वीरों को देश का वन्दन
उन वीरों को देश का वन्दन, जो प्राणों को वारे हुए हैं,
अपनी खुशबू दे के वतन को, आज वो चाँद-सितारे हुए हैं ।
हम धरती पर हों या ना हों, देश का सूरज चमके हरदम,
प्रण जो लिया है दोहराएंगे, जब तक तन में रहता है दम,
जिनके डर से देश के दुश्मन, तन-मन-धन से हरे हुए हैं ।
आज मुझे सौभाग्य मिला है, कहती है सिन्दूर की लाली,
देश के हित सर्वस्व दिया है, मौन ह्रदय है खाली-खाली,
पूरित कर संकल्प को अपना, आज सभी के प्यारे हुए हैं ।
वीर सपूत को अर्पित करके, मन पिघला पर आँख न बहता,
गोदी के थे जो किलकारी, प्राण थमा पर शौर्य दे बढ़ता,
मेरे कुल का उज्ज्वल दीपक, घर-घर के उजियारे हुए हैं ।
स्वर्ण सा चितवन हो गयी माटी, मेरा दुख कौन है बाँटे,
गलते तन की भीगी आँचल, दिन और रात कैसे काटे,
कण-कण बिखरी मेरी ममता, वीर शहीद दुलारे हुए हैं ।
जिनके यश की अमर कहानी, गीतों में फिर गाया जाये,
हर बालक के मन मन्दिर में, बिम्ब उसी का छाया जाये,
जय-हिन्द के उद्घोष-गुंजित – गाँव, गली, गलियारे हुए हैं ।
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Last Updated on January 11, 2021 by sundarsapne
- श्रुति गुप्ता
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