न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Day: January 4, 2021

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मुरली टेलर ‘मानस की कविता – ‘मन की पीड़ा’

कुछ जमी पर तन के टुकड़े कुछ जमी पर मन के मुखड़े कुछ जमी पर जन के दुखड़ो को बटोर ले हम वह किसी  झरना का साहिल उसको हम कर …

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हौले हौले बूँद चुनो जिन्दगी की धार से

तन का सिंगार तो हजार बार होता है,  पर प्यार तो जीवन में एक बार होता है,  नाव की दिशा बदले पतवार की चाल से, हौले हौले बूँद चुनो जिन्दगी …

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‘बंबई में का बा’ सदी की त्रासदी को बयाँ करता गीत

     बृजेश प्रसाद ‘बंबई में का बा’ डॉ. सागर द्वारा लिखा यह गीत अत्यंत मार्मिक और सशक्त गीत है; जो आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपनी प्रसिद्धि और …

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जीवन का हर मुकाम – होता अविराम

कभी यूँ खुशनुमा हो जाती,फूलों की सेज बनकर, प्रभा सी चमकती कभी,रवि मडल की तेज बनकर, स्वेद की बूँद बन,ठंड देती है,तपती देह को अपनी, कभी आंसुओं की धारा बन, …

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रामशरण सेठ की कविता – ‘पिता’

पिता,पिता होता है पिता का रिश्ता अजीब होता है। संसार में रिश्ता दूजा नहीं होता फिर बाप का रिश्ता अनमोल होता है । वह उस बरगद के पेड़ जैसा होता …

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जीवन का हर मुकाम – होता अविराम

कभी यूँ खुशनुमा हो जाती,फूलों की सेज बनकर, प्रभा सी चमकती कभी,रवि मडल की तेज बनकर, स्वेद की बूँद बन,ठंड देती है,तपती देह को अपनी, कभी आंसुओं की धारा बन, …

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देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु काव्य:तुम कहाँ समझोगे

1.तुम कहाँ समझोगे        तुम हँस लोगे रो लोगे उसे अपनाकर नवीव जीवन कल्प बो लोगे अर्धांग बन बाटोगे सुॖ:ख-दु:ख नवीन भूमिकाएं नवीन ज़िम्मेदारियां होंगे नित नयी संभावनाओं को …

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अंतरराष्ट्रीय देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु

 कविता क्रमांक 1 शीर्षक- भारत देश निराला है  यूं तो धरती पर देश कई ,पर भारत सबसे न्यारा है| है ,मातृभूमि भारत मेरी मुझको प्राणों से प्यारी है| है ,अलग-अलग …

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