न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

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विविध आयामों में विस्तार लेती वैश्विक हिंदी पत्रकारिता : विशेषज्ञ वार्ता की ऐतिहासिक प्रस्तुति

विविध आयामों में विस्तार लेती वैश्विक हिंदी पत्रकारिता : विशेषज्ञ वार्ता की ऐतिहासिक प्रस्तुति 16 जून 2025, शाम 6 :00 बजे (भारत समय) — अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025

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“हिंदी की वेब पत्रिकाओं का प्रचार-प्रसार : एसईओ एवं अन्य तकनीकी आयाम” विषय पर संवाद आज शाम 9 बजे से

हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष – 2025–26 के अंतर्गत 30 मई से 30 जून 2025 तक आयोजित किए जा रहे अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता

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झारखंड में हिंदी शिक्षा, साहित्य और पत्रकारिता पर अंतरराष्ट्रीय विमर्श 

पं. रामप्रसाद बिस्मिल की 129वीं जयंती पर विषय-विशेषज्ञ से संवाद झारखंड में हिंदी शिक्षा, साहित्य और पत्रकारिता पर अंतरराष्ट्रीय विमर्श  ‘न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन’ एवं ‘अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन’

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हिंदी का वैश्विक परिदृश्य : विविध आयाम’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय संवाद

‘हिंदी का वैश्विक परिदृश्य : विविध आयाम’ विषय पर होगा अंतरराष्ट्रीय संवादहिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों की स्मृति में 12 जून को विशेष आयोजन  लखनऊ/मॉरीशस/त्रिपुरा। हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष

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कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि पर आयोजन संबंधित विशेष समाचारकृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को हिंदी पत्रकारिता के

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ऑस्ट्रेलिया में हिंदी : विविध आयाम’ विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 9 जून 2025 को

विशेष रिपोर्ट ऑस्ट्रेलिया में हिंदी : विविध आयाम’ विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर आयोजित ‘अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025’ के अंतर्गत

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खाद्य पदार्थों का खेत से थाली तक हो सुरक्षित सफ़र

7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर विशेष लेख खाद्य पदार्थों का खेत से थाली तक हो सुरक्षित सफ़र डॉ. शैलेश शुक्ला वरिष्ठ लेखक, पत्रकार, साहित्यकार एवं वैश्विक समूह संपादक, सृजन

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‘राजभाषा हिंदी और बैंकिंग : विविध आयाम’ विषय पर विषय-विशेषज्ञ से वार्ता वार्ता 7 जून 2025 को

7 जून को 7वें विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर विशेष रिपोर्ट ‘राजभाषा हिंदी और बैंकिंग : विविध आयाम’ विषय पर आयोजित होगी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ वार्ता 7 जून, 2025 को

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‘यूके में हिंदी: विविध आयाम’ विषयक वार्ता का भव्य आयोजन 6 जून को

हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह-2025 के अंतर्गत ‘यूके में हिंदी: विविध आयाम’ विषयक वार्ता का भव्य आयोजन हिंदी पत्रकारिता के 200 गौरवशाली

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अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025 का भव्य शुभारंभ : राजदूत अखिलेश मिश्रा के आशीर्वचनों से होगा भव्य उद्घाटन

अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025 का भव्य शुभारंभ : राजदूत अखिलेश मिश्रा के आशीर्वचनों से होगा भव्य उद्घाटनहिंदी पत्रकारिता के दो सौ वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा को रेखांकित करते

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अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025 : वैश्विक स्तर पर हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों का भव्य आयोजन

अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता माह – 2025 : वैश्विक स्तर पर हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों का भव्य आयोजन हिंदी पत्रकारिता के 200 वर्षों की गरिमामयी यात्रा के स्मरणीय अवसर पर

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अंतरराष्ट्रीय शोध आलेख प्रतियोगिता

अंतरराष्ट्रीय शोध आलेख प्रतियोगिता उद्देश्य हिंदी पत्रकारिता के 200वें वर्ष के सुअवसर पर न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं अदम्य ग्लोबल फाउंडेशन के सहयोग से सृजन ऑस्ट्रेलिया, सृजन मॉरीशस,

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लेखकों एवं रचनाकारों हेतु आवश्यक निर्देश

हमसे संपर्क करने के लिए आपका हार्दिक आभार आपकी भेजी गई सभी प्रकार की रचनाएं ‘न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन’ द्वारा संचालित ‘सृजन संसार अंतरराष्ट्रीय पत्रिका समूह’ के अंतर्गत प्रकाशित होने

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रिहाई कि इमरती

रिहाई कि इमरती – स्वतंत्रता किसी भी प्राणि का जन्म सिद्ध अधिकार है जिसे कभी छीना नहीं जा सकता हां कभी कभी प्राणि विशेष कर मनुष्य अपने अहंकार शक्ति दंभ

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शुभारंभ है इस्वी सन शुभारम्भ 2023

नव वर्ष 2023 कि शुभकामनाएं- शुभारम्भ है शुभारम्भ हैलुका छिपी सूरज की बहुत ठंड है।। शुभारम्भ है शुभारम्भ है शहरों गलियों फुटपाथों पर सोया भूखा जीवन ठिठुर ठिठुर कर तंग

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हिंदी

  अन्तर्राष्ट्रीय हिंदी दिवस – अंतर्मन अभिव्यक्ति है हृदय भाव कि धारा हैपल प्रहर बहने और निखरने दोहिंदी तो अपनी बोली हैइसे जन जन मन से ही निकलने दो।। पग

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आराज पन्नक

-आराच पन्नक- कहानी अतीत कि घटित सत्य घटनाएं जो वर्तमान एव भविष्य के लिए दिशा दृष्टिकोण का मार्ग प्रदान करते हुए शिक्षा एव संवेदनाओ के लिए प्रेरणा परक होते है

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अपकर्म

शीर्षक – अपकर्म भारत के महत्पूर्ण नगरी काशी वाराणसी बनारस कि सांस्कृतिक शैक्षिक प्रवृति से विधिवत परिचित हूं अपने पंद्रह वर्षों के प्रवास में बहुत से मित्र एवं शत्रुओं को

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प्लेटफार्म

प्लेटफार्म – प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी कभी कुछ ऐसे पल प्रहर आते है जो बिना प्रभावित किए नहीं रहते है एवं जिनका प्रभाव व्यक्तित्व पर जीवन भर लिए

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चंद्रमा और कुमुदिनी

चंद्रमा और कुमुदिनी———————- तुम जीवन-नौका के खेवैयामैं संग तुम्हारे बहती गयीउस पार उतरने की आशा मेंतुमको हर पल तकती रही आँधी और तूफां ने घेरा पर, तुमने साथ कभी न

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मन से स्वीकारेंगे तभी होगी ‘ संस्कृत दिवस ‘ की सार्थकता

सुशील कुमार ‘नवीन’ 12 अगस्त को विश्व संस्कृत दिवस है। देवभाषा संस्कृत को सम्मान देने का दिन। विश्वभर में संस्कृत को चाहने वालों के लिए यह दिन किसी पर्व से

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तिलका छंद “युद्ध”

तिलका छंद “युद्ध” गज अश्व सजे।रण-भेरि बजे।।रथ गर्ज हिले।सब वीर खिले।। ध्वज को फहरा।रथ रौंद धरा।।बढ़ते जब ही।सिमटे सब ही।। बरछे गरजे।सब ही लरजे।।जब बाण चले।धरणी दहले।। नभ नाद छुवा।रण

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मानव छंद (नारी की व्यथा)

मानव छंद “नारी की व्यथा” आडंबर में नित्य घिरा।नारी का सम्मान गिरा।।सत्ता के बुलडोजर से।उन्मादी के लश्कर से।। रही सदा निज में घुटती।युग युग से आयी लुटती।।सत्ता के हाथों नारी।झूल

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काव्य धारा -14

मंगल मूरत जै जै जै गण पति गण नायक शुभ कर्मों के देव विनायक जै जै जै गण पति गण नायक!! मातृ भक्ति की शक्ति प्रथम पूज्यते देव गज़ानन!! जै

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काव्य धारा -13

जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!!जै जै जै अम्बे मातु भवानी माँ दुर्गा जग कल्याणी!! मनोकामना कि तू माता, ममता का आँचल वात्सल्य कि मुरत सूरत

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काव्य धारा -12

राम तो जीवन मूल्यों का नामराम धर्म धैर्य का मान।।राम विशुद्ध सात्विक संस्कारराम राम से प्रणाम।।राम राम राम अभिशाप राम नाम ही आदि राम नामही अंत हर ह्रदय में राम

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काव्य धारा -11

चलो आज हम राम को खोजे कहाँ हम आ गए खुदको खोजते भटकतेनगर की हर डगर पर तेरा नाम लिखा हैंतेरी अवनि का कण कण एक दर्पण के जैसा हैं।तेरी

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काव्य संगत-10

चलो राम बताएं– चलो आज हम राम बताएंराम मर्यादा अपनाएँ।। राम रिश्ता मानवता कीअलख जगाएं।। प्रभु राम का समाज बनाएंमात पिता की आज्ञा सेवा स्वयं सिद्ध का राम बनाएं।। भाई

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काव्य धारा -9

राम स्वयं को भक्त राम काकहते बड़ा मुश्किल हैभक्त राम का बन पाना।। राम तो मर्यादा पुरुषोत्तमकठिन है जिंदगी में मर्यादानिभा पाना।। पिता की आज्ञा से स्वीकाराराम ने वन में

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काव्य सागर -8

——जग जननी माँ—– 10-जग जननी दुःख हरणी ,मंगल करनी तू तारणहारी तू सकल जगत संसार माँ।।दुष्ट विनासक, भय भव भंजकपल, प्रहर अविरल युग प्रवाह माँ।।जग जननी तू सकल जगत संसार

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काव्य सागर-7

माँ आओ मेरे द्वार माईया पधारों घर द्वारेभक्तों का है इंतज़ारघर घर तेरा मंडप सजा हैमाईया के स्वागत का दिन रात।। माईया तेरे रूपों का संसारमाईया तू ही अवनि की

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काव्य फहरा-7

भय भव भंजक कष्ट निवारिणी पाप नाशिनी माँजय जय जय दुर्गे सकल मनोरथदायनी माँ।। दुर्लभ ,सुगम शुभ मंगल करतीअंधकार की ज्योति माँ।जय जय जय दुर्गे सकल मनोरथ दायनी माँ।। आगम

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काव्य सागर -6

जगत माँ जग जननी दुःख हरणी ,मंगल करनी तू तारणहारी तू सकल जगत संसार माँ।।दुष्ट विनासक, भय भव भंजकपल, प्रहर अविरल युग प्रवाह माँ।।जग जननी तू सकल जगत संसार माँ।।पाप

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काव्य सागर-5

जय माँ जगदम्बा माँ जिसे बुलाती जाता माँ दरबार ,माँ कीज्योति जली है ,जग में है उजियार बोलोजय मात दी ।। बोले जाओ कदम कदम से बढ़ते जाओ माता ने

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काव्य सागर-4

5– माँ तेरे चरणों मे जग तेरे चरणाें आया मेरी माँ जग तेरे शरणाें में आया मेरी माँ!! तेरे आँखो का दुलार माँ तेरी संतान, तेरे आँचल का प्यार माँ

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काव्य धारा -3

जै जै जग जननी माँ— जग जननी ,सकल जगत संसार माँदुःख हरणी ,मंगल करनी ,तू तारणहार माँ जग जननी, सकल जगत संसार माँ।। दुष्ट विनासक, भय भव भंजकपल, प्रहर अविरल

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काव्य सागर -2

जै मां काली जै जगदंबै जै माँ काली, जै जगदंबै जै माँ काली ,वीर भूमि भी आंचल तेरा तूं जग जननी जग रखवाली!! जै जगदंबै जै माँ काली, जै जगदंबै

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भक्ति सागर

  शिवोहं शिवोहं शिवोहं चिता भस्म भूषित श्मसाना बसे हंम शिवोहं शिवोहं शिवोहं।। अशुभ देवता मृत्यु उत्सव हमारा शुभोंह शुभोंह शुभोंह शुभोंह शिवोहं शिवोहं शिवोहं ।। भूत पिचास स्वान सृगाल

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तपोवन

तपोवन शौर्य प्रखर निखर सूरज पूर्णिमा चन्द्र हलाहल विष भरा जहां मधुर मिठास अमृत जैसा।। ऊंचाई गौरी शंकर पर्वत गहराई समुद्र अंतर मन प्रशांत प्रतिदिन मंथन सागर जैसा।। राष्ट्र समाज

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अनुष्ठान

अनुष्ठान अनुष्ठान जीवन का चलता रहेशौम्य शांत संचारित संस्कारकरता रहे।। भ्रम अनिश्चय का अँधेरा हटेराष्ट्र समाज गौरव मान प्रकाशितहोता रहे।। जीवन कि तपस्या का पुण्य प्रतापप्रसाद युग युवा पीढ़ी का

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जीवन संग्राम

जीवन का मौलिक मूल्य राष्ट्र जीवन यात्रा का एक अहम पड़ाव अविरल निर्मल निश्छल निरपेक्ष निर्विकार समाज राष्ट्र हित अनुष्ठान।। त्याग तपस्या सोच कर्म धर्म दायित्व बोध प्रखर निखर परिणाम।पल

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जीवन का मौलिक मूल्य

जीवन का मौलिक मूल्य राष्ट्र जीवन यात्रा का एक अहम पड़ाव अविरल निर्मल निश्छल निरपेक्ष निर्विकार समाज राष्ट्र हित अनुष्ठान।। त्याग तपस्या सोच कर्म धर्म दायित्व बोध प्रखर निखर परिणाम।पल

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साहित्य और समय

साहित्य और समय समय प्रबाह परिस्थिति परिवेश वर्त्तमान की दृष्टि दिशा मार्ग है।। साहित्य भाव झरना झील नदियांसिंधु समागम नित्य निरंतता अक्षुण अक्षय उजियार है।। शब्द ओजस्वी ओज जन जनमन

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हिन्दू नव वर्ष

हिन्दू नव वर्ष मनाए– चलो हिन्दू नव वर्ष मनाएआशाओं, विश्वास का उत्साह उमंग चाह प्रसंग केनए सुबह का अलख जगाएचलो हिन्दू नव वर्ष मनाए।। उत्कर्ष,हर्ष दुःख दर्द के बीते पलकि

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है माँ

आदि शक्ति अम्बे जगदम्बे आराधना खंड हे देवी माँ तू भय भव भंजक जगत कल्याणी दुष्टो की दुर्गा काली भक्तो की रखवाली शक्ति दे मुझे अपनी भक्ति का भाव भाग्य

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हे माँ

हे माँ तू अवनि अवतारी पर्वत की बाला दुःख हरने वालीजग कल्याणी जय अम्बे जय जगदम्बे !! तू सीता सावित्री पार्वती विघ्नेश्वरी भुनेश्वरी बाघम्बरी चंडी चंडिका मनसा महिमा मनोकामना!! तू

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अटूट विश्वास

अटूट  विश्वास  मंजिल को ढूंढ़ने सभी  घर के तारे निकल पड़े  आंखों मे जो इक ख्वाब है उसे पाने निकल चले गम की अँधेरी रातों में जलना होगा तुझे  कांटो

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वर्तमान समय में नैतिक शिक्षा क्यूँ आवश्यक है ?

वर्तमान समय मे नैतिक शिक्षा की अनिवार्यता क्यूँ जरुरी है ? हमारा देश अपनी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति के कारण आज पूरे विश्व मे सिरमोैर बना हुआ है, किंतु कुछ

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थर्ड जेंडर

  तुम क्या कहोगे मुझे?  पहचान के लिए एक अदना सा शब्द तो दे ना सके और दे भी क्या सकते हो तुम  मैं क्यों मांगू नाम थोड़े ही मांगा

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सौ सौ अफसाने हैं

नवगीत सबका अपना तौर-तरीकासबके अपने पैमाने हैं। हैं कई सभ्यताएँऔर उनमें संघर्ष है।कैसे होगा फिरइंसानियत का उत्कर्ष है।। अगर हमारा पंथ निरालाउसके सौ-सौ अफसाने हैं। एकीकृत करने का अबकोई वक्त

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अफलातून लगा है

22 22 22 22ग़ज़ल वह तो अफलातून लगा है।पशुता गर नाखून लगा है।। भ्रष्टाचार बढ़ाने वाले,उनके मुँह में खून लगा है। जाड़े के दिन पाँव पसारे,यानि सलाई-ऊन लगा है। सोच-विचार

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अफलातून लगा है

22 22 22 22ग़ज़ल वह तो अफलातून लगा है।पशुता गर नाखून लगा है।। भ्रष्टाचार बढ़ाने वाले,उनके मुँह में खून लगा है। जाड़े के दिन पाँव पसारे,यानि सलाई-ऊन लगा है। सोच-विचार

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अतीत से वर्तमान : नवगीत वाङ्मय

इक्कीसवीं सदी में देखा गया है कि लगभग हर दो-तीन वर्ष में नवगीत के संकलन प्रकाशित हो रहे हैं, जिनमें कुछ वृहद संकलन हैं, तो कुछ संक्षिप्त हैं। इन संकलनों

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जैसे हबूब गया

  नवगीत-जैसे हबूब गया   सूरज निकला सुबह-सुबह शाम को डूब गया।   किरणों ने  दुनिया में धूप की चादर फैलाई। संगीत फूटा  निर्झर से कल-कल की ध्वनि आई।।  

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यातायात

  यातायात-नवगीत   यातायात मन में दु:ख-विषाद का चल रहा है।   जगह-जगह हो रही दुर्घटना है। हो चाहे भोपाल या पटना है।।   हैं कैसा समय चाँदनी का रूप

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मीना कुमारी नाज़ की शायरी

मीना कुमारी नाज़ की शायरीडॉ. वसीम अनवर सहायक प्राध्यापक उर्दू  एवं फारसी विभाग डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय,  सागर, मध्य प्रदेश [email protected]; 9301316075             मीना कुमारी को एक अव़्वल दर्जा की

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हाइकु

माँ हो कर ही जाना जा सकता है माँ का होना भी ।   काँधे पे पेट सिर पर गठरी कोरोना यात्रा ।   धूप से लड़े हमको छाया देने

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कस्तूरी

कस्तूरी मेरी ‘कस्तूरी’ मुझे देती रही भटकन ……… उम्रभर जो मरा तो जाना कि मारा भी गया इसी के लिए । Last Updated on September 20, 2021 by rnbanyala रचनाकार

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अभिषेक करें जनवाणी का

अभिषेक करें जन वाणी का ================   अभिषेक करें जन वाणी का   नागरी का, दीव्यागीर्वाणी का   ओंकार जन्मा, संस्कृत सृष्टा   जग वन्दिनी, देव–नन्दिनी   खलिहान–खनक, मात वाणी

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श्रेष्ठ इक्यावन कविताएँ : हिन्दी कविता का वैश्विक प्रतिबिम्ब – डॉ सम्राट् सुधा

भारत -रत्न , पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर गत वर्ष आयोजित अंतरराष्ट्रीय अटल काव्य- लेखन प्रतियोगिता में चयनित 51 कविताओं का संग्रह ‘श्रेष्ठ इक्यावन कविताएं’

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रज्जो /RAJJO

                        रज्जो  रात के दस बज रहे होंगे। कॉलनी के गेट से होकर आ रही मिलिट्री हॉस्पिटल की वैन देखकर हैरान रह गयी | इस समय कौन सी इमरजेंसी है

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नदी के साथ

मैं इस नदी के साथ,जीना चाहता हूँ..डूबना चाहता हूँ..इसके भीतर!!तैर कर सभी.. पार कर लेते हैं नदियाँ।नाव पर घूमते हुए..देखते हैं सभी।मैं डूब कर भीतर तकदेखना चाहता हूँ भीतर से

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किसान

सभी व्यवसायी चाहते हैं, उनका बेटा बड़ा होकर यदि कुछ नहीं तो उनका ही रोज़गार संभाले। परन्तु एक किसान कभी स्वप्न में भी नहीं सोचता कि उनका बेटा बड़ा होकर

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प्रेम

प्रेम… ये वो प्यारा नाम है जो प्यार, स्नेह, मोह, प्रीत, आनन्द, हर्ष का एक अद्भुत संयोग है। जो ह्रदय में ममत्व की भावनाओं को उत्पन्न करता हैं। जहाँ इसमें,

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लड़के जब रोतें हैं

लड़के जब रोते हैं,प्रकृति में असंतुलन बढ़ जाता है। सूर्य अपने तीव्र वेग पर आ जाते हैं। समंदर में वाष्पोत्सर्जन चरम पर होता है। पृथ्वी का जलस्तर तेजी से घटता

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तुम्हारा सौंदर्य

अत्यंत कठिन है तुम्हारे सौंदर्य का वर्णन तुम्हारे सौंदर्य को देखना ठीक वैसा ही है,जैसे बारिश के बाद इंद्रधनुष को ढूंढना!तुम्हारे सुंदरता का उत्कर्ष है तुम्हारे चेहरे की लालिमाजैसे उदय

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अंतरराष्ट्रीय अटल काव्य प्रतियोगिता – 2021

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं सुप्रसिद्ध कवि भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती 25 दिसंबर 2021 के अवसर पर विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस,  न्यू मीडिया सृजन संसार

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शक्तिहीन

वह मीठे पानी की नदी थी। अपने रास्ते पर प्रवाहित होकर दूसरी नदियों की तरह ही वह भी समुद्र से जा मिलती थी। एक बार उस नदी की एक मछली

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मंदिर मस्जिद का बनना

मंदिर मस्जिद का बनना। दुनियां में सरेआम हुआ।। आदमी बन न सका बंदा। रब्ब यूं ही बदनाम हुआ।। जात पांत का चक्कर बड़ा। भक्ति का मार्ग ताम हुआ।। जंगल जंगल

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तोटक छंद “विरह”

तोटक छंद “विरह” सब ओर छटा मनभावन है।अति मौसम आज सुहावन है।।चहुँ ओर नये सब रंग सजे।दृग देख उन्हें सकुचाय लजे।। सखि आज पिया मन माँहि बसे।सब आतुर होयहु अंग

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तिलका छंद “युद्ध”

तिलका छंद “युद्ध” गज अश्व सजे।रण-भेरि बजे।।रथ गर्ज हिले।सब वीर खिले।। ध्वज को फहरा।रथ रौंद धरा।।बढ़ते जब ही।सिमटे सब ही।। बरछे गरजे।सब ही लरजे।।जब बाण चले।धरणी दहले।। नभ नाद छुवा।रण

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*युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य तिथि पर एक कविता*

*युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद*(स्वामी विवेकानंद जी के पुण्यतिथि पर समर्पित)**************************************** रचयिता :*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*   12जनवरी1863 कोलकाता धरती महान।जन्मे जहाँ श्री स्वामी विवेकानंद जी महान। कुलीन बंगाली कायस्थ परिवार

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*वैश्विक आध्यात्मिक गुरु-स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य तिथि पर एक लेख*

*वैश्विक आध्यात्मिक गुरु-स्वामी विवेकानन्द*(पुण्यात्मा स्वामी विवेकानंद जी की पुण्य तिथि पर एक लेख)****************************************   लेखक : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   वेद वेदांतों के प्रकाण्ड विद्वान और

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*मुँह नाक में टोपी व वैक्सीन ही है दवाई*

*मुँह नाक में टोपी व वैक्सीन ही है दवाई*************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   लगाये रखनाअपने मुँह नाक की टोपी।कहें जिसे मास्क भी लाइफ तब

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*स्वर लहरियों का सरगम ही संगीत*

*स्वर लहरियों का सरगम ही संगीत********************************* रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   मन की खिन्नता को ये प्रसन्न करे संगीत।निराशा को आशा में बदलता है संगीत।

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*संस्कार बिना हर शिक्षा बेकार*

*संस्कार बिना हर शिक्षा बेकार******************************* रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   संस्कार एक कला है साथमें व्यक्ति का गहना।जिसमें होता संस्कार भरा उसका क्या कहना। जीवन

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*सर्वश्रेष्ठ हूँ मैं केवल शेष सभी बेकाम*

*सर्वश्रेष्ठ हूँ मैं केवल शेष सभी बेकाम************************************ रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   ये कहना कोई श्रेष्ठ नहीं है,मैं ही हूँ केवल सर्वश्रेष्ठ।बिलकुल गलत धारणा है

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*हिमालयन अपडेट कानपुर-काव्य समीक्षा*

*हिमालयन अपडेट कानपुर-काव्य समीक्षा* **************************************** समीक्षक : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   कलमकार कोई भी हो वह तो अपनी लेखनी का सदैव ही धनी होता है। कवि

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*बढ़ती उम्र के साथ सुखी रहने को आदतों में बदलाव जरुरी*

*बढ़ती उम्र के साथ सुखी रहने को आदतों में बदलाव जरुरी***************************************** आलेख : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र. प्रकृति का यह शाश्वत सत्य नियम है यदि ईश्वर कृपा

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*ईश्वर सब कुछ देख रहा है इसका भी ध्यान रखें*

*ईश्वर सब कुछ देख रहा है इसका भी ज्ञान रखें**************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   ईश्वर ही की इस जग में सब से बड़ी सत्ता

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*छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती विशेष*

*छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती विशेष**************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   छत्रपति शिवाजी महाराज एक बहादुर योद्धा।जन्में यह धरती पर कर्मवीर अविजित योद्धा। पिता शाहजी भोसले

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*हँसी ख़ुशी प्रेम से रहें घर ही स्वर्ग है*

*हँसी ख़ुशी प्रेम से रहें घर ही स्वर्ग है*********************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   बिना कुछ करे ना कभी कुछ मिला है,कर्मों का फल ही

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*वृक्षारोपण जरूर करें ताकि हमें शुद्ध ऑक्सीजन-स्वस्थ जीवन मिले*

आलेख शीर्षक :**************************************************”वृक्षारोपण जरूर करें ताकि हमें शुुद्ध ऑक्सीजन-स्वस्थ जीवन मिले************************************************** लेखक : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र. पर्यावण का तात्पर्य हमारे आस पास चारो ओर प्राकृतिक रूप

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*आम का गुड़म्मा*

*आम का गुड़म्मा******************* रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   फलों के राजा आम का मौसम आया।किस किस ने गुड़म्मा बनाया है खाया। खाया नहीं तो मैं

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*महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया जयंती*

*महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया जयंती*************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   9मई1540सिसोदिया राजपूत वंश में जन्मे।महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया वीर जन्मे। जन्मे जिस पुण्य धरा पर

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*रक्तदान करें एलायन्स क्लब के रक्तवीर बनें*

*रक्तदान करें एलायन्स क्लब के रक्तवीर बनें***************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   रक्त दान करना जीवन में एक बड़ा है काम।मामूली यह दान नहीं है

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*वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई – बलिदान दिवस*

*वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई – बलिदान दिवस***************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.   रानी लक्ष्मीबाई को उत्सर्ग दिवस पर नमन करें।देकर अपनी श्रद्धांजलि सच्ची कथा श्रवण करें।

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*इंटरनेशनल योगा डे-करें योग-रहें स्वस्थ,निरोग*

*”इंटरनेशनल योगा डे”-करें योग रहें स्वस्थ,निरोग*(अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का शुरुआत व इतिहास)*************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र. योग हमारे भारत के ऋषियों मुनियों की देन,हजारों साल

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रश्मिरथी

जा रे जा,जिया घबराए ऐ लंबी काली यामिनी आ भी जा,देर भई रश्मिरथी मृदुल उषा कामिनी काली घटा घिर घिर आए गरज गरज बदरा हैं छाए जाने क्यों खामोश हवाएं

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मोटनक छन्द “भारत की सेना”

(मोटनक छन्द) सेना अरि की हमला करती।हो व्याकुल माँ सिसकी भरती।।छाते जब बादल संकट के।आगे सब आवत जीवट के।। माँ को निज शीश नवा कर के।माथे रज भारत की धर

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गीतिका छंद “चातक पक्षी”

(गीतिका छंद) मास सावन की छटा सारी दिशा में छा गयी।मेघ छाये हैं गगन में यह धरा हर्षित भयी।।देख मेघों को सभी चातक विहग उल्लास में।बूँद पाने स्वाति की पक्षी

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दोस्त

दोस्त अब  मत  सुनाओ हमे  दर्दभरे  अफसाने ।हमने  तो  गमों  से रिश्ता  ही  तोड  दिया । अब  जमाने  की  हमे कोई  परवाह  नही ।हमने  तो  भगवान  कोदोस्त  बना  दिया । भगवान  से  दोस्ती कियी 

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भटकती आत्मा

भटकती आत्मा! चौबीसों घण्टे,नकारात्मकता से युक्तरोज़ाना ख़बरों में कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों और मृत्यु-दर के साथ-साथ असंख्य कहानियों को सुनते-देखते,ज़िंदगी अग्रसर है। मार्च में लॉक-डाउन के बावजूद,तबलीगी

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गधों की चिंता करना छोड़ें, अपने बारे में ही सोचें कुरड़ी पर लौटे बिना, उन्हें स्वाद थोड़े न आएगा..

सुशील कुमार ‘नवीन’ दो दिन पहले सोशल मीडिया पर पढ़े एक प्रसंग ने मन को काफी गुदगुदाया। आप भी जानें कि आखिर उसमें ऐसा क्या था कि उक्त प्रसंग, लेखन

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प्री-बोर्ड

प्री-बोर्ड उर्मिला काफी देर से चम्मच को उल्टा सीधा करके देख रही थी और उसकी माँ सुधा उसे।उर्मिला अमूमन अल्हड़ स्वभाव का वर्ताव किया करती थी और सुधा को उसी

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