मानव छंद (नारी की व्यथा)
मानव छंद “नारी की व्यथा” आडंबर में नित्य घिरा।नारी का सम्मान गिरा।।सत्ता के बुलडोजर से।उन्मादी के लश्कर से।। रही सदा निज में घुटती।युग युग से आयी लुटती।।सत्ता के हाथों नारी।झूल …
मानव छंद “नारी की व्यथा” आडंबर में नित्य घिरा।नारी का सम्मान गिरा।।सत्ता के बुलडोजर से।उन्मादी के लश्कर से।। रही सदा निज में घुटती।युग युग से आयी लुटती।।सत्ता के हाथों नारी।झूल …