तिलका छंद “युद्ध”

तिलका छंद “युद्ध” गज अश्व सजे।रण-भेरि बजे।।रथ गर्ज हिले।सब वीर खिले।। ध्वज को फहरा।रथ रौंद धरा।।बढ़ते जब ही।सिमटे सब ही।। बरछे गरजे।सब ही लरजे।।जब बाण चले।धरणी दहले।। नभ नाद छुवा।रण …

तिलका छंद “युद्ध” Read More »