“अधखुली आंखों वाली”
सुनिए..
जीवन दर्शन में
रिश्तों के अहमियत पर
क्या ख्याल है आपका..
क्या सच में..
एक स्नेह पूर्ण जीवन जीने के लिए
रिश्तों के विभिन्न आयामों के
उपर गहन विमर्शोंपरांत ही
इस डोर में बंधा या बांधा जाता है
नहीं..
कभी – कभी तो मूक संबंध भी
एक ठोस रिश्ता में परिवर्तित हो जाता है
और वक्त के साथ वो रूहानी हो जाता है
नैसर्गिक रूप से प्रस्फुटित रिश्ता
ज्यादा प्रबल होता है
जहां दैहिक आकर्षण गौण हो जाता है
देखिए..
मुझे रिश्तों को नाम के दायरे में
समेटने में घबराहट होती है
क्योंकि अक्सर देखा है इसे
टुटते हुए, बिखरते हुए या बदलते हुए
माना कि मैनें आपको
स्वामी के रूप में स्वीकार किया है
और यह नश्वर देह समर्पित है
पर सुनिए..
संबंध दर्शन के परिधि से निकल कर
मुझे सिर्फ असीम निश्छल प्रेम चाहिए
जो पल्लवित – पुष्पित होता रहे
इस धरा पर यूं हीं चिर काल तक..
बड़ी ही सहजता से समझा गई
प्रेम दर्शन में स्पर्श, स्पंदन और समर्पण
वो अधखुली आंखों वाली लड़की ।।
- डॉ. अजय कुमार
Last Updated on January 8, 2021 by ajay1991ks
- डॉ. अजय कुमार
- असिस्टेंट प्रोफेसर
- अंग्रेजी विभाग, पटना काॅलेज,पटना
- [email protected]
- अंग्रेजी विभाग, पटना काॅलेज पटना, बिहार,पिन-800005