न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Day: January 20, 2021

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

संवेदनाओं के सभ्य समाज काआधार अभिमान मै हूँ नारी।।बहन बेटी माँ हूँ नरोत्तम पुरुषोत्तम की हूँ निमात्री।।ऐसा भी हो जाता है अक्सरनारी ही नारी की दुश्मन नारी पर भारी।।सदमार्ग पर …

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता

बेटी बेटों में ना हो फर्कशिक्षा दीक्षा प्यार परिवरिशमें ना हो अंतर।।बेटी ही कल की माँ बहनरिश्तों की अवतारी नव दुर्गाकी नौ रूपों की बेटी ही लक्ष्मी शिवा सरस्वती देवोकी …

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु रचनाएं

बात होती है जो प्यार में    बात होती है जो प्यार में, वो नहीं होती तकरार में । हो रहा दो दिलों का मिलन ,   आ रहा लुत्फ़ …

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु ‘प्रेम आहुति”

प्रेम आहुति एक दिवस मानस पटल पर, हर निश्चित रंग अटल पर । एक नवीन चित्र उभर कर आया, जो विस्मित उर को कर लाया ॥                 नदिया के उस …

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता। ‘हे नारी’

हे नारीहे नारी आपकी जिम्मेदारी, कब तक कौन निभाएगा|ले लो हाथ में खंजर अपने, अब कोई बचाने नहीं आएगा|लूटने से पहले तो कम से कम, दे दो जख्म इतने सारे| …

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता। ‘हे नारी’

हे नारीहे नारी आपकी जिम्मेदारी, कब तक कौन निभाएगा|ले लो हाथ में खंजर अपने, अब कोई बचाने नहीं आएगा|लूटने से पहले तो कम से कम, दे दो जख्म इतने सारे| …

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प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता

प्रेम काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु कविता- तुम्ही से है    शिकायत भी तुम्हीं से है,शरारत भी तुम्हीं से है। मेरी आँखों में दिखती जो,नज़ाकत भी तुम्हीं से है। दीवानगी का …

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कवितायें

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- बलात्कार एक कुकृत्य  मन कुंठित हो जाता है,जब छपती है तस्वीर कोई।सिसकियों में भी चीखती है,दर्द की खिंची लकीर कोई। दरिंदगी की हदें पार …

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता/बेटियां नहीं होती पराया धन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता  कविता-बेटियां कभी नहीं होती पराया धन बेटियां कभी नहीं होती पराया धन ये सोचकर न कर दो कोख से ही अंत, बेटी बनकर लक्ष्मी आई …

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अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता/बेटियां नहीं होती पराया धन

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता  कविता-बेटियां कभी नहीं होती पराया धन बेटियां कभी नहीं होती पराया धन ये सोचकर न कर दो कोख से ही अंत, बेटी बनकर लक्ष्मी आई …

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