न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Month: February 2021

image_pdfimage_print

high way

  हाई वे कड़कती धूप की तपती  ज़मीन पर नंगे पाँव,पिचके पेट, अधेड़ उम्र का नाटा सा  आदमी  ‘हाई वे’ में “खाना तैयार है”बैनर के साथ खड़ा था। आने-जानेवालों को …

high way Read More »

वह बेचती थी गुटका भग —3

सालों से चलता सिलसिला मेरेभी भावो का आकर्षण अधेड़ उम्र महिला की ओर बढ़ चला जो बेचती थी गुटका।।मैने भी एक दिन उस अधेड़ उम्रऔरत जो मेरे प्रतिदिन की दिनचर्या …

वह बेचती थी गुटका भग —3 Read More »

वह बेचती थी गुटका भग —2

आते जाते गुटखा शौख केनाते अधेड़ उम्र की औरतकी दुकान से भाव भावनाका हो गया लगाव।।अधेड़ उम्र उस औरत ने भीमुझे अपनी दुकान का नियमितग्राहक लिया मान।।जब कभी हो जाता …

वह बेचती थी गुटका भग —2 Read More »

वह बेचती थी गुटका

प्रातः नौ बजे दफ़्तर जाने कोचाहे जो भी हो मौसम का मिजाज।। घर से निकलता दिन शुभ मंगल होकोई ना हो विवाद अशुभ ईश्वर सेआराधन करता।। कार्यालय के मुख्य द्वार …

वह बेचती थी गुटका Read More »

हंसी मुस्कान आया है

  खामोश मौसम में हंसीमुस्कान आया है ।फ़िज़ाओं की खुशबू काखास अंदाज आया हैं।।बहारें भी है खुश क़िस्मत लम्होकी ख्वाहिश में बहारो की किस्मतका कोई किरदार आया है।।खामोश मौसम में …

हंसी मुस्कान आया है Read More »

हंसी मुस्कान आया है

  खामोश मौसम में हंसीमुस्कान आया है ।फ़िज़ाओं की खुशबू काखास अंदाज आया हैं।।बहारें भी है खुश क़िस्मत लम्होकी ख्वाहिश में बहारो की किस्मतका कोई किरदार आया है।।खामोश मौसम में …

हंसी मुस्कान आया है Read More »

जेठ की भरी दोपहरी भाग -3

  अपनी हस्ती की मस्ती का मतवालाधुन ध्येय का धैर्य धीर गाताचला गया जेठ की भरी दोपहरी मेंएक दिया जलाता चला गया।।जेठ की भरी दोपहरी में एकदिया जलाने की कोशिश …

जेठ की भरी दोपहरी भाग -3 Read More »

जेठ की भरी दोपहरी -2

  जेठ की भरी दोपहरी मेंएक दिया जलाने की कोशिश में लम्हा लम्हा जिये जा रहा हूँ।।भूल जाऊँगा पीठ पर लगे धोखेफरेब मक्कारी के खंजरों के जख्म दर्द का एहसास।।तेज …

जेठ की भरी दोपहरी -2 Read More »

है जन्म लिया मानव तन में तो नारी का सम्मान करो..

*है जन्म लिया मानव तन में तो नारी का सम्मान करो* मानवता हमें सिखाती है ये सृष्टि जननी कहलाती हैमाँ का फर्ज निभाती है जब जन्म हमें दे जाती हैचाहे …

है जन्म लिया मानव तन में तो नारी का सम्मान करो.. Read More »

मुल्क़ के हालात

मुल्क़ के हालात आजकल मेरे मुल्क़ के हालात बहुत ख़राब हो गए हैं ;आवाम पर सफ़ेदपोश लुटेरों के ज़ुल्म बेहिसाब हो गए हैं । कोई खोलकर पढ़ना ही नहीं चाहता …

मुल्क़ के हालात Read More »

error: Content is protected !!