न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

*वृक्षारोपण जरूर करें ताकि हमें शुद्ध ऑक्सीजन-स्वस्थ जीवन मिले*

Spread the love
image_pdfimage_print

आलेख शीर्षक :
*************************************************
*”वृक्षारोपण जरूर करें ताकि हमें शुुद्ध ऑक्सीजन-स्वस्थ जीवन मिले*
*************************************************

लेखक :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.

पर्यावण का तात्पर्य हमारे आस पास चारो ओर प्राकृतिक रूप से प्राप्त जो भी जीव जंतु कीट पतंगे मानव प्राणी पशु पक्षी अन्य जानवर पेड़ पौधे वन उपवन जंगल नदियां पहाड़ फूल पत्ती लतायें जड़ी बूटियां और वनस्पतियां इत्यादि उपलब्ध हैं,वे सब हमारे पर्यावरण के महत्वपूर्ण अंग हैं।इन सब की सुरक्षा प्रकृति के संतुलन के लिए आवश्यक है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण अत्यंत आवश्यक और प्रत्येक प्राणी के जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण है।
*आओ हम पेड़ लगायें-जीवन अपना बचायें*
पर्यावरण का हमारे जीवन की खुशहाली में बहुत बड़ा महत्त्व और सराहनीय योगदान है। हरे भरे पेड़ पौधे हमारे सुखमय जीवन और जीने का एक आधार हैं।इनके बिना हमारा जीवन असुरक्षित है।
इन वृक्षों के अपने आस पास होना हम सब के लिए नितांत जरुरी,बहुत महत्वपूर्ण और सदा ही बहुत उपयोगी रहा है। इन वृक्षों से ही हमें अपनी जीवनदायिनी शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त होती है। जिससे हम शुद्ध हवा में साँस लेते हैं और हमारा जीवन सुरक्षित रहता है। इन पेड़ों से ही हमें प्रचुर मात्रा में ऑक्सीजन की प्राप्ति होती है, जो किसी अन्य स्रोत से नहीं प्राप्त हो सकती है। ऑक्सीजन ही वह सर्वोत्तम गैस है जो हमारे वायुमंडल में निःशुल्क रूप से व्याप्त रहती है,जिससे हम स्वस्थ्य व जीवित रह पारहे हैं। यदि यह हमें प्राकृतिक रूप से न प्राप्त हो या वायुमंडल से समाप्त हो जाये तो हमारा या किसी भी प्राणी मात्र का जीना संभव नहीं है,हमारा जीवन निष्क्रिय हो जायेगा और मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा। ये वृक्ष हमारे लिए पर्याप्त ऑक्सीजन तो उत्पन्न ही करते हैं,साँस लेने की प्रक्रिया में हमारे द्वारा छोड़ी गयी बहुत ही हानिकारक और अशुद्ध कार्बनडाईऑक्साइड को अवशोषित भी करते हैं।
इसी प्रदूषित कार्बन डाई ऑक्साइड से ये पेड़ पौधे क्लोरोफिल और सूर्य के प्रकाश तथा जल के सहयोग से अपना भोजन बनाते हैं।
*वृक्ष हैं धरती की शान-न हो इनका नुकसान*
वाह रे हे ईश्वर जगत के स्वामी तूने कितना सुन्दर यह प्राकृतिक संतुलन बनाया है। पेड़ पौधे जो हमें निरंतर जीवन देते आ रहें हैं और हम बुद्धिजीवी कहलाने वाले मानव उनका प्रतिदिन दोहन करते आ रहे हैं।उन्हें काट रहे हैं,नष्ट कर रहे हैं। हरे भरे सघन वनों और जंगलों को अपने व्यक्तिगत लाभ व उपभोग के लिए नित्य समाप्त करते जा रहे हैं।
इससे अपनी कमाई बढ़ाने में रोज इसका क्षरण कर रहे हैं। स्वस्थ्य जीवन के लिए जरुरी इन अति महत्वपूर्ण वृक्षों को नष्ट करने में हम अपनी ऊर्जा और शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं।
*हरे भरे पेड़ मत काटो-इन्हें भी दर्द होता है*

*पेड़ हमें ऑक्सीजन देते-फल फूल लकड़ियाँ देते,बदले में कुछ भी न लेते-ठंडी ठंडी छांव भी हैं देते।*

यदि बागों और जंगलों का इसी तरह विनाश होता रहा तो धरती पर पर्याप्त वृक्ष कहाँ रह पाएंगें। हम कैसे जी पाएंगें। मनुष्य की क्या परिणिति होगी इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। हमें इन वृक्षों को कटने से और जंगलों को नष्ट होने से बचाना होगा।ये वृक्ष हमारे लिए बहुत जरुरी हैं।
*पेड़ों की रक्षा करना हमारा परम धर्म है,*
*इसमें ऐ इंसानों कोई नहीं शर्म है।*
इन्ही वृक्षों से ही तो हमें खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक फल-फूल,चिकित्सा के लिए जड़ी-बूटियां,भोजन बनाने के लिए ईंधन,राहगीरों को आराम विश्राम के लिए छाया,पशुओं के लिए चारा,मकान के लिए इमारती लकड़ियाँ,स्वास्थ्य वर्धक विभिन्न खाद्य पदार्थो में स्वादिष्ट प्राकृतिक आम,अमरुद,जामुन,महुआ,कटहल,बड़हल,चीकू,
सेव,संतरा,आड़ू,चेरी,नाशपाती,लीची,किन्नू,कीवी,अनन्नाश,गूलर,जंगल जलेबी,खिन्नी,फालसा,बेल,
इमली,कैथा इत्यादि वस्तुयें समय समय और मौसम के अनुसार प्राप्त होती रहती हैं।
खाने के लिए ही लवंग,इलायची,जीरा,दालचीनी, तेजपत्ता,छबीला,जायफर,बड़ी इलायची,जावित्री,
रतनजोत,केसर,काजू,पिस्ता,बादाम,अखरोट,
चिरौंजी,किशमिश,मुनक्का,छोहरा,गरी,खजूर इत्यादि मेवे और मशाले भी इन्ही पेड़ो से ही तो सब को प्राप्त होते हैं।
पूजा के लिए भी फल-फूल,सुपाड़ी,नारियल व
नवग्रह की लकड़ियाँ,केला पत्ता,आम के पल्लव,
होम की लकड़िया,चन्दन,रुद्राक्ष आदि प्रभु को प्रिय सभी वस्तुयें इन्ही वृक्षों,पेड़-पौधों से ही हमें प्राप्त होती है।
गृह,कुटीर और लघु तथा बड़े उद्योगों की दृष्टि से कागज,गत्ता,हार्ड बोर्ड,प्लाई,खेल के सामान, दियासलाई,बीड़ी,सजावटी सामान,घरेलू फर्नीचर,खिलौने,रेशम,शहद,बेंत,बांस,बल्ली,
थूंन्ही,मंडार,दुर्गा पूजा के पंडाल की सजावट,
खिड़की-दरवाजे,मूसल,ओखली,लकड़ी के बर्तन,मेज,कुर्सी,बेंच,आलमारी,तख़्त,चारपाई,
मचिया,पूजा की चौकी बैलगाड़ी,इक्का ठेलिया,
कुयें में पड़ने वाली नेवाढ़ इत्यादि के लिए भी तो हम इन्ही वृक्षों और पेडों पर सदियों से निर्भर ही करते आ रहे हैं।
यहाँ तक कि किसी के मृत्योपरांत भी उसकी शव यात्रा की तिख्ती हेतु बांस और चिता जलाने के लिए लकड़ियाँ भी तो इन्ही पेड़ों और वृक्षों से प्राप्त होती है।
ये वृक्ष पानी बरसाने में भी सहायक होते हैं तथा बरसात में वर्षा के जल के बहाव से होने वाली मिटटी के कटाव को भी रोकने में सहायक होते हैं। वृक्ष पर्यावरण में व्याप्त वायु प्रदूषण को भी दूर करने में सहायक होते हैं तथा स्वच्छ,शीतल,
हवा के साथ हमें जीवन में शुद्ध ऑक्सीजन भी देते रहते हैं,ये पेड़ पौधे वन उपवन की प्राकृतिक हरियाली और प्रकृति का संतुलन भी बनाये रखने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हैं।
*पेड़ पानी बरसाने में हैं होते बड़े सहायक,*
*वर्षा में भूमि के कटाव रोकने में सहायक।*
ऐसी दशा परिस्थिति और आवश्यकता के रहते हुए भी हम फिर क्यों वन,जंगल और बागों को नष्ट करने पर लगे हुए हैं। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए और वृक्षारोपण अवश्य करना चाहिए ताकि हमारे पर्यावण की सुरक्षा भी हो सके और हमें सभी आवश्यक चीजें भी उपलब्ध होती रह सकें, जीवन के लिए सब से जरुरी चीज ऑक्सीजन भी निरंतर मिलती रह सके। पर्यावरण का संतुलन भी न बिगड़े और ग्लोबल वार्मिंग से भी हम जीवन में बचे रह सकें। ये वृक्ष हमें अनेक रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराते हैं जिससे हमारी निजी आजीविका चलती रहे और परिवार का आसानी से भरण पोषण भी होता रह सके।
पेड़ों के इन्ही अपार गुणों के कारण इन्हें एक छोटा बड़ा साधारण पेड़ नहीं बल्कि “वृक्ष देवता” कहा जाता है और मनुष्य अपने जीवन काल में नित्य या कभी न कभी किसी पूजा पर्व अथवा गृह शांति और निवारण हेतु वह नीम,पीपल,पाकड़, बरगद,शमी,तुलसी,केला आदि पेड़ पौधों व वृक्षों को जल चढ़ाता है और उसकी पूजा करता है।
*ये केवल पेड़ नहीं हैं-धरती के वृक्ष देवता हैं*
पर्यावरण के संरक्षण एवं सघन वृक्षारोपण हेतु विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत ही एक बहुत ही सुन्दर,उपयोगी और महत्वपूर्ण कार्यक्रम और *”सामाजिक वानिकी कार्यक्रम”* है। जिसको *महाराज प्रतापगढ़ स्वर्गीय राजा अजीत प्रताप सिंह जी द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार में जब वह “वन एवं पर्यावरण मंत्री” थे,उनके द्वारा पर्यावरण सुरक्षा हेतु विकसित,स्थापित और संचालित किया गया था जो आज की वर्तमान स्थिति में भी प्रासंगिक एवं समीचीन है।*
पर्यावरण सुरक्षा संरक्षण और संतुलन हेतु यह वृक्षारोपण के लिए जरुरी है,जिसमे निम्न प्रकार से लोगों द्वारा सहयोग किया जा सकता है।
1- *स्कूलों में स्कूल नर्सरी की स्थापना हो।*
2- *किसान नर्सरी की स्थापना की जाये।*
3- *पट्टे की भूमि प्राप्त कर वृक्षारोपण हो।*
4- *गाँव में तालाबों के किनारे वृक्षारोपण हो।*5- *स्कूलों की बाउंड्रीज व आवागमन मार्ग * *के दोनों ओर वृक्षारोपण किया जाये।*
6- *प्रत्येक परिवार में किसी नई उपलब्धि पर यादगार पल बनाने हेतु कम से कम एक फलदार पेड़ जरूर लगायें।*
7- *परिवार के किसी प्रिय सदस्य की मृत्यु पर भी उसकी याद में एक फलदार पेड़ अवश्य ही लगायें ।*
इस प्रकार उपरोक्तानुसार हम नर्सरियों के अलावा व्यक्तिगत रूप से भी स्वयं कम से कम एक अतिरिक्त पेड़ लगाकर कर वृक्षारोपण कर सकते हैं और निजी तौर पर पर्यावरण की सुरक्षा करने में घर परिवार के लिए खुशहाली लाने में अपना खुद का महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
इन नर्सरियों की स्थापना हेतु उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा जैसे वन,पर्यावरण,कृषि, एवं सामाजिक वानिकी इत्यादि विभागों द्वारा आर्थिक सहयोग भी प्रदान किया जाता है,जिससे इन नर्सरियों में बीजारोपण कर अथवा कलम कटिंग आदि के माध्यम से छोटे छोटे विभिन्न प्रकार के फलों के पौधे,औषधीय गुणों के पौधे,सुन्दर फूलों के पौधे,सजावटी पौधों और गमले व क्यारी में लगाये जाने वाले आकर्षक पौधों का उत्पादन कर उनकी विक्री से धनोपार्जन भी किया जा सकता है और इस प्रकृति के सुन्दर पर्यावरण संरक्षण हेतु सघन वृक्षारोपण को भी एक गति प्रदान की जा सकती है।
इसके लिए जरुरी है कि महिलाओं और पुरुषों को अपने अपने ग्राम पंचायतों में युवा मंडलों का नविन गठन करना चाहिए तथा अपने ग्राम प्रधान से पट्टे पर भूमि का आवंटन करवा कर उस पर हरे भरे वृक्षों को लगा कर अपने गाँवों को हरियाली और प्राकृतिक सुंदरता से भर देना चाहिए। जिससे आप जब भी गांव में प्रवेश करें अथवा कहीं जाने के लिए निकलें तो उसकी सुंदरता और हरियाली को देख कर आप का मन प्रसन्नता से भर उठे और गाँव के सब लोगों को स्वच्छ हवा और विशुद्ध ऑक्सीजन भी मिलती रहे।
स्कूलों और विद्यालयों के प्रबंधकों,प्रधानाचार्यो और उसके अध्यापकों-अध्यापिकाओं को अपने छात्र-छात्राओं को अपना मार्गदर्शन देते हुए उनके सहयोग से स्कूलों में स्कूल नर्सरी की योजना बनानी और स्थापना करनी चाहिए। अपनी नर्सरी के पौधों की सिंचाई,बढ़वार और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए तथा रोपित करने लायक हो चुके पौधों को यथास्थान लगा कर अपने स्कूल कालेज को सुन्दर वातावरण और पर्यावरण से सुसज्जित करना चाहिए,जिससे हरियाली और प्राकृतिक छटा का हर विद्यार्थी,अभिभावक और स्टाफ आनंद उठा सके।
ग्रामीण किसानों द्वारा भी किसान नर्सरी लगाई जाना चाहये। इसके लिए वन विभाग से विशेष सहयोग लेते हुए अपनी किसान नर्सरी को मूर्त रूप देना चाहिए और उसने अच्छे अच्छे पौधे तैयार करना चाहिए। इस प्रकार तैयार पौधों से खेत खलिहान,गाँव, किसान,स्कूल,विद्यालय और
निजी घर परिवार सभी को एक सुखद अनुभूति होगी और हर जगह की प्राकृतिक सुंदरता एवं हरियाली से भी सम्पूर्ण वातावरण जगमगा उठेगा। इससे पर्यावरण भी सुरक्षित और संतुलित बना रहेगा।
यही नहीं उपरोक्त तरह से तैयार किये गए पौधों की विक्री से ग्राम पंचायत के युवा मंडलों,स्कूल कालेजों एवं किसानों को अतिरिक्त आय का एक सुनहरा अवसर भी प्राप्त होगा। इस नर्सरी से अच्छा धनोपार्जन कर सकते हैं तथा उसे अपने गाँव, स्कूल,विद्यालय,युवा मंडल के सदस्य या किसान अपने व्यक्तिगत के ऊपर भी खर्च कर सकते हैं और अपने अथवा संस्था के विकास में उस धन का सदुपयोग करके स्वयं प्रगति और उन्नति कर सकते हैं।
*पेड़ हमें देते हैं रोजगार-करें न इनका उजाड़*
आज मनुष्यों ने अपने निजी विकास की अंधी दौड़ में अधिक से अधिक धनोपार्जन हेतु इस नैसर्गिक प्रकृति के साथ खिलवाड़ करना शुरू कर दिया है,इसके लिए वह छोटी नदी नाले व तालाबों को पाटता जा रहा है। बाग बगीचा के पेड़ों को काटता जा रहा है। जंगल नष्ट करता जा रहा है। कल कारखाने बहुमंजिला मकान मिल फैक्टरियां बनाता लगाता जा रहा है। इससे होने वाले शोर, उठने वाले धुँए और जहरीली गैसों से तथा बाहर निकलने वाली गंदगियों से वातावरण अशुद्ध और पर्यावरण असुरक्षित तथा प्रकृति भी असंतुलित होती जा रही है। हमारा साँस लेना भी आज दूभर हो गया है। इस असंतुलन और प्रदूषण का बहुत बड़ा दुष्प्रभाव सभी जीव जंतुओं और मानव के साथ ही साथ पेड़ पौधों वनस्पतियों और बिल्डिंगों के ऊपर भी पड़ता साफ साफ दिखाई पड़ रहा है।
*पेड़ हमारे पिता जैसे धरती माता है,*
*पर्यावरण स्वच्छ व सुखद सुहाता है।*
*सूर्य चन्द्रमा वायु गगन अन्न व जल,*
*पतंगे जड़ी बूटियाँ वन उपवन फल।*
*नदियां झरने पहाड़ जीव जंतु कीट,*
*यह सभी पर्यावरण के अंग है मीत।*
इस लिए यह हम सब के लिए बहुत जरुरी है कि इस पर्यावरण को सुरक्षित रखने के विभिन्न सभी उपायों में सर्वाधिक कारगर उपाय वृक्षारोपण को हम जीवन में अधिक से अधिक अपनायें और करें। स्वस्थ्य व सुखमय जीवन जीने के लिए हम सब का यह परम कर्तव्य है कि प्रकृति के साथ ऐसा कोई भी खेल न खेलें जिससे उसका संतुलन बिगड़े और पर्यावरण को खतरा उत्पन्न हो। कल कारखानों से हो रहे विषाक्त प्रदूषण को बंद करने का उपाय करें अथवा इसे कम से कम कम अवश्य करें। ईश्वर प्रदत्त प्रकृति के इन सुन्दर उपहारों का दोहन बंद करें। अधिक अधिक हम सभी मिलकर वृक्षारोपण करें। धरती और आस पास का सम्पूर्ण वातावरण हरित और सुखद करें। अपनी प्रकृति और पर्यावरण को स्वच्छ सुन्दर सुरक्षित तथा इसे संतुलित बनाये रखने में अपना पूर्ण योगदान करें। इसका पूरा पूरा ध्यान रखें यही हम सब का फर्ज है,तभी वास्तव में हमें इंसान कहलाने और हमारे मानव होने का कोई अर्थ है।
*मत काटो हरे भरे वृक्ष को,जीवन के यही रक्षक हैं।*
*वृक्षारोपण अधिक करें,जिससे पर्यावरण न बिगड़े*
जय प्रकृति, जय धरती, जय हिंद, जय भारत।

लेखक :

*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
जिलाध्यक्ष
ह्यूमन सेफ लाइफ फॉउन्डेशन,शाखा-प्रतापगढ़
संपर्क : 9415350596

Last Updated on June 26, 2021 by dr.vinaysrivastava

  • डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
  • वरिष्ठ प्रवक्ता
  • पी बी कालेज
  • [email protected]
  • 156 - अभय नगर, प्रतापगढ़ सिटी, उ.प्र., भारत- 230002
Facebook
Twitter
LinkedIn

More to explorer

2025.06.22  -  प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता  प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ  --.pdf - lighttt

‘प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता : प्रवृत्तियाँ, चुनौतियाँ और संभावनाएँ’ विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रतिभागिता प्रमाणपत्र

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱प्रयागराज की हिंदी पत्रकारिता पर  दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन संपन्न प्रयागराज, 24

2025.06.27  - कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण - --.pdf-- light---

कृत्रिम मेधा के दौर में हिंदी पत्रकारिता प्रशिक्षण विषयक विशेषज्ञ वार्ता का आयोजन 27 जून को

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱फ़ील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की 18वीं पुण्यतिथि के अवसर  परकृत्रिम मेधा के दौर में

light

मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का भव्य आयोजन

Spread the love

Spread the love Print 🖨 PDF 📄 eBook 📱अंतरराष्ट्रीय हिंदी पत्रकारिता वर्ष 2025-26 के अंतर्गत मध्य प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता विषय पर

Leave a Comment

error: Content is protected !!