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डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

चरर्तृहरि की ज्ञान मारक कथाएं

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<span;>सब जीव-जंतु अपनी खोपड़ी पर आगे लगे ललाट नामक नोटिस बोर्ड पर लिखवा कर आते हैं। ईश्वर इसके ऊपर स्केच पेन से लिख देता है; जिसे भाग्य कहा जाता है। कोई भी नेता या मंत्री किसी को कुछ नहीं देता। न ही कोई अफसर किसी का कोई काम करता है। अफसर और मंत्री अपनी खोपड़ी पर आगे से लिखवा कर लाते हैं। वे अपनी खोपड़ी का लिखा हुआ ही खाते हैं। इसलिए सीमेंट-सरिया सब पचाते हैं। चमचा चरर्तृहरि ने भी इस मामले में बड़े एक्सपेरिमेंट किए। कहा कि इस ललाट नोटिस पट्ट पर जो कुछ लिख दिया गया है, वही होकर रहता है। जैसे बसंत ऋतु आने पर भी करील वृक्ष पर किसी भी हाल में पत्ते तक नहीं लगते हैं। जैसे सूरज का उजाला होने पर भी उल्लू देव को दिखाई नहीं देता है। जैसे चारों और बरसात होने पर भी चातक हमेशा प्यासा ही रहता है। जैसे नेता हर हाथ को काम और हर मुंह को रोटी देने का वादा करता है, लेकिन कुछ नहीं देता है। इससे स्पष्ट होता है कि इनके भाग्य में यही होना लिखा हुआ है और यही होता है। फिलहाल मेरे सामने टेबल पर जो केला रखा हुआ है, वह बिल्कुल अकेला है। मेरी इसे खाने की भयंकर इच्छा हो रही है। लेकिन मेरे भाग्य में लिखा होगा, तो मैं इस केले को खाऊंगा वरना ऐसे ही लिखते-बिलखते सड़ जाऊंगा। <span;>चरर्तृहरि<span;> एक्सपेरिमेंट करते हैं। उन्होंने भाग्य की वैक्सीन खोजने के लिए बाकायदा एक प्रयोगशाला स्थापित की। पहले प्रयोग में उन्होंने एक गंजे आदमी की व्यवस्था की। ऐसा गंजा जिसके पास बाकायदा एक कंघा भी था और कहते हैं कि खुदा ने उसको नाखून भी दिए थे। इसे प्रयोगशाला में बुलाया। देखा कि प्रयोगशाला के बाहर जो सूरज तम-तमा रहा था उसकी सारी किरणें उसकी खोपड़ी पर आ गिरी। इसकी वजह से गंजे की खोपड़ी से पसीना चूने लगा। तत्काल वह मरणासन्न भया। तब उसे प्रयोगशाला में बुलाकर एक कुर्सी पर बैठाया गया। जिस कुर्सी पर वह बैठा था, उसके ऊपर एक भारी सा झूमर लगा था। तत्क्षण ही झूमर गिरकर उसकी चिकन लोडी खोपड़ी को चकनाचूर कर गया। तब <span;>चरर्तृहरि<span;> ने अपने लैपटॉप पर ये नोट्स लिखे कि अगर किसी के भाग्य में ठुकना लिखा होता है, तो उसे हर जगह ठुकना पड़ता है।

<span;>एक अन्य एक्सपेरिमेंट में उन्होंने एक भूखा सांप लिया। उसे टोकरी में बंद करके रसोई घर में रख दिया। <span;>चरर्तृहरि<span;> हमेशा सांप पर नजरें रखा करते थे। पूरे 4 दिन बीत गए। सांप काफी मात्रा में भूखा हो गया। उनको यकीन हो गया कि अब सांप मर जाएगा। तभी उन्होंने देखा कि एक चूहा जो बहुत मोटा ताजा था और एक नेता की तरह सीमेंट-सरिये से लेकर रोटी-बोटी चट करके फुलं-फुल मोटा ताजा हो गया था। उसने अपने दांत गड़ा कर उस टोकरी में छेद कर दिया जिसमें सांप रखा गया था। चूहा छेद करके टोकरी के अंदर घुस गया। भूखा सांप चूहे को खा गया और वह उसी <span;>छेद<span;> से बाहर निकल गया जिससे चूहा अंदर गया था। तब <span;>चरर्तृहरि<span;> ने अपने लैपटॉप को फिर खटखटाया एक्सेल शीट में टाइप किया कि अब तो सबूत नंबर दो आ गया। पता भी लग गया है कि जिसके भाग्य में जो कुछ लिखा होता है, वही हो जाता है। इस बात को और पुख्ता करने के लिए <span;>चरर्तृहरि<span;> ने एक्सपेरिमेंट नंबर 3 किया। इस एक्सपेरिमेंट में <span;>चरर्तृहरि<span;> ने अपने पड़ोसी से एक टूटी-फूटी जंग खाई बाल्टी उधार मांगी। बाल्टी लेकर वह हैंडपंप से उसमें पानी भरने लगे। देखा कि पानी जितना भरा उतना बाहर निकल गया। बाल्टी लेकर वे एक झील के किनारे गए। उन्होंने पानी भरा देखा कि जितना पानी भरा गया वह सब निकल गया। बाल्टी को वे जहां भी ले गए बाल्टी अंत में खाली ही रही। तब एकदम से उन्होंने कंप्यूटर ऑन किया और लिख मारा कि बाल्टी में चाहे जितना ही पानी भरो। फूटी बाल्टी के भाग्य में पानी नहीं होता। इसलिए हमें भी मंत्री और अफसरों से उम्मीद नहीं करना चाहिए। बस अपनी खोपड़ी पर सरसों का तेल मलते हुए आराम से खाट पकड़ कर पड़ जाना चाहिए। नेताओं के चुनावी वादों को मात्र चुटकुले समझना चाहिए। इतना ज्ञान मारकर <span;>चरर्तृहरि<span;> ने अपना लैपटॉप शटडाउन कर दिया। <span;>अफसर करे न चाकरी, मंत्री करे न काज। वोटर वोट दे घर गया, अब चमचे करे मसाज।

<span;>– रामविलास जांगिड़,18, उत्तम नगर, घूघरा, अजमेर  (305023) राजस्थान

Last Updated on November 26, 2020 by vilasjangid07

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