न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

6 मैपलटन वे, टारनेट, विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from 6 Mapleton Way, Tarneit, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

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नदी के साथ

मैं इस नदी के साथ,जीना चाहता हूँ..डूबना चाहता हूँ..इसके भीतर!!तैर कर सभी.. पार कर लेते हैं नदियाँ।नाव पर घूमते हुए..देखते हैं सभी।मैं डूब कर भीतर तकदेखना चाहता हूँ भीतर से

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अनूदित लेख
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किसान

सभी व्यवसायी चाहते हैं, उनका बेटा बड़ा होकर यदि कुछ नहीं तो उनका ही रोज़गार संभाले। परन्तु एक किसान कभी स्वप्न में भी नहीं सोचता कि उनका बेटा बड़ा होकर

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अनूदित समीक्षा
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प्रेम

प्रेम… ये वो प्यारा नाम है जो प्यार, स्नेह, मोह, प्रीत, आनन्द, हर्ष का एक अद्भुत संयोग है। जो ह्रदय में ममत्व की भावनाओं को उत्पन्न करता हैं। जहाँ इसमें,

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अनूदित कविता
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लड़के जब रोतें हैं

लड़के जब रोते हैं,प्रकृति में असंतुलन बढ़ जाता है। सूर्य अपने तीव्र वेग पर आ जाते हैं। समंदर में वाष्पोत्सर्जन चरम पर होता है। पृथ्वी का जलस्तर तेजी से घटता

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अनूदित कविता
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तुम्हारा सौंदर्य

अत्यंत कठिन है तुम्हारे सौंदर्य का वर्णन तुम्हारे सौंदर्य को देखना ठीक वैसा ही है,जैसे बारिश के बाद इंद्रधनुष को ढूंढना!तुम्हारे सुंदरता का उत्कर्ष है तुम्हारे चेहरे की लालिमाजैसे उदय

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Uncategorized
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अंतरराष्ट्रीय अटल काव्य प्रतियोगिता – 2021

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एवं सुप्रसिद्ध कवि भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती 25 दिसंबर 2021 के अवसर पर विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस,  न्यू मीडिया सृजन संसार

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लघु कथा
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शक्तिहीन

वह मीठे पानी की नदी थी। अपने रास्ते पर प्रवाहित होकर दूसरी नदियों की तरह ही वह भी समुद्र से जा मिलती थी। एक बार उस नदी की एक मछली

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नई कविता
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मंदिर मस्जिद का बनना

मंदिर मस्जिद का बनना। दुनियां में सरेआम हुआ।। आदमी बन न सका बंदा। रब्ब यूं ही बदनाम हुआ।। जात पांत का चक्कर बड़ा। भक्ति का मार्ग ताम हुआ।। जंगल जंगल

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तोटक छंद “विरह”

तोटक छंद “विरह” सब ओर छटा मनभावन है।अति मौसम आज सुहावन है।।चहुँ ओर नये सब रंग सजे।दृग देख उन्हें सकुचाय लजे।। सखि आज पिया मन माँहि बसे।सब आतुर होयहु अंग

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