
सवा लाख से एक लड़ाऊं तौ गुरु गोविंद सिंह नाम कहाऊँ
आहत होता युग संसयअन्धकार के अंधेरो मेंदम घुटता।।न्याय धर्म की सत्ता डगमग होताईश्वर का न्याय भरोसा युग जीवन
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
आहत होता युग संसयअन्धकार के अंधेरो मेंदम घुटता।।न्याय धर्म की सत्ता डगमग होताईश्वर का न्याय भरोसा युग जीवन
कौन कहता है माँ भारती केसत्य सनातन का साधु संतधर्म कर्म साधना आराधना शास्त्रआचरण का सिर्फ प्रवचन सुनाते।।जब-
महिला दिवस प्रतियोगिता हेतु कविता “नारी हूँ मैं…” एक मूक अभिव्यक्ति हूं मैं,खुद में सम्पूर्ण शक्ति हूं मैं,विश्वास
सोचता हुँ,सभी की भलाईसब हो खुशहालना हो कोई बदहाल। सब करे प्रगतिसब करे उन्नतिसबको मिले अधिकारफले फुले सबका