न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Day: January 2, 2021

image_pdfimage_print

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता –मैं नारी……

1. मैं नारी……… मैं नारी सदियों से स्व अस्तित्व की खोज में फिरती हूँ मारी-मारी कोई न मुझको माने जन सब ने समझा व्यक्तिगत धन जनक के घर में कन्या …

महिला दिवस काव्य प्रतियोगिता हेतु कविता –मैं नारी…… Read More »

वक्त की पुकार – बदलना है व्यवहार

परिवर्तन ही नियति का सनातन नियम है, जल प्रवाहित होना ही नदी का संयम है, निश्चल खडा पर्वत ही दृढता का सूचक है, चलता काल चक्र ही लयता का द्योतक …

वक्त की पुकार – बदलना है व्यवहार Read More »

नरसिंह यादव की कविता – ‘रेप की सजा फांसी’

बोल रहे बढ़ चढ़ के उन्हीं के हत्यारे,
फिर आ जाओ हमें ये सिखाते हुए,

जिंदा हैं बहू बेटियों को यूं डराते हुए,
घूम रहे इज्जत को तार तार करते हुए,
भूल गए वहीं आज नारा लगाया जो,
जी रहे सरकार का मौज उड़ाते हुए।

मनोरंजन तिवारी की कहानी – ‘एहसास’

एक रात जब मैं घर पहुँचा  तो मेरी पत्नी ने मेरे लिए खाना परोसा।  मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा कि मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। वह बैठ गई …

मनोरंजन तिवारी की कहानी – ‘एहसास’ Read More »

आत्मविश्वास

घनघोर बरसातों के बाद तृप्त धरा ही, मनोहर हरियाली की चादर चढती है, चिलचिलाती धूप से खलिहान में रखी, फसल ही लोगों  की थाल परोसती है, युगों से लिखा इतिहास …

आत्मविश्वास Read More »

नववर्ष २०२१ अभिनंदन

🌺नव वर्ष २०२१अभिनंदन🌺 नव वर्ष हम करते अभिनंदन तुम्हारा हैं,नव चेतना व आशा में झूमे जग सारा है,प्रगति पथ पर सतत् आगे बढ़ते रहे हम,चेहरों पे मुस्कान हो ये उद्येशय …

नववर्ष २०२१ अभिनंदन Read More »

देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता कविता: आजादी की सुबह

आजादी की पहली सुबहनवोन्मेष से पुर्ण थीमुक्त हुई थी भारत भुमिजंजीरें तोड़ गुलामी कीनव सपनें लेकर के आयीआजादी की सुबह सुहानीपर उससे पहले लिखीविभाजन की कहानीनवभारत के निर्माण को लेकरआशाओं …

देशभक्ति काव्य लेखन प्रतियोगिता कविता: आजादी की सुबह Read More »

error: Content is protected !!