डॉ. श्याम लाल गौड़ की कविता – ‘स्त्री विमर्श’
उसके त्याग को न भूलो तुम,
उसके जीवन के महत्ता नहै कम।
वह तुमसे किये का उपकार ना चाहती,
उसे तुम मां बेटी बहू कुछ तो समझो।।
स्त्री नहीं…
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया
उसके त्याग को न भूलो तुम,
उसके जीवन के महत्ता नहै कम।
वह तुमसे किये का उपकार ना चाहती,
उसे तुम मां बेटी बहू कुछ तो समझो।।
स्त्री नहीं…
उच्च भाव यह उस मां के प्रति
जिसके मन में प्रतिदिन होता।
वही पुत्र सच्चा कहलाता
अन्य सभी बस मिथ्या मिथ्या।