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March 26, 2021
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March 8, 2021
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गीत
हे अन्नदाता
*हे अन्नदाता ! ,हे अन्नदाता !* हे अन्नदाता ! हे अन्नदाता !उठों जागों तुम्हें खेत बुलाताहल तुझसे पहलें
February 9, 2021
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नवगीत
मकर संक्रांति आई हैं
मकर संक्रांति आई हैं मकर संक्रांति आई हैंएक नई क्रांति लाई हैंनिकलेंगे घरों से हमतोड़ बंधनों को सबजकड़ें
January 14, 2021
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कवि सम्मेलन
January 9, 2021
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गीत
मैं
*।।मैं।।*मैं चिर नवीन मैं अति प्राचीनमैं खुशमिज़ाज मैं ग़मशीन मुझमें यह संसार समाया हैंमुझसें मोह मोक्ष माया हैं
January 9, 2021
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