भूमन्डलीकरण में दलित स्त्री के जीवन में बदलाव

“आकाश चाहती है
हर लड़की –
सोचती है सूरज चाँद तारों के बारे में
सपनों में आता है चाँद पर अपना घर -घर 
उसके पैर धरती पर जमें हैं ।