तुम क्या कहोगे मुझे?
पहचान के लिए एक अदना सा शब्द तो दे ना सके
और दे भी क्या सकते हो तुम
मैं क्यों मांगू
नाम थोड़े ही मांगा जाता है
या तो रखा या कमाया जाता है
गर मुझे खुद ही अपने हिस्से की लड़ाई लड़नी पड़े
तो कोई और क्यों..?
ओ मतलबी तूं मुझे एहसानमंद न बना
प्रकृति ने मुझे पूर्ण बनाया है
चाहिए ना तेरा संग और साथ
देख तुझे से भी आगे निकल गई
है नहीं मेरी रंग-नस्ल-धर्म और जात
Last Updated on December 15, 2021 by 22rrmishra97
- राकेश रंजन
- संपादकीय सहयोगी
- सृजन ऑस्ट्रेलिया
- [email protected]
- मिश्रौली, सिसरी, दरभंगा (847106)