
हे अन्नदाता
*हे अन्नदाता ! ,हे अन्नदाता !* हे अन्नदाता ! हे अन्नदाता !उठों जागों तुम्हें खेत बुलाताहल तुझसे पहलें
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
*हे अन्नदाता ! ,हे अन्नदाता !* हे अन्नदाता ! हे अन्नदाता !उठों जागों तुम्हें खेत बुलाताहल तुझसे पहलें
http://कृष्ण -अर्जुन संवाद प्रेरित मेरे द्वारा रचित #कविता ———-////————— #जीवन संग्राम के महासमर में, विजय का वरण तभी
http://मर्यादा #पुरुषोत्तम श्री राम को समर्पित मेरी #कविता ——–////—————– #श्री राम तुम महान हो, समस्त जगत का कल्याण
यूँ मायूस मत बैठो । यूँमायूस मत बैठो, हँसों मुस्कुराओं दोस्तों ।ख़्वाब से निकलो हक़ीक़त में आओ दोस्तों
उदय सूरज का पूरब सेआशा विश्वास की मुस्कान लिए।।रौशन करता त्रिभुवन को खुशियों का भान लिए।।अस्ताचल पश्चिम में