“अंतराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता” शीर्षक”मां”
माँ:::::::::माँ ही शिक्षक महान जगत में अच्छा पाठ पढाती है।हिम्मत और होंसला दे कर,आगे सदा बढाती है।।1।।माँ दुनिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
माँ:::::::::माँ ही शिक्षक महान जगत में अच्छा पाठ पढाती है।हिम्मत और होंसला दे कर,आगे सदा बढाती है।।1।।माँ दुनिया
सृजन आस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई पत्रिका(महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता लेखन)(प्रतिभा नारी को भी अपनी दिखलाने दो) प्रतिभा नारी को
तुमने ही हृदय बिछाया…. तुम धूप हो, तुम छाँव होपसरी हुई निस्तब्धता मेंजीवंत हुआ-सा ठाँव हो ।घिर-घिरकर जब
प्रेम-काव्य प्रतियोगिता हेतु रचना तुमने ही हृदय बिछाया…. तुम धूप हो, तुम छाँव होपसरी हुई निस्तब्धता मेंजीवंत
महामारी का समय …. यह महामारी का अपना समय हैसमय सबका होता हैसबका ‘नितांत ‘अपनाकभी पूर्ण पाश्विकता काकभी