महिला दिवस पर आयोजित काव्य हेतु
कविता मै आज भी आजाद नही हूँ किन्तु , वक्त की आँखों में आँखे डाल कर, आज भी मुझे आँकते हैं लोग | मैं देवी हूँ या परिणीता यह …
कविता मै आज भी आजाद नही हूँ किन्तु , वक्त की आँखों में आँखे डाल कर, आज भी मुझे आँकते हैं लोग | मैं देवी हूँ या परिणीता यह …
कविता जाने क्यों? जाने क्यों लगता है, भूलाने लगे हो तुम मुझको, वक्त की गीली मिट्टी के आगोश में, बेवजह दफन कर्नर लगे हो मुझको , संग तुम्हाते मैं …
—————————————————डरऔरत लेकर पैदा नहीं होतीमाँ के पेट से..उसे चटाया जाता है घुट्टी में मिलाकरपिलाया जाता है माँ के दूध में घोलकरखिलाया जाता है रोटी के कोर में दबाकर सिखाया जाता …
1)घुंगरुओं की वेदना नहीं मन।रुक जाओ।यह नृत्य नहीं,विवशता हैजो–धक्का लगाकरगिराती है नर्क मेंऔर फिर–पटक वाती है उसके पांवज़मीन पर और-मोद में डूबे तुमइसे नृत्य कहते हो मन,मत खो जानाइन घुंघरुओं …
प्रेम काव्य प्रतियोगिता कविता-नैन नैन मेरे मिले पिय के नैंन से पिय हो गए मेरे मैं तो हो गई पिय की, आई ऐसी विपदा पिय गए परदेस नैंसी मेरे आंसू …
तुरुक डायरी (इस्तानबुल से होते हुए) देश कोई अपनी बोली तो नहीं कि सोते में भी समझ आ जायें उनकी जीभ से निकलने वाली ध्वनियाँ तालू से …
(1)औरतें प्रेम में तैरने से प्यार करती हैं***** ऐसा नहीं था कि वह रोमांटिक नही थी.. पर दमन भी तो था उतना ही तुम्हें देख बह निकली…अदम्य वेग से समन्दर …
उस वक्त रुहें आजाद घूमा करती कभी दरख्तों के कंधों पर बैठती कभी तृणों के दलों पर कभी चींटी के मुंह में कभी सांप की कैंचुल में लेकिन ना …
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नारी, ईश्वर की अनमोल कृतिदेवी, सती ना जाने किस किस रूप में है बसी,संगीत के सात स्वरों सी मधुरिम है इसकी हंसीइसकी बुलंदियों का प्रकाश सम है रवि – शशि …