरों में मर्यादा की
जंजीर सदैव बंधी रही
तब भी जब में माँ बनी
और तब भी
जब बेटी की माँ बनी
मुझे बचपन से
यह बताया गया था कि
महिलाओं में अलौकिक
शक्ति होती है
जो दिखती नही
मगर होती जरूर है
मैने भी मान लिया
क्योंकि दिन रात बिना थके
बिना रुके हमसे
काम जो लेना होता है
हाँ यह जरूर हुआ
कि जब जब पुरुष ने
अपने अहंकार के कारण
नारी को अबला समझा
तब तब नारी ने
दुर्गा का रूप दिखाकर
उसे नारी शक्ति से
परिचित करा दिया
क्योंकि
भारतीय नारी
किसी भी परिस्थिति में
हथियार नही डालती
तब भी जब उसे
अधिकारों से लड़ना पड़े
और तब भी
जब उसकी
अस्मिता पर बेजा प्रश्न उठे
मगर तब
वह अपने पैरों में बंधी
जंजीर को तोड़कर
रणचंडी बन जाती है
माँ दुर्गा और काली की तरह ।
और गर्व से कहती है
हाँ में आत्म निर्भर
भारतीय नारी हूँ ।
……..
अनिल गुप्ता
8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
……………………………..
रचना पूर्णतः मौलिक अप्रकाशित एवं अप्रसारित
नाम- अनिल गुप्ता
पदनाम – प्रधान संपादक
संगठन – महाकाल भ्रमण
पता – 8, कोतवाली रोड़ उज्जैन
मोबाइल – 9039917912
Last Updated on January 15, 2021 by mahakalbhramannews
- अनिल
- गुप्ता
- महाकाल भ्रमण
- [email protected]
- 8,कोतवाली रोड़ उज्जैन(म. प्र .
1 thought on “महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता”
सृजन ऑस्ट्रेलिया पत्रिका के स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई सात समंदर पार आपने हिंदी को प्रतिष्टित किया अनेकानेक शुभकामनाएं ।
👍 अनिल गुप्ता उज्जैन 👍
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