आते जाते गुटखा शौख के
नाते अधेड़ उम्र की औरत
की दुकान से भाव भावना
का हो गया लगाव।।
अधेड़ उम्र उस औरत ने भी
मुझे अपनी दुकान का नियमित
ग्राहक लिया मान।।
जब कभी हो जाता गुटके
की दुकान पर पहुँचने में एक
दो दिन का भी अंतराल।।
जाने पर करती प्यार से सवाल
जैसे बचपन मे माँ करती थी
सवाल ।।
बेटा कहाँ चला गया था
देर हो गयी तुमने अभी तक नहाया
नही कुछ खाया नही तू हो गया है
शरारती लापरवाह।।
माँ सा ही भाव उस अधेड़ उम्र की
औरत का करती सवाल बाबू का
बात है दुई दिन दिखाई नाही दिए।।
तबियत त ठिक रही घर पर सब
कुशल मंगल बा मुझे भी बचपन
याद आ जाता माँ का कान ऐंठना
डांटना खुद की शरारते बचगाना।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश
नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Last Updated on February 18, 2021 by nandlalmanitripathi
- नंन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
- प्राचार्य
- भारतीय जीवन बीमा निगम
- [email protected]
- C-159 दिव्य नगर कॉलोनी पोस्ट-खोराबार जनपद-गोरखपुर -273010 उत्तर प्रदेश भारत