शक्तिहीन
वह मीठे पानी की नदी थी। अपने रास्ते पर प्रवाहित होकर दूसरी नदियों की तरह ही वह भी समुद्र से जा मिलती थी। एक बार उस नदी की एक मछली …
वह मीठे पानी की नदी थी। अपने रास्ते पर प्रवाहित होकर दूसरी नदियों की तरह ही वह भी समुद्र से जा मिलती थी। एक बार उस नदी की एक मछली …
मंदिर मस्जिद का बनना। दुनियां में सरेआम हुआ।। आदमी बन न सका बंदा। रब्ब यूं ही बदनाम हुआ।। जात पांत का चक्कर बड़ा। भक्ति का मार्ग ताम हुआ।। जंगल जंगल …
तोटक छंद “विरह” सब ओर छटा मनभावन है।अति मौसम आज सुहावन है।।चहुँ ओर नये सब रंग सजे।दृग देख उन्हें सकुचाय लजे।। सखि आज पिया मन माँहि बसे।सब आतुर होयहु अंग …
तिलका छंद “युद्ध” गज अश्व सजे।रण-भेरि बजे।।रथ गर्ज हिले।सब वीर खिले।। ध्वज को फहरा।रथ रौंद धरा।।बढ़ते जब ही।सिमटे सब ही।। बरछे गरजे।सब ही लरजे।।जब बाण चले।धरणी दहले।। नभ नाद छुवा।रण …