
काव्य धारा

महिला दिवस कविता प्रतियोगिता
1)घुंगरुओं की वेदना नहीं मन।रुक जाओ।यह नृत्य नहीं,विवशता हैजो–धक्का लगाकरगिराती है नर्क मेंऔर फिर–पटक वाती है उसके पांवज़मीन
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
1)घुंगरुओं की वेदना नहीं मन।रुक जाओ।यह नृत्य नहीं,विवशता हैजो–धक्का लगाकरगिराती है नर्क मेंऔर फिर–पटक वाती है उसके पांवज़मीन