वो हार कहां मानती है!( महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु)
वो हार कहां मानती है! सुबह की मीठी धूप सी सुकून भरी गीत वो वोअरुणिमा है शाम की हर सुख -दुख की मीत वो!!वो शक्ति की प्रतीक हैवो सृष्टि का …
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