Category: काव्य धारा
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कैसे प्रिय पर अधिकार करूं…??
रचना शीर्षक :” कैसे प्रिय पर अधिकार करूं : एक अन्तर्द्वन्द “________________________________________ तुम प्रेम गीत का राग चुनो,मैं
January 22, 2021
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हे मेघ…हृदय के भाव सुनो…!!!
हे मेघ…! हृदय के भाव सुनो…!!_________________________निर्जन वन के पुनर्सृजन को,हे मेघ…! घुमड़ के आ जाओ,मन की दुर्बलता पर
January 22, 2021
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January 22, 2021
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निः स्वार्थ प्रेम…!!!
मन की दीवारों के भीतर,मौन धरे वो कौन पड़ा..?अहम और निःस्वार्थ प्रेम में,हर क्षण सोचे है कौन बड़ा..??
January 22, 2021
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संवाद होना चाहिए…!!
रिश्तों की डोर में,हो तनाव जब ज्यादा,टूटने को आतुर,और खिचाव हो ज्यादा, बादलों का क्षितिज पर,इक झुकाव होना
January 22, 2021
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निर्भया…! तुझे जीना होगा…!!!
निर्भया..! तुझे जीना होगा…!हैं घूंट भले कड़वे इस जग के,घूंट घूट कर के ही पीना होगा,निर्भया..! तुझे जीना
January 22, 2021
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January 22, 2021
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संबंधों में अपनापन हो…!!!
शीर्षक : “संबंधों में अपनापन हो” रिश्तों के उपवन में जब,मधुर पुष्प का सूनापन हो,प्रेम वृक्ष का अवरोपड़
January 22, 2021
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