न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Month: October 2020

image_pdfimage_print

डॉ. नानासाहेब जावळे की कविता – “समाज और व्यक्ति”

व्यक्ति और समाज का संबंध है पेड़ और भूमि जैसा  व्यक्तित्व रूपी पेड़ समाज रूपी भूमि पर खूब फूलता-फलता हो जैसा।  व्यक्ति और समाज  हैं दोनों पारस्परिक  एक दूसरे के …

डॉ. नानासाहेब जावळे की कविता – “समाज और व्यक्ति” Read More »

हिन्दी कीं दशा और दिशा

डॉ. मजीद मियां सहायक प्रोफेसर सार भाषा साहित्य एवं जीवन के बीच एक सेतु का काम करता है। साहित्यकार उस भाषा रूपी सेतु का निर्माता है, जो व्यक्ति और समाज …

हिन्दी कीं दशा और दिशा Read More »

“शोर न करें, चुपके से दबा दें डिसलाइक का बटन”

 – सुशील कुमार ‘नवीन’  फिलहाल एक प्रसिद्ध आभूषण निर्माता कंपनी का विज्ञापन इन दिनों खूब चर्चा में है। हो भी न क्यों हो। सौ करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाले …

“शोर न करें, चुपके से दबा दें डिसलाइक का बटन” Read More »

मत बन तू अंजान, मना!

बड़े नाम के पीछे की तू खुद सच्चाई जान, मना! परदे के पीछे है क्या तू खुद ही पहचान, मना! उठती लहरों की भी उल्टी हवाओं से सीना जोरी है, …

मत बन तू अंजान, मना! Read More »

ऐसे तो महंगा पड़ जाएगा ‘फ्री’ का हरी मिर्च और धनिया

सामयिक व्यंग्य : नफा-नुकसान – सुशील कुमार ‘नवीन’ सुबह-सुबह घर के आगे बैठ अखबार की सुर्खियां पढ़ रहा था। इसी दौरान हमारे एक पड़ोसी धनीराम जी का आना हो गया। …

ऐसे तो महंगा पड़ जाएगा ‘फ्री’ का हरी मिर्च और धनिया Read More »

डॉ. उर्वशी भट्ट की कविता – ‘मनुष्यता’

डॉ.उर्वशी भट्ट की यह कविता कोरोना के इस संकट के समय में ‘ मनुष्यता ‘ के विमर्श को अहम मानती हुई, मनुष्यता के वरण को ही मनुष्य का एकमात्र सरोकार …

डॉ. उर्वशी भट्ट की कविता – ‘मनुष्यता’ Read More »

नरेश शांडिल्य के दोहे

जागा  लाखों करवटें, भीगा अश्क हज़ार तब जा कर मैंने किए, काग़ज काले चार। छोटा हूँ तो क्या हुआ, जैसे आँसू एक सागर जैसा स्वाद है, तू चखकर तो देख। …

नरेश शांडिल्य के दोहे Read More »

योगिता ‘ज़ीनत’ की दो ग़ज़लें

1 एक  एहसान  तुम अगर  करदो सारे   इल्ज़ाम  मेरे   सर  कर दो। जानवर  आ  गए   हैं  बस्ती   में मेरा  जंगल में,  कोई घर  कर दो। बीज सी  हूँ,  जड़ें  जमा  …

योगिता ‘ज़ीनत’ की दो ग़ज़लें Read More »

‘बिहार में का बा’ छोड़िए, ‘देश में का बा’ सोचिए जनाब !

सुशील कुमार ‘नवीन’ हमारे एक जानकार हैं। नाम है रामेश्वर। नाम के अनुरूप ही दुनिया की हर समस्या उनकी है। किसी को उनकी चिंता हो न हो,पर उन्हें सब की …

‘बिहार में का बा’ छोड़िए, ‘देश में का बा’ सोचिए जनाब ! Read More »

विकास संबंधी विचारों पर विचार-विमर्श के क्षेत्र में गाँधीजी का योगदान

श्वेता पांडे (रिसर्च स्कॉलर) जयोति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर (भारत) ईमेल: [email protected], (M) 9826012739 सार शिक्षा का कार्य आदर्श नागरिकों का निर्माण करना है। आदर्श का अर्थ है एक व्यक्ति …

विकास संबंधी विचारों पर विचार-विमर्श के क्षेत्र में गाँधीजी का योगदान Read More »

error: Content is protected !!