न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Day: January 22, 2021

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निर्भया…! तुझे जीना होगा…!!!

निर्भया..! तुझे जीना होगा…!हैं घूंट भले कड़वे इस जग के,घूंट घूट कर के ही पीना होगा,निर्भया..! तुझे जीना होगा…! है मिला कहां इंसाफ तुझे,तू तो अब भी बस शोषित है,जो …

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पिता…!!!

पिता…!!! विघ्न चुन लिए सभी,पथ सुपथ भी कर दिया,कठिनाइयों की चादरों को,खुद वरण ही कर लिया…! स्वयं को अभाव दे,हमें संवारते रहे,खुद के मन को मारकर,हमें जीवंत कर दिया…! विलाप …

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संबंधों में अपनापन हो…!!!

शीर्षक : “संबंधों में अपनापन हो” रिश्तों के उपवन में जब,मधुर पुष्प का सूनापन हो,प्रेम वृक्ष का अवरोपड़ हो,और संबंधों में अपनापन हो…! धन कुबेर की चाह लिए,सब व्याकुल मन …

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अधूरा प्रेम.!!

अधूरा प्रेम…!!! बंजर मन के इस उपवन को,मैं सींच सींच कर हार गया…!उत्साह प्रेम जो हृदय बसा,थक कर अब वो भी हार गया…!! मेरे जीवन की, हर एक घड़ी,तब व्याकुल …

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चलते रहना ही जीवन है…!

शीर्षक : “चलते रहना ही जीवन है” देख हिमालय सी कठिनाई,क्यूं राहों का परित्याग किया,अथक परिश्रम करते करते,बढ़ते रहना ही जीवन है…!चलते रहना ही जीवन है…!! ठहराव अगर जल में …

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बस यूं ही…!

देखो ढल गया है दिन…और शायद तुम भी…मेरे जीवन में…! पर इक आस तो बाकी है…शायद…फिर से निकले ये सूरज,शायद…फिर से हो इक सवेरा,मेरे जीवन में…! देखो…ढल गया है दिन….ठीक …

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सुमन शूल में श्रेष्ठ कौन…??

कैसा स्वभाव है मानव का,सब चाह करे बस फूलों की…!शाखों का मान करे कोई क्यूं,अस्तित्व भला क्या शूलों की…!! सोचो बिन शाखों कांटों के,ये सुमन भला कैसे जीते…!मन के अंदर …

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सवाल…!!!

आज फिर तेरा खयाल आया,बेवजह मन में इक सवाल आया…! कल साथ थे जो गर,अब दूर कैसे हो…?है इश्क़ गर मुझसे,मजबूर कैसे हो…?तेरी आवाज़ की गूंजें,मेरे संगीत की सरगम,मुझे तन्हाइयां …

सवाल…!!! Read More »

बचपन…!!!

जब अभाव के सागर में,संघर्ष पिता का अथक रहा,खुद के सुख से हर क्षण उनका,जीवन जैसे हो पृथक रहा,मैं हठ के भाव से प्रेरित तब,कैसे खुद से अब न्याय करूं?कैसे …

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स्मृति अब अवशेष नहीं…!!!

स्मृति अब अवशेष नहीं,स्मृति अब अवशेष नहीं…!!! सृजित हुई यादें तेरी,इक पल में भी इक काल सदृश,घोर शीत के ऋतु के मध्य,थी जैसे कोई शाल सदृश,मैं चकोर सा व्याकुल,मुख मंडल …

स्मृति अब अवशेष नहीं…!!! Read More »

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