सौ सौ अफसाने हैं
नवगीत सबका अपना तौर-तरीकासबके अपने पैमाने हैं। हैं कई सभ्यताएँऔर उनमें संघर्ष है।कैसे होगा फिरइंसानियत का उत्कर्ष है।। अगर हमारा पंथ निरालाउसके सौ-सौ अफसाने हैं। एकीकृत करने का अबकोई वक्त
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
नवगीत सबका अपना तौर-तरीकासबके अपने पैमाने हैं। हैं कई सभ्यताएँऔर उनमें संघर्ष है।कैसे होगा फिरइंसानियत का उत्कर्ष है।। अगर हमारा पंथ निरालाउसके सौ-सौ अफसाने हैं। एकीकृत करने का अबकोई वक्त
22 22 22 22ग़ज़ल वह तो अफलातून लगा है।पशुता गर नाखून लगा है।। भ्रष्टाचार बढ़ाने वाले,उनके मुँह में खून लगा है। जाड़े के दिन पाँव पसारे,यानि सलाई-ऊन लगा है। सोच-विचार
22 22 22 22ग़ज़ल वह तो अफलातून लगा है।पशुता गर नाखून लगा है।। भ्रष्टाचार बढ़ाने वाले,उनके मुँह में खून लगा है। जाड़े के दिन पाँव पसारे,यानि सलाई-ऊन लगा है। सोच-विचार
इक्कीसवीं सदी में देखा गया है कि लगभग हर दो-तीन वर्ष में नवगीत के संकलन प्रकाशित हो रहे हैं, जिनमें कुछ वृहद संकलन हैं, तो कुछ संक्षिप्त हैं। इन संकलनों
नवगीत-जैसे हबूब गया सूरज निकला सुबह-सुबह शाम को डूब गया। किरणों ने दुनिया में धूप की चादर फैलाई। संगीत फूटा निर्झर से कल-कल की ध्वनि आई।।
यातायात-नवगीत यातायात मन में दु:ख-विषाद का चल रहा है। जगह-जगह हो रही दुर्घटना है। हो चाहे भोपाल या पटना है।। हैं कैसा समय चाँदनी का रूप
मीना कुमारी नाज़ की शायरीडॉ. वसीम अनवर सहायक प्राध्यापक उर्दू एवं फारसी विभाग डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश wsmnwr@gmail.com; 9301316075 मीना कुमारी को एक अव़्वल दर्जा की
माँ हो कर ही जाना जा सकता है माँ का होना भी । काँधे पे पेट सिर पर गठरी कोरोना यात्रा । धूप से लड़े हमको छाया देने
कस्तूरी मेरी ‘कस्तूरी’ मुझे देती रही भटकन ……… उम्रभर जो मरा तो जाना कि मारा भी गया इसी के लिए । Last Updated on September 20, 2021 by rnbanyala
अभिषेक करें जन वाणी का ================ अभिषेक करें जन वाणी का नागरी का, दीव्यागीर्वाणी का ओंकार जन्मा, संस्कृत सृष्टा जग वन्दिनी, देव–नन्दिनी खलिहान–खनक, मात वाणी
भारत -रत्न , पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर गत वर्ष आयोजित अंतरराष्ट्रीय अटल काव्य- लेखन प्रतियोगिता में चयनित 51 कविताओं का संग्रह ‘श्रेष्ठ इक्यावन कविताएं’
रज्जो रात के दस बज रहे होंगे। कॉलनी के गेट से होकर आ रही मिलिट्री हॉस्पिटल की वैन देखकर हैरान रह गयी | इस समय कौन सी इमरजेंसी है