संघर्ष : पुरस्कार…! ( भाग २)
पुरस्कार…!!! सुबह सुबह राधेश्याम अखबार बांट कर घर पहुंचा ही था… कि रोहन स्कूल ना जाने की जिद्द लिए बैठा था। और जिद्द इतनी की वो रोने लगा कि वो …
पुरस्कार…!!! सुबह सुबह राधेश्याम अखबार बांट कर घर पहुंचा ही था… कि रोहन स्कूल ना जाने की जिद्द लिए बैठा था। और जिद्द इतनी की वो रोने लगा कि वो …
अख़बार वाला…!!! दसवीं की परीक्षा के परिणाम का दिन था आज। राधेश्याम सुबह सुबह करीब तीन बजे ही उठ गया। “अरे…इतनी सुबह सुबह ही उठ गए…क्या हुआ..?? आज जल्दी जाना …
प्रणय निवेदन वाली चाय…!!! सुबह से ही आज घने बादल थे। बस बारिश नहीं हो रही थी। मानसी अकेले ही घर में पड़ी पड़ी बार बार खिड़की से बादलों की …
चाय की तासीर…!!! चाय के दीवानों का भी क्या कहना है। गर्म से गर्म चाय की तासीर को भी वे ठंडी ही बताते हैं। ठंडी हो चुकी चाय में कोई …
दो चम्मच शक्कर…!!! “प्रीती….चाय बन गई है…आ जाओ जल्दी से।” मानसी ने शाम होते ही आवाज़ लगा दी। मानसी और प्रीती को मानों रोज़ ऐसी ही आवाज़ सुनने की आदत …
परिचय…!!! चाय…! प्रथम दृष्टया ये शब्द सुनते ही किसी देश भक्त को तो यही लगता होगा… कि अंग्रेजियत का ये फॉर्मूला आज हम भारतीय अपने मत्थे लिए ढो रहे हैं। …
अवसान….!!! अंधेरे का रंग ज्यादा गाढ़ा और गहरा होता है। कुविचारों का प्रभाव भी सुविचारों पर जल्दी ही होने लगता है। अविनाश के मन की नकारात्मकता भी उस पर पूरी …
पश्चाताप….!!! इच्छित कार्य पूर्ण ना हो तो व्यक्ति कितना भी मजबूत क्यूं ना हो…एक आघात सा अवश्य लगता है। सुमन भी आजकल ऐसे ही दौर से गुज़र रही थी। सुमन …
अपराध बोध…!!! अपमान के बादल आसानी से नहीं छटते। रोज़ यादों की ऐसी मूसलाधार बारिश करते हैं कि एक एक दिन गुजारना मुश्किल हो जाता है। अविनाश को भी लखनऊ …
प्रणय निवेदन….!!! शाम का समय। सूर्य क्षितिज पर उतरने को था। सुमन अपने छत के एक कोने में खड़ी मुस्कुराए जा रही थी। रोज़ सूर्य की लाली के सामने खड़े …