न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Month: April 2021

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निजाम फतेहपुरी की गज़लें

1. ग़ज़ल- 122 122 122 122 अरकान- फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन ग़ज़ल नक्ल हो अच्छी आदत नहीं है। कहे खुद की सब में ये ताकत नहीं है।। है  आसान  इतना  …

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मोहन राकेश के नाटकों में अभिनेयता

मोहन राकेश ने नाटकों में ‘रंगमंच संप्रेषण’ का पूरा ध्यान रखा है। नाट्य लेखन में राकेश ने नए-नए प्रयोग किए है। जैसे- दृश्यबंध, अभिनेयता, ध्वनियोजना, प्रकाश योजना, गीत योजना, रंग-निर्देश के साथ-साथ भाषा के स्तर पर परिवर्तन के कारण नाटक को सजीव रूप मिला है। इसी कारण नाटकों में अभिनेयता अधिक रूप में फली फुली है। राकेश ने उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, निबंध, एकांकी आदि विधाओं में कलम चलाई है। लेकिन नाट्य साहित्य में जो प्रसिद्धि मिली शायद किसी नाटककारों को मिली होगी। इसमें ‘आषाढ़ का एक दिन’ (1958), ‘लहरों के राजहंस’ (1963) और ‘आधे अधूरे’ (1969) में अभिनेयता को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।

हालात क्यों बिगड़े ये न पूछें, ये बताएं कि हमने इसके लिए क्या किया…

सुशील कुमार ‘नवीन’ कोरोना ने फिलहाल देश के हालात खराब करके रख दिए हैं। समाज का हर वर्ग पटरी पर है। व्यापार-कारोबार सब प्रभावित। अस्पतालों में न वेंटीलेटर मिल पा …

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कोरोना संकट में भारतीय संस्कृति का पुनरोदय 

    कोरोना संकट में भारतीय संस्कृति का पुनरोदय  हेतराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”   कोरोना आज वैश्विक बड़ी महामारी है। इस संदर्भ में विश्व स्तर पर इस महामारी को रोकने …

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कोरोना संकट में कार्यरत योद्ध़ाओं का संघर्ष

कोरोना संकट में कार्यरत योद्ध़ाओं का संघर्ष       हरिराम भार्गव “हिन्दी जुड़वाँ”                     कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के कारण आज हम अपने- अपने घरों में बंद हैं …

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पृथ्वी दिवस विशेष – प्रकृति को “अनर्थ” से बचाने का संकल्प है “अर्थ डे”

सम्पूर्ण विश्व में पृथ्वी ही एकमात्र गृह है, जिस पर जीवन जीने के लिए सभी महत्वपूर्ण और आवश्यक परिस्थितियां उपयुक्त अवस्था में पाई जाती हैं | यही कारण है कि …

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कविता का काम स्मृतियों को बचाना भी है – अशोक वाजपेयी

हिन्दू कालेज में हमारे समय की कविता पर व्याख्यान दिल्ली। कविता का सच दरअसल अधूरा सच होता है। कोई भी कविता पूरी तब होती है अपने अर्थ में जब पढ़ने …

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मैं स्त्री हूं

  मैं स्त्री हूं मैं स्त्री हूं, मैं संसार से नहीं                                                                    संसार मुझसे है,                                                                             जीवन का सार मुझसे है                                                                       मनुष्य का आधार मुझसे है …

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