मुरली टेलर ‘मानस की कविता – ‘मन की पीड़ा’
कुछ जमी पर तन के टुकड़े कुछ जमी पर मन के मुखड़े कुछ जमी पर जन के दुखड़ो को बटोर ले हम वह किसी झरना का साहिल उसको हम कर …
कुछ जमी पर तन के टुकड़े कुछ जमी पर मन के मुखड़े कुछ जमी पर जन के दुखड़ो को बटोर ले हम वह किसी झरना का साहिल उसको हम कर …
तन का सिंगार तो हजार बार होता है, पर प्यार तो जीवन में एक बार होता है, नाव की दिशा बदले पतवार की चाल से, हौले हौले बूँद चुनो जिन्दगी …
बृजेश प्रसाद ‘बंबई में का बा’ डॉ. सागर द्वारा लिखा यह गीत अत्यंत मार्मिक और सशक्त गीत है; जो आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में अपनी प्रसिद्धि और …
‘बंबई में का बा’ सदी की त्रासदी को बयाँ करता गीत Read More »
कभी यूँ खुशनुमा हो जाती,फूलों की सेज बनकर, प्रभा सी चमकती कभी,रवि मडल की तेज बनकर, स्वेद की बूँद बन,ठंड देती है,तपती देह को अपनी, कभी आंसुओं की धारा बन, …
पिता,पिता होता है पिता का रिश्ता अजीब होता है। संसार में रिश्ता दूजा नहीं होता फिर बाप का रिश्ता अनमोल होता है । वह उस बरगद के पेड़ जैसा होता …
कभी यूँ खुशनुमा हो जाती,फूलों की सेज बनकर, प्रभा सी चमकती कभी,रवि मडल की तेज बनकर, स्वेद की बूँद बन,ठंड देती है,तपती देह को अपनी, कभी आंसुओं की धारा बन, …
1.तुम कहाँ समझोगे तुम हँस लोगे रो लोगे उसे अपनाकर नवीव जीवन कल्प बो लोगे अर्धांग बन बाटोगे सुॖ:ख-दु:ख नवीन भूमिकाएं नवीन ज़िम्मेदारियां होंगे नित नयी संभावनाओं को …
देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु काव्य:तुम कहाँ समझोगे Read More »
कविता क्रमांक 1 शीर्षक- भारत देश निराला है यूं तो धरती पर देश कई ,पर भारत सबसे न्यारा है| है ,मातृभूमि भारत मेरी मुझको प्राणों से प्यारी है| है ,अलग-अलग …
अंतरराष्ट्रीय देश भक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता हेतु Read More »