न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कवितायें

Spread the love
image_pdfimage_print

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- बलात्कार एक कुकृत्य 

मन कुंठित हो जाता है,
जब छपती है तस्वीर कोई।
सिसकियों में भी चीखती है,
दर्द की खिंची लकीर कोई।

दरिंदगी की हदें पार करने वाले,
ओ दरिंदों!
क्या होगा जब तुम्हारी,
बहनों माओं को हैवान मिले।
खून तो नहीं खोलेगा ना!!!
चूड़ियों से हाथ सजा लोगे।
मौत पर अपनी बहनों की,
होठों पर मुस्कान सजा लोगे।

खाली घर, खाली कमरों में,
सिसकियां भर भर रोती हैं।
कोई अस्पतालों में जूझती मौत से,
और उनकी मां दहाड़ कर रोती है।

जो जिंदा सी बच जाती हैं,
बिना जान की लाश कोई।
नींदों में भी चिल्लाती है,
दर्द भरी आवाज़ कोई।

खुद के ही तन को,
देख-देख वो नोचा करती हैं।
उनकी मांओं से पूछो,
कैसे वो रातों में जाग कर सोती हैं???

कोई निर्भया, कोई राखी,
कोई आसिफा मरती है।
थोडे दिन मार्च हैं चलते,
और मोमबतियां जलती हैं।

आत्माएं भी चीख चीख जब,
दर्द में आहें भरतीं हैं।
तब लाखों में कोई निड़र,
एक निर्भया की मां निकलती है ।
एडियां भी छिल छिल जाती मां की,
तब बरसों में इन्साफ मिला करते। 
हजारों मांए तो यूं ही,
समाज के ड़र में पलती हैं।

बनो कालका खुद ही,
और अपनी सुरक्षा साथ रखो।
जहाँ दिखे हैवान कोई,
गर्दन पर तलवार रखो।

✍जूही खन्ना कश्यप

 

 

 

 

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- हर महिला एक योद्धा है

 

प्रेम की मूरत कभी,
त्याग की सूरत रही है।
कभी उतर मैदां में,
शत्रुओं को खदेड़ती सी ड़टी है।
कभी स्वर्णिम इतिहास रचा है,
कभी वर्तमान में ड़टकर लड़ी है।
जीवन के हर इक दिन में,
हर महिला योद्धा बनकर लड़ी है।

मायके के आंगन की लाड़ली,
छोटी सी खरोंच पर,
पूरा घर सर पर उठाए,
उह-ऊई करते हुई बड़ी है।
रसोई संभालनी हो,
या जंग कोई।
हंसकर वो आगे बढ़ी है।

हाँ लड़ी है,
हर मोड़ पर लड़ती रही है।
संकुचित सोच से ग्रस्त लोगों,
द्वारा मिली मानसिक पीड़ा से।
कोई बलात्कार, कोई मार पीट,
कोई दहेज की बली चढ़ी है।
कहीं नुक्कड़ चौराहों पर,
खुद को बचाती,
घूरती गंदी निगाहों से।
और कोई अपने ही घर में,
बेटा बेटी वाले भेदभावों में पली है।

जीवन का हर युद्ध चाहे,
छोटा या बड़ा रहा है।
फिर भी हर कल्पना ने,
कल्पनाओं की ऊंची उड़ान भरी है।
हर एक युद्ध को जीतती,
बंधनमुक्त पांवों पर खड़ी है।

मेरे देश की हर एक योद्धा बेटी,
विजय पताका थामें,
मर्दों से भी आगे खड़ी है।

हाँ आगे हो आगे ही रहना,
भावुक सी होकर,
किसी भावना में ना बहना।
तोड़ देना हर वो बंधन,
जो सपने तुम्हारे बांधता हो।
ढूंढो उस इंसान को भीतर,
जो बेहतर तुमको जानता हो।

व्यर्थ की बातों से खुद को,
टूटने देना नहीं।
जीवन एक युद्ध क्षेत्र है,
कई बार गिरोगी हारोगी,
पर दौड़ना भूलना नहीं।

अपने लिए आवाज़ उठाना,
मगर सह-सहकर, घुंट-घुंटकर,
अंदर ही अंदर,
अरमानों की सूली पर झूलना नहीं।

तुमने इतिहास रचे हैं,
वर्तमान को फिर से स्वर्णिम इतिहास,
बनाना भूलना नहीं।
क्योंकि
मेरे देश की हर एक योद्धा बेटी,
जीवन के हर युद्ध क्षेत्र में,
विजय पताका थामें,
मर्दों से भी आगे खड़ी है।

✍जूही खन्ना कश्यप

 

 

 

 

 

 

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता-गर्व है मुझे मैं नारी हूँ 

 

कोई एक दिन नहीं हमारा,
हम हर दिन पर भारी है।
गर्व है हमें खुद पर,
हम मर्द नहीं हम नारी हैं।

जीवन भीतर जीवन पलता,
यौवन भीतर बचपन पलता।
ममता पलती कण-कण में।
उम्र के हर इक पड़ाव में,
भीतर मैं छोटी गुड़िया हूं।

हाँ मर्द सी ताकतवर तो नहीं,
ना ही किसी पर भारी हूं।
पर जब खुद पर आ जाऊं,
तब एक-एक पर भारी हूं।
गर्व है मुझे खुद पर,
मैं मर्द नहीं,
मैं नारी हूँ।

कभी प्रेम दीवानी मीरा हूं,
कभी कृष्ण दीवानी राधा हूं।
कभी अंतरिक्ष की उड़ान भरती,
कल्पना चावला हूं,
तो कभी हौसलों की रानी,
लक्ष्मीबाई हूं।
मुझको कम ना आंकना,
मैं मर्द नहीं मैं नारी हूँ।

✍जूही खन्ना कश्यप

Last Updated on January 20, 2021 by juhikhanna5

  • जूही खन्ना कश्यप
  • गृहिणी
  • गृह
  • [email protected]
  • ए1/7 गली नंबर 1, राजापुरी, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
Facebook
Twitter
LinkedIn

More to explorer

2025.06.22  -  प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता  प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ  --.pdf - lighttt

‘प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता : प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रतिभागिता प्रमाणपत्र

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता पर  दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न प्रयागराज, 24

2025.06.27  - कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण - --.pdf-- light---

कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर  परकृत्रिम मेधा के दौर में

light

मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष 2025-26 के अंतर्गत मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर

Leave a Comment

error: Content is protected !!