न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Day: January 16, 2021

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“प्रेम-काव्य प्रतियोगिता”

प्रेम— — — —प्रीत पुरातन रीत रही मन मीत नही जग है दुखदाई।खोल कहे मन की जिस बात को प्रेम बिना नजदीक न आई।।प्रेमविहीन जिको उर जानहुँ बंजर खेत समान …

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प्रेम काव्य अंर्तराष्ट्रीय प्रतियोगिता

तुम—मुझे अच्छा लगता है जब कोई मुझे तुम कहता है।सुन रहे हो न तुम,मुझे अच्छा लगता है जब कोई मुझे तुम कहता है।क्योंकि मैंतुम में ही तो हूँ,तुम से ही …

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कृषि कानून और नेताजी की चिंता

कृषि कानून और नेताजी की चिंता ……. सर आपके चुनाव क्षेत्र से कुछ लोग आपसे मिलने आए है, आप से बात करने आए हैं ।तुमने उनसे पूछा कि उनकी समस्या …

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तुम ये मत समझों

कविता तुम ये मत समझो चीन कि राफेल के आने सेहम एकाएक ताकतवर हो गए है हमने सिर्फ तकनीक और आयुध में इजाफा किया है तुम्हे ज्ञात ही होगा हमारा …

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वैक्सीन प्रोसेस पर एक संवाद- कॉफी विथ बॉस

वैक्सीन प्रोसेस पर एक संवाद…………….मे आई कमीन सर । यस आओ शर्मा कुछ खास सर , गाँव मे वेक्सीनेशन का क्या प्रोसेस रहेगा इस पर डिस्कस करना था यदि सेक्रेट्रिएट …

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हमारा भारत देश ,जीवन की यात्रा, विश्वास,आत्म-निर्भरता ,काश! तुम, अधूरी चाहत ।

हमारा भारत देश ………………….. मानचित्र में देखो अंकित भारत देश ही न्यारा है,अभिमान से सब मिल बोलें हिन्दुस्तान हमारा है । एक धर्म व संप्रदाय है,कोई जातिवाद नहीं,भाईचारे की मिसाल …

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महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता- सिर्फ औरत ही नहीं मरती/ औरतें ही नहीं निकलती

(1)   सिर्फ औरत ही नहीं मरती मरती हैं औरतें ही न कई बार! होता है कइयों और का बलात्कार। सिल- पथरकट्टों के छेनियों के कुंद धार का ठक-ठक तीव्र …

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता

तुम साथ मेरे तो हो जाओ | हम दुनिया नई बसा लेंगे , जीवन की हर बगिया में , प्रीत के फूल खिला लेंगे | तुम साथ मेरे तो हो …

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प्रेम-काव्य लेखन प्रतियोगिता

      एहसास ..  थी उम्मीद कि तुमसे मिलके, जिंदगी-जिंदगी होगी  | फक्त ना उम्मीदी  ने ना  छोड़ा पीछा   मेरा बरसों   तक || मेरे शायराना अंदाज टूट कर बिखर-बिखर …

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