श्याम ‘राज’ की कविता – ‘सुना है मेहंदी’
साथ रहने का वादा किया था हमसे उन्होंने
भुला कर हमें अब उनके साथ रहने वाली हैं…
साथ रहने का वादा किया था हमसे उन्होंने
भुला कर हमें अब उनके साथ रहने वाली हैं…
जीवन भी कुछ मेहंदी सा हो कष्ट सहे टूटन का पेड़ से सिल पर पिसे दर्द को सह के समेटी जाए पात्र मे पानी संग जो भी छुए उस पर …