बसंत और फाग
आई आई बसंत बहार लहलहाते खेत खलिहानपीले फूल सरसों के खेतों मेंबाली झूमें खुशियों की बान हज़ार।।आई आई बसंत बाहरलाहलाते खेत खलिहान। बजते बीना पाणि केसारंगी सितार माँ की अर्घ्यआराधना …
आई आई बसंत बहार लहलहाते खेत खलिहानपीले फूल सरसों के खेतों मेंबाली झूमें खुशियों की बान हज़ार।।आई आई बसंत बाहरलाहलाते खेत खलिहान। बजते बीना पाणि केसारंगी सितार माँ की अर्घ्यआराधना …
बासंती बयार रफ्ता रफ्ताफागुन की फुहार रस्ता रस्ताहोरी की गोरी का इंतजार लम्हा लम्हा।।आम के बौर मधुवन की खुशबू ख़ासकली फूल गुल गुलशन गुलज़ाररफ्ता रफ्ता।।माथे पर बिंदिया आंखों में काजल …
दिल दुनियां के रंग अनेकोंकिस रंग खेलूं होलीमईया ओढे चुनरी रंग लालकेशरिया बैराग किस रंग खेलूं होली।।रंग हरा है खुशहाली हरियाली पहचानखुशियों का अब रंग नही हैजीवन है बदहाल किस …
विल्लोर गांव का एकात्म स्वरूप बदल चुका था गांव छोटे छोटे टोलो में जातिगत आधार में बंट एक अविकसित कस्बाई रूप ले चुका था जहाँ हर व्यक्ति गांव के …
*होलिका दहन* हर साल मुझकों जलाने का अर्थ क्या हुआ ? सोच से अपनें मेरें जैसे सामर्थ सा हुआँ हाथ में मशाल वालों से पूछतीं हैं होलिका जलाने का प्रयास …
*प्रेम के सतरंगी रंगों से भरा गंगा जमुनी संस्कृति व भाईचारे का प्यारा रंगपर्व होली* लेखक :*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र. भारतीय विभिन्न ऋतुओं के समय समय …
*प्रेम के सतरंगी रंगों से भरा गंगा जमुनी संस्कृति व भाईचारे का प्यारा रंगपर्व होली* Read More »
*”विश्व रंगमंच दिवस” की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं***************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र. यह सुन्दर संसार ही,जीवन का एक रंगमंच है।दुनिया में आने वाला,हर शख़्स …
*विश्व रंगमंच दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं* Read More »
*अयोध्या में संतों संग हिन्दू-मुस्लिम खेलें रंग होली**************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र. खेलें हिन्दू मुस्लिम मिल कर होली,अयोध्या में राम लला के घर होली। …
*अयोध्या में संतो संग हिन्दू-मुस्लिम खेलें रंग होली* Read More »
बस रंगों का त्योहार हैं होली और ढंगों का त्योहार हैं होली मिलजुल जाए आपस में सारे ऐसा यहीं ईक़ त्योहार हैं होली करती फिज़ा ज़वान हैं होली बदलतीं …
मनहरण घनाक्षरी “होली के रंग” (1) होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम,मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है। हाथ उठा आँख मींच, जोगिया की तान खींच,मुख से अजीब …