सोचता हुँ
सोचता हुँ,सभी की भलाईसब हो खुशहालना हो कोई बदहाल। सब करे प्रगतिसब करे उन्नतिसबको मिले अधिकारफले फुले सबका परिवार। ना किसी से ईर्ष्या है ना ही प्रतियोगिताना किसी से अपेक्षा …
सोचता हुँ,सभी की भलाईसब हो खुशहालना हो कोई बदहाल। सब करे प्रगतिसब करे उन्नतिसबको मिले अधिकारफले फुले सबका परिवार। ना किसी से ईर्ष्या है ना ही प्रतियोगिताना किसी से अपेक्षा …
लो आ गयी दीवाली का त्योहारउल्लास और उमंग का लिए संचारकरती धन और समृद्धि का फुहार। हां इस बार थोड़ी परिस्थिति की है मारप्रकृति ने जता दी अपनी गुस्सा …
आज है मकर संक्रान्ति सूर्य देव हुए उत्तरायणलेकर गुनगुनी धूप और ऋतु परिवर्तन की तरंग। वसुधा ने फैलाई प्यारी मुस्कानओढ़ सुरमई बासंती परिधानलिए सरसो की भीनी भीनी सुगंधलिए लोहड़ी, पोंगल …
जो बीत गया उसे भूल जायेजो आ रहा उसे अपनायेहालांकि जाते जाते बहुत रूलायाकईयों को अपनो से बिछड़ायादुख तकलीफ की बढ़ाई छाया। पर,जीना भी वो सिखलायाएकता और भाईचारा बढ़ायासंयम और …
हाँ वो पगला हैलोग तो उसे यही कहते हैऔर समझते भी यही है। एक दिन मैं चल रहा था कुछ गुनते अचानक से मिल गया मुझे वह राह चलतेवह मुझे …
उबंटू,सच मे थोड़ा अजीब सा शब्द हैमन मे सवाल उठा कि ये क्या हैजिज्ञासा उठी कि इसका मतलब क्या होता है। मन में उठी जिज्ञासा को शांत करनेउस अनूठे शब्द …
http://परिचय : वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी के इस आधुनिक समय मे हमने भले ही कितनी तरक्की कर ली हो तथा व्यक्ति के पास भले ही जीवन यापन की सभी भौतिक सुख सुविधाएं …
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यौगिक क्रियाओं का स्वस्थ जीवन शैली में योगदान Read More »
” आ अब लौट चलें” ————————– हैं चारों ओर वीरानियाँखामोशियाँ, तन्हाईयाँ,परेशानियाँ, रुसवाईयाँसब ओर ग़ुबार है …
अस्ताचलगामी सूर्य के अवसान पर,मध्य में जीवन की प्रवाहमान सरिता शान्त स्तंभित!मूकदर्शक मैंने देखा,उसका म्लान मुख अचंभित!एक तरफ उन्मादी हुल्लड़बाज भीड़ थी,भ्रमवश वासनामय अमरता की उत्तेजना में।और नदी के दूसरे …
||अनुभूति || प्रेम एक ऐसी अनुभूति है जो दिलों की गहराइयों में बसती है व्यक्तित्व से प्रेम करती है प्रेम की अनुभूति को क़ायम रखने के लिएउम्र-आकर्षणरूप-रंगस्त्री-पुरुषदौलत- शोहरत मज़हब-मुल्क आदि …