न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Day: January 22, 2021

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जमीन…!

गोधुलि बेला का वक़्त। आकाश की लालिमा किसी अशुभ घटना का संकेत लिए हुए रात्रि के अंधेरे में डूबने को व्याकुल हो रही थी। एक वृद्धा अपने पति के सिरहाने …

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A Rainy Day With a Beautiful Girl…!!

सुबह के नौ बजे थे। मैं तैयार था स्कूल जाने को। आंगन में किसी के पायल की आवाज़ एक मधुर गीत का संचार कर रही थी। मेरी उत्सुकता ने बाहर …

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बरसात की एक रात…!!!

ये बात है १२ जुलाई २०१७ की। ऋषभ अभी अभी अपने ऑफिस से घर पहुंचा ही था। रात के करीब आठ बज रहे थे। बारिश की हल्की हल्की फुहारें पड़ …

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आराध्या…एक प्रेम कहानी…!

आराध्या : एक प्रेम कहानी…!!! जीवन में किसी से पहली बार मुलाकात हो..ये संयोग हो सकता है। लेकिन उस “किसी” से ही दुबारा मुलाकात हो जाए…और मुलाकात ऐसी कि रोज़ …

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बाबू साहब..!!!

एक कहानी : बाबू साहब…!!! तपस्या, संकल्प सिद्ध करने का एक मात्र सर्वमान्य रास्ता है…मेरे विचार से। लेकिन एक वक़्त होता है…जब विमुखता आ जाती है…कर्तव्य मार्ग से, तप भाव …

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कैसे प्रिय पर अधिकार करूं…??

रचना शीर्षक :” कैसे प्रिय पर अधिकार करूं : एक अन्तर्द्वन्द “________________________________________ तुम प्रेम गीत का राग चुनो,मैं कर्कश ध्वनि विस्तार करूं,प्रणय मिलन कैसे हो फिर,कैसे प्रिय पर अधिकार करूं…! …

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हे मेघ…हृदय के भाव सुनो…!!!

हे मेघ…! हृदय के भाव सुनो…!!_________________________निर्जन वन के पुनर्सृजन को,हे मेघ…! घुमड़ के आ जाओ,मन की दुर्बलता पर सघन वृष्टि,बादल बन कर तुम छा जाओ…! विश्वास विकल दुर्बल हृदय,इस एकांत …

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तुम सरल जरा बन कर देखो…!!!

जीवन पथ यदि कठिन लगे,तुम सरल ज़रा बन कर देखो,रस सुधा मात्र की होड़ मची,तुम गरल ज़रा बन कर देखो। क्षुधा नहीं मिट सकती,धन लोलुपता की आसानी से,सघन कपट के …

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निः स्वार्थ प्रेम…!!!

मन की दीवारों के भीतर,मौन धरे वो कौन पड़ा..?अहम और निःस्वार्थ प्रेम में,हर क्षण सोचे है कौन बड़ा..?? निःस्वार्थ प्रेम की परिभाषा में,अहंकार का मान नहीं,फिर सबल रूप लेकर इस …

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संवाद होना चाहिए…!!

रिश्तों की डोर में,हो तनाव जब ज्यादा,टूटने को आतुर,और खिचाव हो ज्यादा, बादलों का क्षितिज पर,इक झुकाव होना चाहिए…!तोड़ कर खामोशियां,संवाद होना चाहिए…!!तोड़ कर खामोशियां,संवाद होना चाहिए…!! अहम का वर्चस्व …

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