न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Month: October 2020

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सुभाष चंद्र झा ‘अकेला’ की कहानी – ‘कोरोना और मध्यम वर्ग’

” सुनो जी ! आटा खत्म हो गया है। चावल भी दो दिन और चलेंगे। राशन लाना ही पड़ेगा अब तो। कब तक ऐसा चलेगा। ताज़ी हरी सब्जियां तो लाते …

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चाँदनी समर की कहानी – ‘अपना-अपना चाँद’

उस बड़े से बँगले के बाहर वो रोड लैम्प। जिसके नीचे रोज़ ही झोपड़पट्टी का एक बच्चा आ बैठता है। मगर आज वहाँ एक और बच्चा है। पहले बच्चे ने …

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हेतराम हरिराम भार्गव की कविता- ‘मैं वही तुम्हारा मित्र हूं..’

मैं वही तुम्हारा मित्र हूं… मैं धर्म निभाता मानवता का, मैं सत्य धर्मी का मित्र हूँ न्याय उचित में सदा उपस्थित मैं धर्म प्रेम का चरित्र हूँ मैं सदा मित्र …

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‘स्वादु’ जैसा स्वाद लिए है ये ‘साडनफ्रोइडा’

सामयिक लेख: शब्द अनमोल सुशील कुमार ‘नवीन’ दुनिया जानती है हम हरियाणावाले हर क्षण हर व्यक्ति वस्तु और स्थान में ‘संज्ञा’ कम ‘स्वाद’ ज्यादा ढूंढते हैं। ‘सर्वनाम’ शब्दों का प्रयोग …

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आदित्य तिवारी की कविता – ‘समर्पण’

ये जीवन जितनी बार मिले माता तुझको अर्पण है इस जीवन का हर क्षण ,हर पल माता तुझको अर्पण है। यही जन्म नहीं, सौ जन्म भी माता तुझ वारूँ मैं …

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सबकुछ नम्बर वन तो जीरो नम्बर क्यों लें जनाब !

सामयिक व्यंग्य: पावर ऑफ टाइम सुशील कुमार ‘नवीन’ राजा नम्बर वन, मंत्री-सभासद नम्बर वन। प्रजा नम्बर वन,प्रजातन्त्र नम्बर वन। प्रचार नम्बर वन, प्रचारक नम्बर वन। प्रोजेक्ट नम्बर वन, प्रोजेक्टर नम्बर …

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बचे रहेंगे किसान, तभी तो होगा नफा-नुकसान…..

सामयिक लेख: कृषि विधेयक    सुशील कुमार ‘नवीन’ पिछले एक पखवाड़े से देशभर में किसान और सरकार आमने-सामने हैं। मामला नये कृषि विधेयकों का है। सरकार और सरकारी तंत्र लगातार …

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सपना नेगी की कविता – ‘धन्यवाद कोरोना!’

कोरोना ! तुमने हमें बहुत कुछ स्मरण करवा दिया पश्चिमीकरण की चकाचौंध में फंसकर अपनी पुरातन संस्कृति भूल गए थे हम तुमने ही हमारा परिचय पुन: संस्कृति से करवाया। देशी …

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नरसिंह यादव की कविता – “रेप की सजा फांसी”

लहरों को देखा आज यूं ही लहराते हुए हवाओं को भी देखा गुलछर्रे उड़ाते हुए बादल घूम रहा अकेले इधर उधर आज मिट्टी में मिली खुद जीवन सभालते हुए। खूब …

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बुद्धि सागर गौतम के दोहे

अभिमान जीवन में अभिमान तुम, कभी न करना भाय। अभिमानी इस जगत में, चैन कभी ना पाय। मानव का अभिमान ही, बहुत बड़ा है दोष। अभिमानी मानव सदा, दे दूजे …

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