न्यू मीडिया में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं शोध को समर्पित अव्यावसायिक अकादमिक अभिक्रम

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

सृजन ऑस्ट्रेलिया | SRIJAN AUSTRALIA

विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया से प्रकाशित, विशेषज्ञों द्वारा समीक्षित, बहुविषयक अंतर्राष्ट्रीय ई-पत्रिका

A Multidisciplinary Peer Reviewed International E-Journal Published from, Victoria, Australia

डॉ. शैलेश शुक्ला

सुप्रसिद्ध कवि, न्यू मीडिया विशेषज्ञ एवं
प्रधान संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

श्रीमती पूनम चतुर्वेदी शुक्ला

सुप्रसिद्ध चित्रकार, समाजसेवी एवं
मुख्य संपादक, सृजन ऑस्ट्रेलिया

Month: March 2021

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नारी के रुप अनेको अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस प्रतियोगिता हेतु

नारी के रुप अनेकों नारी से नश्वर संसारनारी शक्ति से अर्धनारीश्वर भगवान।। नारी की महिमा अपरंपारदेव ना पावे पार मानव कीक्या बिसात।। बेटी बढती पढ़ती नारी काबचपन बेटी ही बहन …

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अनुवाद : स्वरूप आणि संकल्पना

जागतिक दृष्टीकोनातून विचार केला तर आपल्या असे लक्षात येते कि, वेगवेगळ्या देशात राहणा-या लोकांची ऐतिहासिक पार्श्वभूमी, भौगोलिक परिस्थिती भिन्न असते. सांस्कृतिक, सामाजिक जीवन भिन्न असते. माणसाला परस्परांचे जीवन, संस्कृती, परंपरा, …

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अनुवाद के प्रकार

अनुवाद शब्द का संबंध ‘वद ‘धातु से है, जिसका अर्थ होता है ‘बोलना’ या ‘कहना’। वद् में  धत्र प्रत्यय लगने से वाद शब्द बनता है। अनुवाद का मूल अर्थ है …

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महिला दिवस पर विशेष

*नारी दिवस विशेष*महाभारत होता है औरत सेसिख अभी इस बात को सुनकरगर अपमान किया औरत काहर चौराहा महाभारत होगा , बचा नही कोई दुनिया मेंऔरत के अपमानों सेऔरत की सम्मान …

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महिला दिवस शिर्षक: लोग तो कहेंगे, लोगों का क्या? ‘

महिला दिवस शिर्षक: लोग तो कहेंगे, लोगों का क्या? कल पापा की सायकिल की सीट पर बैठ कर तो गई थी,आज़ दोस्त की मोटरसाइकिल पर बैठ कर आई तो क्या …

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महिला दिवस शिर्षक: लोग तो कहेंगे, लोगों का क्या? ‘

महिला दिवस शिर्षक: लोग तो कहेंगे, लोगों का क्या? कल पापा की सायकिल की सीट पर बैठ कर तो गई थी,आज़ दोस्त की मोटरसाइकिल पर बैठ कर आई तो क्या …

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सूफी काव्य में पर्यावरण चेतना (‘पद्मावत’ के विशेष संदर्भ में)

शोध सार हिन्दी साहित्य में काव्य की विभिन्न धाराएँ देखने को मिलती हैं। हिन्दी साहित्य की शुरुआत से ही इन धाराओं का विकास साहित्य में देखा जा सकता है। हिन्दी …

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भारत के उद्योग पुरुष जमशेद जी टाटा

——-जमशेद जी टाटा——- कभी कभी कोई लम्हा युग प्रेरणा का इतिहासबनाता है ।।इन लम्हों के कदमों केसंग युग चलता जाता है।।दिन महीने साल दशकगुजरता जाता है प्रेरकपरिवर्तन का लम्हा खासयुग …

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बसंत

बसंत  धीरे-धीरे धूप ने, किया शीत का अन्त ।  पुरवाई ने सृष्टि में, छेड़ा राग बसंत । ।  सुशील सरना / 4-3-21  रचनाकार का नाम: सुशील सरना पदनाम: सेवा निवृत्त …

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